मकर संक्रांति विशेष 〰️〰️🌼 Jyotish Aacharya Dr Umashankar Mishra 94150 877 11 9235 7229 96 🌼〰️〰️ मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। मकर संक्रांति से अग्नि तत्त्व की शुरुआत होती है और कर्क संक्रांति से जल तत्त्व की. इस समय सूर्य उत्तरायण होता है अतः इस समय किये गए जप और दान का फल अनंत गुना होता है मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी है। सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती है। भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है अर्थात् भारत से अपेक्षाकृत अधिक दूर होता है। इसी कारण यहाँ पर रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। अतएव इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है। दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा तथा रात्रि छोटी होने से अन्धकार कम होगा। अत: मकर संक्रान्ति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होगी। मकर संक्रांं‍ति पूजा व‍िध‍ि 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए। पानी में तिल मिलाकार स्नान करना चाहिए। अगर संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए। इस द‍िन तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व अधिक है।इसके बाद भगवान सूर्यदेव की पंचोपचार विधि से पूजा-अर्चना करनी चाहिए इसके बाद यथा सामर्थ्य गंगा घाट अथवा घर मे ही पूर्वाभिमुख होकर यथा सामर्थ्य गायत्री मन्त्र अथवा सूर्य के इन मंत्रों का अधिक से अधिक जाप करना चाहिये। मन्त्र 👉 1- ऊं सूर्याय नम: ऊं आदित्याय नम: ऊं सप्तार्चिषे नम: 2- ऋड्मण्डलाय नम: , ऊं सवित्रे नम: , ऊं वरुणाय नम: , ऊं सप्तसप्त्ये नम: , ऊं मार्तण्डाय नम: , ऊं विष्णवे नम: पूजा-अर्चना में भगवान को भी तिल और गुड़ से बने सामग्रियों का भोग लगाएं। तदोपरान्त ज्यादा से ज्यादा भोग प्रसाद बांटे। इसके घर में बनाए या बाजार में उपलब्ध तिल के बनाए सामग्रियों का सेवन करें। इस पुण्य कार्य के दौरान किसी से भी कड़वे बोलना अच्छा नहीं माना गया है। मकर संक्रांति पर अपने पितरों का ध्यान और उन्हें तर्पण जरूर देना चाहिए। राशि के अनुसार दान योग्य वस्तु 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ मेष🐐 गुड़, मूंगफली दाने एवं तिल का दान करें। वृषभ🐂 सफेद कपड़ा, दही एवं तिल का दान करें। मिथुन👫 मूंग दाल, चावल एवं कंबल का दान करें। कर्क🦀 चावल, चांदी एवं सफेद तिल का दान करें। सिंह🦁 तांबा, गेहूं एवं सोने के मोती का दान करें। कन्या👩 खिचड़ी, कंबल एवं हरे कपड़े का दान करें। तुला⚖️ सफेद डायमंड, शकर एवं कंबल का दान करें। वृश्चिक🦂 मूंगा, लाल कपड़ा एवं तिल का दान करें। धनु🏹 पीला कपड़ा, खड़ी हल्दी एवं सोने का मोती दान करें। मकर🐊 काला कंबल, तेल एवं काली तिल दान करें। कुंभ🍯 काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी एवं तिल दान करें। मीन🐳 रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल एवं तिल दान करें। कुछ अन्य उपाय 