भगवान नृसिंह जयंतीः शुभ मुहूर्त व पूजा विधि ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव 94 15 0877 11 बुधवार 6 मई 2020 को हैं भगवान नृसिंह जयंती बुधवार 6 मई को भगवान नृसिंह की जयंती पर्व हैं। भगवान नृसिंह का जन्मोत्सव प्रत्येक वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। शक्ति एवं पराक्रम के प्रमुख देवता भगवान श्री नृसिंह कहे जाते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सबके पालनहार भगवान विष्णु ने आधा मनुष्य व आधा पशु अर्थात सिंह के रूप में नृसिंह अवतार लेकर दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध कर उसके आतंक से इस विश्व वसुधा की रक्षा की थी। नृसिंह की जयंती के दिन इस शुभ मुहूर्त में ऐसे करें पूजन अर्चन। सप्ताह के सातों दिन इस समय किए गए शुभ कार्य में आती ही है बाधा, पढ़ें पूरी खबर हिन्दू पंचांग के अनुसार नरसिंह जयंती का व्रत वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी पावन दिवस को भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप में अवतार लेकर असुरों का अंत कर धर्म कि रक्षा की थी। तभी से भगवान नृसिंह की जयंती संपूर्ण भारत वर्ष में धूम धाम से मनाई जाती है। भगवान नृसिंह जयंतीः शुभ मुहूर्त व पूजा विधि पूजन विधि व शुभ मुहूर्त - इस दिन पूजा करने के लिए सबसे उत्तम समय गोधूली बेला (संध्या काल) माना गया है, क्योंकि इसी समय भगवान नृसिंह ने अवतार लिया था। - इस दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। - भगवान नृसिंह तथा लक्ष्मीजी की मूर्ति स्थापित करना चाहिए। पूरी तरह बदल देंगे भाग्य की रेखा हनुमान जी, केवल एक बार करके देखें यह काम - भगवान नृसिंह जयंती के दिन व्रत-उपवास रखकर विधि विधान से विशेष पूजा अर्चना करना चाहिए। - भगवान नृसिंह का वेदमंत्रों से आवाहन् कर प्राण-प्रतिष्ठा करने के बाद षोडशोपचार से पूजन करना चाहिये। - भगवान नरसिंह जी का ऋतुफल, पुष्प, पंचमेवा, कुमकुम केसर, नारियल, अक्षत, पीताम्बर, गंगाजल, काले तिल, पञ्चगव्य आदि से पूजन करने के बाद हवन सामग्री से हवन भी करना चाहिए। भगवान नृसिंह जयंतीः शुभ मुहूर्त व पूजा विधि मनोकामना पूर्ति मंत्र - भगवान नरसिंह को प्रसन्न करने के लिए उनके नरसिंह गायत्री मंत्र का जप 108 बार तो करना ही चाहिए। - उपरोक्त विधि से पूजा करने के बाद एकांत में कुश के आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से इस नृसिंह भगवान जी के मंत्र का जप करना चाहिए। - इस दिन व्रती को सामर्थ्य अनुसार तिल, स्वर्ण तथा वस्त्रादि का दान देना चाहिए। - इस व्रत करने वाला व्यक्ति लौकिक दुःखों से मुक्त हो जाता है। - भगवान नृसिंह अपने भक्त की रक्षा करते हैं व उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इन शिव मंत्रों का जप करता है गंभीर रोगों से रक्षा भगवान नरसिंह मंत्र ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्I नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्II ॐ नृम नृम नृम नर सिंहाय नमः। *****