संकट मोचन हनुमान जी बाबा नीमकरोरी जी महाराज की जय 💗 ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र 94150 8 7711 ❌ बिखरता परिवार ❌ सास बहु के रिश्ते कितने अपने कितने पराये 〰〰〰〰〰〰〰〰〰 दोस्तों, Aaj हम चर्चा कर रहे हैं सास बहु के रिश्तों के बारे मे । अक्सर जब मेरे पास इन रिश्तों मे तकरार के बाद सलाह लेने आते हैं तो सास का पक्ष रहता हैं की बहु दिन भर कोई काम नही करती,हमारी कोई इज्जत नही हैं, किसी का सम्मान करना नही आता उसको, सुबह देर से उठती हैं, दिन भर कमरे मे घुसी रहती हैं, हर वक्त माँ बाप से बात करती रहती हैं आदि। जबकि बहु की शिकायत रहती हैं की हर काम मै टोकती रहती हैं, दिन भर काम करते रहते हैं फिर भी शिकायत, पति से बिना वजह शिकायत करती रहती हैं, हम दोनों के बीच दरार बना रखी हैं, जब देखो मेरे माता पिता की बुराई करती हैं की तेरे माँ बाप ने क्या सिखाया, मायके से कुछ भी सामान आने पर शिकायत की किस घर से पाला पढ़ा आदि । कौन सही, कौन गलत ये तो भगवान जाने पर ये सत्य हैं की अमूमन ये समस्या हर घर की होती हैं। बहुत कम घरो मे सास बहु के रिश्ते माँ बेटी के रिश्तों मै परिवर्तित हो पाते हैं, जबकि हर सास उसके बेटे की शादी के पहले यही कहती हैं की मेरी बहु मेरी बेटी से बढ़कर होगी । क्या कहते हैं हमारे ग्रन्थ 💐💐💐💐💐💐💐💐 सास के बहु से सम्बन्ध 🔷🔷🔷🔷🔷🔷🔷🔷 कहते है जो सास अपनी बहु को अपनी बेटी मानती है , उसे अपनी बेटी की तरह ही लाड़ प्यार करती है उसकी स्वयं की बेटी का भी दाम्पत्य जीवन सदैव सुखमय रहता है। उससे देवता भी प्रसन्न रहते है , उसका और उस घर के बुजुर्गो का स्वास्थ्य ठीक बना रहता है। वह जीवन के अंतिम समय तक भी बिस्तर पर रोगी बनकर नहीं रहते है अर्थात उनका शरीर उनका साथ देता है। सास बहु को अपनी बेटी की तरह प्यार करे, गलती होने पर डांटे भी, पर अपमान नही करे, उसके परिवार का कभी उलाहना नही दे । एक बहु सब सहन कर सकती हैं पर बात जब उसके मायके की आती हैं सहन नही कर पाती हैं। जिस घर मे बहु का सम्मान होता हैं, जँहा बहु को घर की लक्षमी समझा जाता हैं, उस घर मे सदैव बरकत बनी रहती हैं, और माँ अन्नपूर्णा का आशीर्वाद उस घर मे सदैव बना रहता हैं । बहु के सास के साथ सम्बन्ध 🔺🔺🔺🔺🔺🔺🔺🔺🔺 इसी तरह जो बहु अपने सास ससुर की अपने माता पिता के तरह सेवा करती है उसके स्वयं के माता पिता को कोई भी कष्ट नहीं उठाना पड़ता है। उनका बुढ़ापा बहुत आसानी से हँस खेल कर कट जाता है । जो बहु अपने सास ससुर और ससुराल वालो के साथ मिल कर रहती है उनका ध्यान रखती है उनका दिल नहीं दुखाती है, अर्थात घर में प्रेम और हर्ष के बीज को लगाकर उसकी देखभाल करती है उसे पौधे और वृक्ष का रूप देती है उसके पति - बच्चो पर कोई भी आकस्मिक विपदा नहीं आती है, उस परिवार में धन की कोई भी कमी नहीं होती है और उस स्त्री और उसके पति से रोग दूर दूर ही रहते है। उस परिवार के बच्चे भी उस प्रेम और सदभाव के वृक्ष की छावं में बड़े होकर अपने माता पिता के आज्ञाकारी होते है, उनकी सेवा करते है, अंत तक उनके साथ रहते है और उन्हें कोई भी कष्ट नहीं होने देते है। एक बहु को कभी भी सास ससुर की अवहेलना नही करना चाहिये। अपने माता पिता के तुल्य उनकी सेवा करना चाहिये । एक बहु को ये ध्यान रखना चाहिये की सास ससुर की सेवा करके जो बीज वो बो रही हैं, आने वाले समय मे वही उसको अपने बेटे बहु के रूप मे मिलेंगे ।