Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 94150 87711
*अपनो से अपनी बात*
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जन्म कुंडली के अवलोकन मैं कई बार ऐसे जातक भी आते हैं, जब हम जानते कि इसका कुछ नही हो सकता, क्योकि इसे ईश्वर की मार पड़ी है, अपनो का श्राप मिला । लेकिन जातक को अगर बता भी दिया कि भई हम कुछ नही कर सकते लेकिन वो कब मानता ,मन मारकर कुछ उपाय बताने पडते हैं,जो कि उसकी मन की संतुष्टि मात्र के लिये दिये जाते हैं।
आइये इसे आज विस्तार से समझाता हूं। एक कल्पना कीजिये कि आपके पिताजी ने आपके बैंक खाते में 10 लाख रुपये जमा किये ,अब आप उन रुपयो को धीरे धीरे खर्च करे या जल्दी खर्च करे, वो बढेगे नही।हां बस बैंक में जमा रहने पर ब्याज मिलता रहेगा।
अब समझो। आपका जन्म जब होता हैं तो पूर्व जन्म के कर्म अनुसार ईश्वर इस धरती पर जब भेजता है तो आपकी जिंदगी कितनी होगी से लेकर आपके जीवन में कितना सुख आएगा, कितना दुख आएगा, कब समस्या रहेगी ,कब खुशी मिलेगी सब लेखा जोखा तैयार कर लिया करता और भेज देता हैं।
अब इस धरती पर 2 तरह के लोग होते है एक पुण्यात्मा और एक पापी।
अब होता यूं है कि एक पापी इंसान भयंकर पाप किये जा रहा ,किंतु मस्त, ऐश्वर्य भरी जिंदगी जी रहा। वन्ही दूसरी और एक धर्मात्मा, सुबह शाम भगवान की पूजा करने वाला, हर पल ईश्वर का नाम जपने वाला परेशान पर परेशान हो जाता है।ऐसा क्यों।
दरअसल आप जब कोई वृक्ष लगाते तो वो फल तुरन्त नही देता। हो सकता आपके जीवन से जाने के बाद उसमें फल आये इसी प्रकार आपके किये गए कर्म जो इस जन्म में किये उसका फल तुरन्त नही मिलता,या जो आप पाप करते,,दुराचार करते, उसकी तकलीफ अभी नही मिलती ये सब ब्याज समेत अगले जन्म के लिये जमा हो गयी।
अब फिर से समझते कि आप सोचेंगे कि जब तकलीफ ही किस्मत में लिखी तो जो भुगतना भुगत लेंगे, भगवान की प्रार्थना क्यो करे।
हालांकि लेख बढा हो रहा फिर भी मैं हँस जैन आपको समझाने की कोशिश करता हूं।
अब ईश्वर ने आपके खाते में 10 लाख रुपये जमा किये जो आपको 65 वर्ष तक कि उम्र में खर्च करना है, अब उसमें भी भगवान ने लिख दिया कि 64 वर्ष की उम्र तक आपको मात्र 1 लाख की क़िस्त मिलेगी बाकी 65 वें वर्ष में 9 लाख मिलेंगे।
अब जो 9 लाख 65 वें वर्ष में मिलेंगे, आप उसका भोग करने लायक नही रहोगे, क्योकि तब तक आप कमजोर,लाचार,हो जाओगे।
तो इसलिये जब हम भगवान की शरण मे जाते या स्मरण करते,या उनका ध्यान करते तो ईश्वर प्रसन्न होकर आपके जमा खाते की क़िस्त जल्दी रिलीज कर देता। ईश्वर आपको कोई अलग से क़िस्त नही रिलीज करता।
अब एक और खास बात की जब भी आपको तकलीफ आती,कोई गम्भीर बीमारी लग गयी, आप ईश्वर का नाम ले रहे,बार बार बोल रहे है भगवान मुझे उठा ले, लेकीन आप बिस्तर पर तड़फ तड़फ करते रह जाये, घर वाले आपसे घृणा करने लग जाये, आपके कमरे में भी कोई नही आये, लेकिन आप फिर भी नही मरेंगे। क्योकि आपके पापो की सजा खत्म होने को अभी समय है।
अब आखरी खास बात, यदि आप जिंदगी से हताश होकर आत्महत्या कर भी लेते है, तो भी इस जन्म के पाप जो शेष थे,अगले जन्म में ब्याज समेत चुकाने हेतु तैयार रहे।
इसलिये जो मिला उसमे खुश रहे, भगवान का हरपल, हर हाल में शुक्रिया अदा करते रहे,कोई तकलीफ हो तो ईश्वर से प्रार्थना करे कि हे ईश्वर मैं अपने पापों की सजा इसी जन्म में भुगतने को तैयार हूं, बस आप मुझे अपनी शरणागत में रखना, कभी भी मैं अपना नीतिगत मार्ग न छोडूं और आपके दिये गए निर्णय पर संशय न करूं।
ये विचार मेरे व्यक्तिगत हैं, इसका किसी ग्रन्थ, धर्म मे उल्लेख नही है
धन्यवाद । ईश्वर आपके जीवन की तकलीफों को सहन करने की हर पल शक्ति प्रदान करे।
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