*।। नवार्णमन्त्र की व्यापकता ।।jyotishacharya Dr Umashankar mishr 9415087711--9235722996*
-१- यह सांसारिक सुख और मोक्ष दोनों को देने वाला मन्त्र है।
*-२- इस मन्त्र का जप किसी भी वर्ण,जाति,धर्म, सम्प्रदाय, मान्यता वाला व्यक्ति कर सकता है।
*-३- यह भी गायत्री मंत्र की तरह अपने भीतर गुप्त रूप से २४ वर्णाक्षरों को समेट रखा है।
*- ४-जैसे सावित्री मन्त्र में ब्रह्मा,विष्णु,महेश समाहित हैं वैसे ही नवार्ण में भी ये तीनों देव हैं।
*-५- यह ब्रह्मस्वरूपिणी महाशक्ति का मन्त्र है,जो सगुणरूप में महाकाली,महालक्ष्मी, महासरस्वती होती है।
( ॐ रहित नवार्ण का जप श्रेयस्कर )
प्रमुख नौ अक्षरों वाला यह मन्त्र है।इसमें ॐ लगाने से यह दशार्ण मन्त्र हो जाता है।
मूलमंत्र--- ऐम् ह्रीम् क्लीम् चामुण्डायै विच्चे --
यह मूलनवार्ण है।इसीसे सप्तशती का सम्पुटितपाठ किया जाता है। इससे देवीजी का हवन भी किया जाता है।
( यह गुप्त देवी गायत्री है ) ------
महान साधक श्री भास्कर राय ने इसमें प्रत्यक्ष ९ स्वर , ४ बिंदु ( म् ) और ११ व्यंजन लेकर २४ वर्णाक्षर माना है।
*-- ऐम् वाग्बीज है जो योनि (जगत्कारण)स्वरूप है।
*-- ह्रीम् मायास्वरूप है जिससेसृष्टि बढ़ती घटतीरहती है
*--- क्लीम् काम या ब्रह्मा रूप है।
*--- अ नारायण का वाचक है।
*---- य वायु का वाचक है।
*----- ह देवी का स्वरूप है।
*----- र अग्नि का वाचक है।
*----- ई लक्ष्मी का वाचक है।
*----- ल इन्द्र का वाचक है।ऐ , म् , ह , र , ई , म् , क , ल , ई , म् , च , आ , म ,उ , म् , ड , आ , य ,ऐ , व , इ , च् , च , ए ।। ये कुल २४ वर्णाक्षर हैं।
इस मन्त्र की साधना चार काल में की जाती है--- प्रातः , मध्याह्न , सायं और मध्यरात्रि। अतः नवार्ण मन्त्र को ब्रह्म प्रणव ( ॐ ) रहित जप कर सिद्ध करना चाहिए।यह भगवती महाशक्ति का ब्रह्ममय विग्रह है।
इसी तरह देवीकवचं भी त्रिकाल पाठ करने से सिद्ध होता है।केवल एक काल पाठ से इसका व्यापक लाभ नहीं हो पाता। दुर्गासप्तशती का अंग पाठ के रूप में करने से कवच, अर्गला, और कीलक अपना पूर्ण फल देते हैं।
विशेष-- जप माला के पहले मनके पर ॐ लगाना चाहिए और एक सौ आठवे पर ॐ लगाना चाहिए
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