ह्रदय रोग के कारण और उपाय ज्योतिषीय ज्ञान से जानिए
Jyotishacharya . Dr Umashankar misra9415087711--9235722996
ज्योतिष शास्त्र में जन्मपत्रिका के चतुर्थ भाव से ह्रदय रोग के बारे में जाना जा सकता है । सूर्य ह्रदय से सम्बंधित बीमारियों का स्वामी है और सिंह राशि ह्रदय का स्वामी है । अतः सूर्य को सबल होना जरूरी है
आइये आज हम ज्योतिषीय नजर से ह्रदय रोग के खास बिंदुओं पर चर्चा कर लेते है :-
1:- यदि जन्म पत्रिका मेंसूर्य कर्क अथवा मीन राशि मे स्थित होतो ह्रदय रोग की सम्भावना रहती हैं ।
2:- यदि जन्म पत्रिका के चतुर्थ भाव मे सूर्य और शनि स्थित होतो ह्रदय रोग की सम्भावना रहती हैं ।
3:- यदि जन्मपत्रिका में कुंभ लग्न हो अथवा सूर्य ,मंगल या शुक्र ग्रह सिंह राशि मे स्थित होतो ह्रदय रोग की सम्भावना रहती है ।
4:- यदि जन्म पत्रिका केचतुर्थ भाव मे मंगल , केतु स्थित हो अथवा सूर्य कुम्भ राशि मे स्थित हो अथवा चन्द्रमा चतुर्थ भाव मे पापी ग्रहों से पीड़ित हो तो ह्रदय रोग की सम्भावना रहती है ।
5:- यदि जन्म पत्रिका के चतुर्थ भाव में शनि स्थित हो अथवा लग्न भाव मे सिंह राशि होतो तब भी ह्रदय रोग की प्रबल सम्भावना बनी रहती है ।
6:- यदि जातक का जन्म मृगशिरा अथवा श्रवण नक्षत्र में हुआ होतो ऐसे जातक को ह्रदय रोग की सम्भावना रहती है ।
7:- यदि सूर्य केतु के नक्षत्र में स्थित हो तो ह्रदय रोग की सम्भावना रहती है ।
बचाव/उपाय :-
1:- स्मरण रहे जिन जातकों को यदि ह्रदय रोग हो जाये तो हमे चतुर्थ भाव से यदि चौथे भाव तक गिने तो जन्म पत्रिका का सप्तम भाव आता है,जोकि जीवनसाथी का भाव माना जाता है । मेरे कहने का आशय आप समझ गए होंगे । अर्थात ऐसी स्थिति में मौत के मुँह से बचाने का काम/दायित्व जीवनसाथी(पत्नी)का होता है । इसका साधरण सा उपाय है ,जोकि आजमाया गया है
2:- रोजाना प्रातः अनार का रस मिश्री के साथ ले,आराम होगा ।
3:- अदरक का रस शहद के साथ ले,आराम होगा ।
4:- रोजाना भूखे पेट पपीता खाये ।भोजन में लहसुन का सेवन करे ।
5:- भोजन में गेहूं और चना समान मात्रा में लेकर उसकी रोटी खाये ।
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