पितृदोष की शांति एवं पितृदेव की प्रसन्नता हेतु सरल प्रयोग Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 94150 877 1192 357 229 96 पितरों की प्रसन्नता से घर, खरिहानों एवं व्यवसाय में बरकत आती है और अकल्पित दुर्घटनाओं से मुक्ति मिलती है. जो लोग पितृदोष से पीड़ित हों, उनको यह प्रयोग अवश्य करना चाहिए. हर अमावस्या को मध्याह्न काल ( लगभग ११:५० मिनट दोपहर ) में ताँबे के लोटे ( इस कार्य में चाँदी का लोटा श्रेष्ठ माना जाता है. ) में जल लेकर सात चुटकी ( अँगूठा, अनामिका और मध्यमा अँगुलियों को आपस में मिलाकर चुटकी बनायें ) काले तिल, सात चुटकी सफ़ेद चन्दन का बुरादा, सात चुटकी कच्चे साबुत चावल, थोड़ी मात्रा में गाय का घी और थोड़ा सा कच्चा दूध जल में डालें. दोनों हाथों की अनामिका अँगुलि में कुशा की मुद्रिका पहन कर दोनों हाथ में जल से भरा लोटा उठाकर पीपल के पेड़ के नीचे दक्षिण दिशा की ओर मुँह कर खड़े हो जायें और पेड़ की सात परिक्रमा करने के तत्पश्चात् अपना नाम अपने गौत्र का नाम बोलकर कहें कि "हे वासुदेव मैं अपने पितरों की तृप्ति हेतु जल अर्पिण कर रहा हूँ. मेरे द्वारा अर्पण जल से पितृदेव तृप्त हों और मुझे पितृदोष से मुक्त कर सुख सम्पन्नता का आशीर्वाद प्रदान करें." इतना निवेदन कर जल को पीपल पर चढ़ा दें और दो अगरबत्ती, गोघृत का दीया जलाकर दण्डवत् प्रणाम कर बिना पीछे देखे घर वापस लौट आयें.