〰️〰️〰️〰️〰️ सूर्य और शनि का सम्बन्ध इस पर्व से होने के कारण यह काफी महत्वपूर्ण है 👉 कहते हैं इसी त्यौहार पर सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं 👉 आम तौर पर शुक्र का उदय भी लगभग इसी समय होता है इसलिए यहाँ से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है 👉 अगर कुंडली में सूर्य या शनि की स्थिति ख़राब हो तो इस पर्व पर विशेष तरह की पूजा से उसको ठीक कर सकते हैं 👉 जहाँ पर परिवार में रोग कलह तथा अशांति हो वहां पर रसोई घर में ग्रहों के विशेष नवान्न से पूजा करके लाभ लिया जा सकता है 👉 पहली होरा में स्नान करें,सूर्य को अर्घ्य दें 👉 श्रीमदभागवद के एक अध्याय का पाठ करें,या गीता का पाठ करें 👉 मनोकामना संकल्प कर नए अन्न,कम्बल और घी का दान करें 👉 लाल फूल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें 👉 सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें मंत्र "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" 👉 संध्या काल में अन्न का सेवन न करें 👉 तिल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें 👉 शनि देव के मंत्र का जाप करें 👉 मंत्र "ॐ प्रां प्री प्रौं सः शनैश्चराय नमः" 👉 घी,काला कम्बल और लोहे का दान करें। साल 2012 में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 15 जनवरी को हुआ था इसलिए मकर संक्रांति इस दिन मनाई गई थी। पिछले कुछ वर्षों में मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही मनाई गयी ऐसी गणना कहती है। इतना ही नहीं करीब पांच हजार साल बाद मकर संक्रांति फरवरी के अंतिम सप्ताह में मनाई जाने लगेगी ज्योतिषीय गणना एवं मुहुर्त चिंतामणी के अनुसार सूर्य सक्रान्ति समय से 16 घटी पहले एवं 16 घटी बाद तक का पुण्य काल होता है निर्णय सिन्धु के अनुसार मकर सक्रान्ति का पुण्यकाल सक्रान्ति से 20 घटी बाद तक होता है किन्तु सूर्यास्त के बाद मकर सक्रान्ति प्रदोष काल रात्रि काल में हो तो पुण्यकाल दूसरे दिन माना जाता है। इस वर्ष भगवान सूर्य देव 14 जनवरी Shukrawar को Ratri 08 बजकर 34 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश Kiye Hain । सूर्य धनु से मकर राशि में 14 जनवरी को ही प्रवेश Kiya है। इसलिए 15 जनवरी को ही संक्रांति मनाया जाना शास्त्रत्त् के अनुरूप है। उदया तिथि में पर्व त्योहार मानने वाले लोग 15 जनवरी शनिवार के दिन संक्रान्ति मनाएंगे ज्योतिष गणना के अनुसार इस बार मकर संक्रांति की शुरुआत रोहणी नक्षत्र के दौरान हो रही है।। धर्म शास्त्रों के अनुसार रोहणी नक्षत्र होने पर दान, स्नान, पूजा पाठ और मंत्रों का जाप करने पर विशेष शुभ फल की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति पर रोहिणी नक्षत्र के साथ ब्रह्रायोग और आनंदादि शुभ योग का निर्माण हो रहा है। मकर संक्रांति फल 〰️〰️〰️〰️〰️〰️ वेदों में सूर्य उपासना को सर्वोपरि माना गया है। जो आत्मा, जीव, सृष्टि का कारक एक मात्र देवता है जिनके हम साक्षात रूप से दर्शन करते है। सूर्य देव कर्क से धनु राशि में 6 माह भ्रमण कर दक्षिणयान होते है जो देवताओं की एक रात्रि होती है। सूर्य देव मकर से मिथुन राशि में 6 माह भ्रमण कर उत्तरायण होते है जो एक दिन होता है। जिसमें सिद्धि साधना पुण्यकाल के साथ-साथ मांगलिक कार्य विवाह, ग्रह प्रवेश, जनेउ, संस्कार, देव प्राण, प्रतिष्ठा, मुंडन कार्य आदि सम्पन्न होते है। सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते है इस सक्रमण को मकर सक्रान्ति कहा जाता है जिसमें स्वर्ग के द्वार खुलते है संक्रांति शुभ होगी या अशुभ इसका विचार उसके वाहन एवं उपवाहन से किया जाता है। फिर उसका नाम भी रखा जाता है और फिर देखा जाता है कि वह देश-दुनिया के लिए कैसी रहेगी। माना जाता है कि संक्रांति जो कुछ ग्रहण करती है, उसके मूल्य बढ़ जाते हैं या वह नष्ट हो जाता है। वह जिसे देखती है, वह नष्ट हो जाता है, जिस दिशा से वह जाती है, वहां के लोग सुखी होते हैं, जिस दिशा को वह चली जाती है, वहां के लोग दुखी हो जाते हैं। इस बार संक्रांति का वाहन बाघ और उप वाहन घोड़ा है। संक्रांति देवी के हाथ में कंगन, जटी फूल, गदा और खीर रहेगी। ये भोग की अवस्था में रहेगी। मकर संक्रांति 2022 के वाहनादि परिचय 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ नाम👉 मित्र वार मुख👉 पूर्व दृष्टि👉 नैऋत्य गमन👉 पूर्व वाहन👉 बाघ उपवाहन👉 अश्व वस्त्र👉 पीला आयुध👉 गदा भक्ष्य पदार्थ👉 पायस गन्ध द्रव्य👉 कुमकुम वर्ण👉 भूत पुष्प👉 जटी वय👉 कुमार अवस्था👉 भोग करण मुख 👉 दक्षिण स्थिति👉 बैठी भोजन पात्र👉 चांदी आभूषण👉 कंकण कन्चुकी👉 हरि संक्रान्ति 2022 फल 〰️〰️〰️〰️〰️〰️ भारत की प्रभावराशि मकर पर सूर्य- बुध- शनि योग होने से केंन्द्रीय तथा कई राज्य मंत्रीमंडलों में विशेष परिवर्तन हो सकते हैं और आगामी चुनावों में अभूतपूर्व दृश्य सामने आएंगे। माध मास में 5 मंगलवार होने के कारण, देश में सत्ता परिवर्तन, आपसी टकराव, साम्प्रदायिक व हिंसक घटनाओं की संभावना है। यही नहीं, किसी प्रमुख नेता, अभिनेता, विशिष्ट व्यक्ति क अपदस्थ या आक्रिूमक मृत्यु के भी योग हैं।इस वर्ष सफेद एवं पीली वस्तुुओं के मूल्य बढेंगे। सरकार के प्रति जनता आक्रोश दिखाती रहेगी। किसान आंदोलन अप्रत्यक्ष रुप से लंबा खिंचेगा। जनाक्रोश या कोई भी आन्दोलन हिंसक या सांप्रदायिक रुप ले सकता है। महामारी के प्रसार में कमी आएगी तथा ,प्रचार और दवा वितरण में वृद्धि होगी। संक्रमण की गति सम्भवतः 21 अप्रैल के बाद कम होनी आरंभ हो जाएगी। मकर राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती का भी प्रभाव रहेगा। राशि अनुसार मकर संक्राति का प्रभाव, दान एवं उपाय 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ मेषः👉 पदोन्नति की संभावना, सरकार से लाभ,धनाागमन,प्रतिष्ठित जनों से मित्रता के योग है। चहुंमुखी विकास होगा। विद्युत या इलेक्ट्रानिक उपकरण खरीदें। ओम् सूर्याय नमः का जाप करें । गुड़ व गेहूं का दान करें। वृषभ:👉 सुख साधन बढ़ेंगे। मकान ,वाहन का क्रय अत्यंत शुभ रहेगा। दूध दही सफेद वस्तुओं का दान करें। मिथ्यारोप, धन हानि, अत्याधिक व्यय, राज्य पक्ष से चिंता हो सकती है। कनक दान करें। मिथुनः👉 परिवार में सदस्यों की वृद्धि, संतान प्राप्ति संभावित । हरी सब्जी ,हरी मूंग की दाल या हरे फल, मिठाई दान करें। कंप्यूटर, मोबाइल ले सकते हैं। सूर्य का के गोचरशारीरिक व्याधि, ज्वर, मानहानि, पत्नी को पीड़ा दे सकता है। गुड़ का हलुवा गरीबों को खिलाएं। कर्कः👉 फ्रिज, ए.