स्त्री और पुरुष दोनों के जीवन में..
बरगद का जादुई और आयुर्वेदिक महत्त्व...! Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 94150 877 11923 57 22996!
● बरगद भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है।
● बरगद को अक्षय वट भी कहा जाता है, बरगद का वृक्ष घना एवं फैला हुआ होता है।
● इसकी शाखाओं से जड़े निकलकर हवा में लटकती हैं तथा बढ़ते हुए जमीन के अंदर घुस जाती हैं एंव स्तंभ बन जाती हैं।
बरगद के वृक्ष की शाखाएं और जड़ें एक बड़े हिस्से में एक नए पेड़ के समान लगने लगती हैं।
● इस विशेषता और लंबे जीवन के कारण इस पेड़ को अनश्वंर माना जाता है।
इसके लाभ...
● बरगद की ताजी जड़ों के सिरों को काटकर पानी में कुचला जाए और रस को चेहरे पर लेपित किया जाए तो चेहरे से झुर्रियां दूर हो जाती हैं।
● बरगद के दूध की बून्द आँखों में नित्य प्रतिदिन डालने से आँख का जाला ख़त्म हो जाता है।
● बरगद की 8-10 कोंपलों को दही के साथ खाने से दस्त बंद हो जाते हैं।
● लगभग 20-30 ग्राम बरगद के पेड़ की छाल लेकर जौकूट करें और उसे आधा लीटर पानी के साथ काढ़ा बना लें। जब चौथाई पानी शेष रह जाए तब उसे आग से उतारकर छाने और ठंडा होने पर पीयें। रोजाना 4-5 दिन तक सेवन से मधुमेह रोग कम हो जाता है। इसका प्रयोग सुबह शाम करें।
● 20 ग्राम बरगद के कोमल पत्तों को 100 से 200 मिलीलीटर पानी में घोटकर रक्तप्रदर वाली स्त्री को सुबह शाम पिलाने से लाभ होता है। स्त्री या पुरुष के पेशाब में खून आता हो तो वह भी बंद हो जाता है।
● 10 ग्राम बरगद की जटा के अंकुर को 100 मिलीलीटर गाय के दूध में पीसकर और छानकर दिन में 3 बार स्त्री को पिलाने से रक्तप्रदर में लाभ होता है।
● 3 से 5 ग्राम बरगद की कोपलों का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम खाने से प्रमेह व प्रदर रोग खत्म होता है।
● लगभग 10 ग्राम बरगद की छाल, कत्था और 2 ग्राम काली मिर्च को बारीक पीसकर पाउडर बनाया जाए और मंजन किया जाए तो दांतों का हिलना, सड़न, बदबू आदि दूर होकर दांत साफ और सफ़ेद होते हैं। प्रतिदिन कम से कम दो बार इस चूर्ण से मंजन करना चाहिए।
● पेशाब में जलन होने पर बरगद की जड़ों 10 ग्राम का बारीक चूर्ण, जीरा और इलायची 2-2 ग्राम का बारीक चूर्ण एक साथ गाय के ताजे दूध के साथ मिलाकर लिया जाए तो अति शीघ्र लाभ होता है। यही फार्मूला पेशाब से संबंधित अन्य विकारों में भी लाभकारी होता है।
● पैरों की फटी पड़ी एड़ियों पर बरगद का दूध लगाया जाए तो कुछ ही दिनों फटी एड़ियां सामान्य हो जाती हैं और तालु नरम।
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