*ग्रहों के योग से फैलती है बीमारियां और होता है खात्मा* ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा 94150 87711
✍🏻पूरी दुनिया में प्रथम बार सैकड़ों वर्षों का इतिहास पलटा है कभी सुनने को नहीं मिला एक साथ सैकड़ों वर्ष मे कभी पूरी दुनिया एक साथ किसी बीमारी या वायरस से परेशान हो वायरस के प्रकोप से दुनियाभर में हाहाकार मचा हुआ है। आखिर एक वायरस ने कैसे महामारी का रूप ले लिया और कैसे इसके आगोश में एक के बाद एक देश समाते चले गए। ज्योतिष के दृष्टिकोण से देखें तो वायरस का प्रकोप धरती पर क्रूर ग्रहों की युति की परिणाम है। हिंदू धर्म में हिंदुस्तान में बरसो बरसो का इतिहास देखा जाए तो ज्योतिष के ग्रंथों में प्रत्येक वर्ष में किस तरह की घटनाएं होंगी सब लिखा रहता है पिछले संवत्सर का राजा सनी था इस संवत्सर का राजा बुध ग्रह है सनी जाने के पहले अपने संबंधी राहु केतु के माध्यम से पूरी दुनिया को परेशान कर दिया ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार शनि न्यायाधीश है दुनिया में जितने भी अच्छे बुरे लोग हैं उनके द्वारा किए गए अच्छे बुरे कर्मों का फल देना शनि रूपी न्यायाधीश का काम है ज्योतिष में बृहस्पति को जीवन का कारक ग्रह माना गया है और राहु-केतु को संक्रमण, विषाणु जनित रोग, छिपी बीमारियों का कारक ग्रह माना गया है। ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति के साथ राहु या केतु ग्रह की युति होने पर ऐसे रोग होते हैं, जिनसे निपटना या जिनका इलाज बेहद मुश्किल होता है। इसमें भी केतु क्रूर होने के साथ रहस्यवादी ग्रह है। इसलिए बृहस्पति और केतु के योग से इस तरह के रोग होते हैं।
*राहु-केतु ने फैलाई महामारी* ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 6 मार्च 2019 को केतु ने धनु राशि में प्रवेश किया था। इसके बाद 4 नवंबर 2019 को बृहस्पति ने धनु राशि में प्रवेश किया था। चीन में पहला केस नवंबर 2019 में सामने आया था। इसके बाद 26 दिसंबर 2019 को साल का आखिरी सूर्यग्रहण पड़ा। सूर्यग्रहण के दिन ग्रहों का षडाष्टक योग बना था। सूर्य, चंद्र, बृहस्पति, शनि, बुध और केतु के योग से सूर्यग्रहण का नकारात्मक प्रभाव पड़ा। इसने वायरस को महामारी बना दिया।
✍🏻इसके 14 दिन बाद चंद्रग्रहण हुआ। यह भी शुभ फल देने वाला नहीं था और राहु, केतु, शनि से पीड़ित रहा था। ज्योतिष के अनुसार सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति के कमजोर होने पर प्रलय की स्थिति निर्मित होती है। इसके बाद जब केतु मूल नक्षत्र में पहुंचा तो वायरस ने भयानक रूप धारण कर लिया। 20 सितंबर 2020 तक केतु धनु राशि में रहेंगे। इस वजह से ज्यादा सावधानी बरतनी होगी। राहु इस समय आद्रा नक्षत्र में है , जो प्रलय का नक्षत्र माना जाता है। *20 मई 2020* तक वह इसी आद्रा नक्षत्र में रहेगा। 20 मई 2020 तक बृहस्पति उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में रहेगा जो परेशानी पैदा करेगा।
लेकिन इसके बावजूद 29 मई को गुरु के मकर राशि में प्रवेश करते ही शनि-मंगल की युति का असर कम हो जाएगा। *13 अप्रैल को सूर्य के मेष राशि में प्रवेश हो चुका राहत लाभकारी रहेगी। 4 मई को मंगल कुंभ राशि में प्रवेश कर चुका है जो काफी राहत भरा रहेगा। *20 मई को राहु नक्षत्र बदलेगा और वायरस का असर खत्म* होता चला जाएगा।
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