सी , वाटर प्योरिफायर या वाटर कूलर खरीदें। सिर पीड़ा, उदर रोग, धन हानि, यात्रा, शत्रुओं से झगड़ा आदि दिखता है। सूर्य को तिल डाल कर जल अर्पित करें। चावल का दान लाभ देगा। सिंहः👉 सूर्य की उपासना करें । सरकार से लाभ होगा। ओम् घृणि सूर्याय नमः का जाप करें। सोने के आभूषण या गोल्ड क्वाएन खरीदना धन वृद्धि करेगा। शत्रुओं पर विजय, कार्यसिद्धि, रोग नाश, सरकार से लाभ, वस्त्र का क्रय आदि करवाता है सूर्य ।गेहूं या बेकरी आयटम्ज का दान करें। कन्याः👉 जल में तिल डाल कर स्नान करें। नया मोबाइल, ब्रॉड बैंड कनेक्शन, टीवी तथा संचार संबंधी उपकरण खरीदें। क्रेडिट कार्ड या ऋण लेकर कुछ न खरीदें । किसी प्रियजन को मोबाइल भेंट करें या जरुरतमंद को दान करें। सूर्य संतान से चिंता दे सकता है।यात्रा ध्यान से करें, संतान की सेहत का ध्यान रखें,वाद विवाद से बचें, मतिभ्रम न होने दें। जल में तिल डाल कर नहाएं। गााय को चारा दें । तुलाः👉 हर तरफ से धन धान्य की प्राप्ति। तिल का उबटन लगाएं। इस अवसर पर चांदी खरीदें और वर्षांत तक मालामाल हो जाएं।,जमीन जायदाद संबंधी समस्याएं, मान हानि, घरेलू झगड़ों से परेशानी, शारीरिक कमजोरी । खिचड़ी और खीर का दान करें। वृश्चिकः👉 रुका धन आने की संभावना। कोर्ट केस में विजय शत्रु दबे रहेंगे। इलेक्ट्रानिक सामन खरीदें। गज्जक , रेवड़ी का दान फलेगा।रोग मुक्ति, राज्यपक्ष मजबूत, मान प्रतिष्ठा की प्राप्ति,पुत्र व मित्रों, समाज से सम्मान देगा । जल में गुड़ डाल कर सूर्य को अर्पित करें। धनुः👉 शिक्षा क्षेत्र,कंपीटीशन आदि में सफलता। सोने का सिक्का या मूर्ति सामर्थ्यानुसार खरीद कर पूजा स्थान पर स्थापित करें। खिचड़ी स्वयं बनाकर 9 निर्धन मजदूरों को खिलाएं।सिर, नेत्र पीड़ा, दुष्ट लोगों से मिलन, व्यापार हानि, संबंधियों से वैमनस्य करा सकता र्है। नेत्रहीनों को भोजन करवाएं। चने की दाल का दान करें। मकरः👉 गरीबों में सवा किलो चावल और सवा किलो काले उड़द या इसकी खिचड़ी दान करें । सूर्य का गोचर मान हानि, कायों में देरी, उद्देश्यही भ्रमण, मित्रों से मनमुटाव, सेहत खराब कर सकता है। तांबे के बर्तन धर्मस्थान पर दान दें। कुंभः👉 विदेश यात्रा, नेत्र कष्ट, अधिक व्यय, पद की हानि करवा सकता है सूर्य का गोचर। मरीजों को मीठा दलिया खिलाएं। काला सफेद कंबल या गर्म वस्त्र दान करें। मीनः👉 सूर्य का भ्रमण धन लाभ, नवीन पद, मंगल कार्य, राज्य कृपा, तरक्की, धन प्राप्ति देता है। वाहन सुख । प्रापर्टी का ब्याना देना या बुकिंग,दीर्घकालीन निवेश के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त। तिल के लडडू या बेसन से बनी चीजें दान करें।