सोम प्रदोष व्रत कल, जानिए महत्व और पूजा विधि _ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव_ astroexpertsolution.com हिंदू धर्म में जितना महत्व एकादशी व्रत का है उतना ही प्रदोष व्रत का भी है। एकादशी व्रत में जहां भगवान विष्णु की आराधना की जाती है वहीं प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की एक साथ पूजा होती है। प्रदोष व्रत माह के दोनों पक्षों में आता है। इस बार 20 अप्रैल को सोम प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत का नाम उस दिन पड़ने वाले वार पर निर्भर करता है। जैसे सोमवार के दिन प्रदोष व्रत आने पर सोम प्रदोष, मंगलवार के दिन मंगल प्रदोष, बुधवार के दिन बुध प्रदोष, गुरुवार के दिन गुरु प्रदोष, शुक्रवार के दिन शुक्र प्रदोष, शनि के दिन प्रदोष और रविवार के दिन रवि प्रदोष। प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त सोम प्रदोष व्रत तिथि- 20 अप्रैल 2020 त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 20 अप्रैल को सुबह 12 बजकर 42 मिनट त्रयोदशी तिथि समाप्त- 21 अप्रैल को सुबह 3 बजकर 11 मिनट प्रदोष व्रत का फल सोमवार - इस प्रदोष व्रत को सोम प्रदोषम् या चन्द्र प्रदोषम् भी कहा जाता है। इस दिन साधक अपनी अभीष्ट कामना की पूर्त्ति के लिए शिव की साधना करता है। मंगलवार - इस प्रदोष व्रत को भौम प्रदोषम् कहा जाता है और इसे विशेष रूप से अच्छी सेहत और बीमारियों से मुक्ति की कामना से किया जाता है। बुधवार - बुध प्रदोष व्रत सभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने वाला होता है। गुरुवार - गुरुवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहते हैं। शत्रुओं पर विजय पाने और उनके नाश के लिए इस पावन व्रत को किया जाता है। शुक्रवार - इस दिन पड़ने वाले व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन किए जाने वाले प्रदोष व्रत से सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वरदान मिलता है। शनिवार - इस प्रदोष व्रत को शनि प्रदोषम् कहा जाता है। इस दिन इस पावन व्रत को पुत्र की कामना से किया जाता है। रविवार - रविवार के दिन किया जाने वाला प्रदोष व्रत लंबी आयु और आरोग्य की कामना से किया जाता है। प्रदोष व्रत की पूजा विधि प्रदोष व्रत पर भगवान शिव को जल चढ़ाकर शिव के मंत्र जपें। इसके बाद पूरे दिन निराहार रहते हुए प्रदोषकाल में भगवान शिव को शमी, बेल पत्र, कनेर, धतूरा, चावल, फूल, धूप, दीप, फल, पान, सुपारी आदि चढ़ाएं। *ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव*