संकट मोचन हनुमान जी महाराज बाबा नीमकरोरी जी महाराज जय हो
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ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा 94 150 8 7711
कब, किसे,क्यों और कंहा दान करें ?
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ये तो सभी धर्मों मैं लिखा है कि दान दिया जाना जरूरी है क्योंकि
मृत्यु आए इससे पूर्व सारी गांठें खोलना जरूरी है, जो जीवन की आपाधापी के चलते बंध गई है। दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि जीवन भर किए गए दुष्कर्मों से मुक्त होने के लिए दान ही सबसे सरल और उत्तम माध्यम माना गया है। वेद और पुराणों में दान के महत्व का वर्णन किया गया है।
जब हम पर कोई शारीरिक समस्या आती है, और इलाज से ठीक नही होती तो ऐसी स्थिति मे भी हमसे दान करवाया जाता है, जब किसी का विवाह नही होता, सन्तान नही होती, वास्तु दोष,आदि कारणों से भी घर के मुखिया आदि से दान करवाया जाता है ।
लेकिन क्या आप जानते हो जो अनाज, वस्तु, कपड़े, तेल, आप दान कर रहे हो क्या वो सही है, या उचित व्यक्ति को उचित समय पर दान कर रहे हो ।क्या आप जानते हो कि इस दान का फल या प्रतिफल भी आपको मिलेगा ।
जैसे आप खेती मैं बुआई करते हो तो क्या ये नही देखते की किस मौसम मैं किस फसल की बुआई की जाए, कब कौन सी फसल हेतु मौसम रहता है । इसी तरह दान का भी समय रहता है। हम इसे विस्तृत समझेगें ।
अक्सर परेशानी इस बात की होती है कि हम क्या दान करें,जैसे किसी कन्या की शादी मैं परेशानी आ रही हैं तो ज्योतिष, पण्डित आदि उसे पुखराज धारण करवा देते हैं, फिर उसे केले के पौधे की पूजा,पीपल की पूजा आदि के बारे मैं बताते हैं, कुछ लोग हल्दी, चने की दाल, पीला कपड़ा, सोना आदि दान करवाते है । लेकिन ये कोई नही देखता की क्या गुरु का दान करवाया जाना उचित हैं, कुंडली मे जब गुरु नीच का हो तो ऐसी स्थिति मे ही गुरु का दान करवाया जाना उचित होता हैं, वरना गुरु का बेवजह दान किये जाने से परिवार की,पति से सम्बंधित समस्याएं बढ़ती है।
Yadi Agar शनिश्चरी अमावस्या आ रही है, हर कोई दान करेगा,तकरीबन आधे से ज्यादा लोग कम्बल, तेल, चप्पल, काली वस्तूये,तिल आदि का दान करेगें,पर क्या आप जानते भी हो कि आपकी पत्रिका मैं शनिदेव की क्या भूमिका हैं।
फिर से समझिये हमे दान उस वस्तु का करना चाहिये जो नकारात्मक हो, कुंडली मे या जीवन मे गलत प्रभाव दे रही हो, जैसे मेष लग्न वाली कुंडली मे शत्रु बढ़ रहे या बीमारी बढ़ रही तो आप हरा घास गाय को दान करे ।
हम बिना वजह कुछ भी दान करते रहते इससे हमारी सकारात्मकता पर भी असर पड़ता हैं, ऐसा अक्सर होता हैं कि हम राहू, केतू, शनि की वस्तुओं का दान करते रहते हैं, लेकिन ये गलत है । जिंदगी मैं कभी कभी बुरे ग्रह भी ऊंचाई देते हैं, और शुभ ग्रह पीड़ा दे जाते हैं ।
कई बार ये देखा गया है कि कुछ लोग राशि अनुसार दान दे जाते है, जैसे आपकी राशि पर साढे साती लगी हो तो डर के कारण शनिदेव की वस्तुओं का दान दे आते हैं, लेकिन ये नही देखते की उनकी कुंडली मे शनिदेव की क्या महत्वपूर्ण भूमिका हैं । पूजा करना और दान देना दोनो पृथक पृथक हैं ।
शनि यदि मकर या कुम्भ राशि में हो तो स्वगृही तथा तुला राशि में हो तो उच्च राशि का कहलाता है। यदि आपकी कुण्डली में शनि की स्थिति है तो आपको काले रंग के पदार्थों का दान कभी भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इसके अलावा लोहा, लकड़ी और फर्नीचर, तेल या तैलीय सामग्री, बिल्डिंग मैटीरियल आदि का दान नहीं करना चाहिए।
ऐसे जातक को अपने घर में काले रंग का कोई पशु जैसे कि भैंस अथवा काले रंग की गाय, काला कुत्ता आदि नहीं पालना चाहिए। ऐसा करने से जातक की निजी एवं सामाजिक दोनों रूप से हानि हो सकती है।
क्या आप जानते हैं ?
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जन्म कुण्डली में कुछ ग्रहों को मजबूत एवं दुष्ट ग्रहों को शांत करने के लिए तो हम दान-पुण्य करते ही हैं, लेकिन ग्रहों की कैसी स्थिति में हमें कैसा दान नहीं करना चाहिए, यह भी जानने योग्य बात है क्योंकि ग्रहों की स्थिति के विपरीत यदि दान कर्म किया जाए, तो वह और भी बुरा असर देता है। ऐसे में हमारे द्वारा किया गया दान हमें अच्छा फल देने की बजाय, बुरा फल देना आरंभ कर देता है,और हमें इस बात की जानकारी भी नहीं होती।
सलाह मश्विरा
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आप दान करते हो अच्छी बात है, लेकिन यदि आप ग्रहों की शांति हेतु या समस्या की शांति हेतु दान करते हो तो उस दान को किसे, कब और क्या दान करना चाहिये ये ज्ञात करने के पश्चात ही सुपात्र को दान करे, तभी उसका फल मिलेगा
ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र सिद्धिविनायक ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र विभव खंड 2 गोमती नगर एवं वेद राज कांप्लेक्स पुरानाआरटीओ चौराहा latouche Road Lucknow 94150 877 11 923 57 22 996
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