बगलामुखी अष्टमी, बगलामुखी माता के अवतार दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। जिन्हें माता पीताम्बरा या ब्रह्मास्त्र विद्या भी कहा जाता है। उसके पास पीले रंग के कपड़े के साथ माथे पर सुनहरे रंग का चंद्रमा है। माँ की पूजा दुश्मन को हराने, प्रतियोगिताओं और अदालत के मामलों को जीतने के लिए जानी जाती हैं। माँ बगलामुखी मंत्र स्वाधिष्ठान चक्र की कुंडलिनी जागृति के लिए उपयोग करते हैं। भक्त इस दिन अन्न का दान करते हैं, तथा माँ मंगल से संबंधित समस्याओं की समाधान देवी हैं। जानें माँ बगलामुखी बगला एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ दुल्हन है, अर्थात दुल्हन की तरह आलौकिक सौन्दर्य और अपार शक्ति की स्वामिनी होने के कारण देवी का नाम बगलामुखी पड़ा। देवी को बगलामुखी, पीताम्बरा, बगला, वल्गामुखी, वगलामुखी, ब्रह्मास्त्र विद्याआदि नामों से भी जाना जाता है। माँ बागलमुखी मंत्र कुंडलिनी के स्वाधिष्ठान चक्र को जागृति में सहयता करतीं हैं। देवी बगलामुखी का सिंहासन रत्नो से जड़ा हुआ है और उसी पर सवार होकर देवी शत्रुओं का नाश करती हैं। देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं। संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है। इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है। कहा जाता है कि देवी के सच्चे भक्त को तीनों लोक मे अजेय है, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है। पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं। देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती हैं। माँ बगलामुखी पौराणिक कथा को विस्तार से जानें!