ज्योतिष शास्त्र में ' पंच महापुरुष योग ' वर्णित है । इन पांचों में से कोई एक योग होने पर भी जातक महापुरुष होता है एवं देश - विदेश में कीर्ति - लाभ करता है । इन पांच योगों के नाम हैं - रुचक , भद्र , हंस , मालव्य और शश योग । ♦️ इन योगों का अध्ययन करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सम्बन्धित ग्रह निर्मल ( किसी प्रकार से पीड़ित ना हो ) एवं प्रबल 5 से 25 अंश के मध्य हो ( ज्यादा प्रभावशाली 10 से 20 अंश तक होता है । ) यदि ग्रह निर्बल हों , तो सम्बन्धित योग होने पर भी वह पूर्ण फल नहीं देता तथा न अधिक प्रभावशाली ही होता है । 💢 रुचक योग 💢 मंगल अपनी ही राशि का होकर या मूल त्रिकोण अथवा उच्चराशि का होकर केन्द्र में स्थित हो , तो रुचक योग होता है । 👉 फल - रुचक योग में जन्म लेने वाला जातक शारीरिक दृष्टि से हष्ट - पुष्ट और बलिष्ठ होता है । वह अपने कार्यों से संसार में प्रसिद्ध होता है तथा स्वयं के अतिरिक्त देश की कीर्ति को भी उज्ज्वल करता है । वह राजा होता है अथवा राजा के तुल्य अपना जीवन व्यतीत करता है । ऐसा जातक अपने देश की संस्कृति एवं सभ्यता के प्रति पूर्णत : जागरूक और उसकी उन्नति के लिए निरन्तर प्रयत्नशील रहता है । अपने चुम्बकीय एवं प्रभावोत्पादक व्यक्तित्व के फलस्वरूप भक्त अथवा श्रद्धालुओं की भीड़ निरन्तर उसके इर्द - गिर्द रहती है तथा उसे सच्चे मित्र मिलते रहते हैं , जो सदैव उसके सहायक बने रहते हैं । ऐसे व्यक्ति का चरित्र उच्च कोटि का होता है । वह किसी भी प्रकार के प्रलोभन या दबाव में नहीं आते है । आर्थिक दृष्टि से संपन्न रहता है एवं जीवन में द्रव का कोई अभाव नहीं होता है , तथा वह दीर्घायु प्राप्त करता है । सेना या मिलिट्री में होने पर ऐसे व्यक्ति उच्च अधिकारी बनते हैं । Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 9415 0877 11 92357 22996 💢 परंतु मेरा अनुभव है कि इसके बारे में जितना बढ़ा चढ़ा कर शास्त्र में लिखा गया है ऐसा नहीं होता है । कुंडली में और भी भावों के एवं उनके स्वामियों की स्थिति अच्छी होने पर हीं श्रेष्ठ फल प्राप्त हो सकता है । 💢 💢 सभी लग्न में रूचक योग का निर्माण एवं उनका फलादेश 👇 👉1 - मेष लग्न में प्रथम भाव मे - शारीरिक स्वास्थ्य सौंदर्य सम्मान एवं प्रतिष्ठा में वृद्धि होती हैं । आयु में वृद्धि होती है । माता भूमि भवन के सुख में सामान्य परेशानी होती है । पत्नी एवं वैवाहिक जीवन का सुख प्राप्त होता है एवं मांगलिक योग का निर्माण होता है 👉2- मेष लग्न में दशम भाव में - पिता राज्य एवं रोजगार के क्षेत्र में सुख सम्मान एवं सफलता प्राप्त होती है। शारीरिक स्वास्थ्य सौंदर्य एवं सम्मान में वृद्धि होती है। माता भूमि भवन के सुख में कुछ परेशानी होती है । विद्या बुद्धि एवं संतान का सुख प्राप्त होता है । 👉3 - वृष लग्न में सप्तम भाव में - मांगलिक योग का निर्माण होता है मंगल स्वराशि में विराजमान है परंतु साथ में द्वादश भाव का स्वामी है स्व राशि में विराजमान होने के बाद भी वैवाहिक जीवन में समस्या होती है । परंतु जीवन साथी का सुख लंबे समय तक रहता है । 👉4 - कर्क लग्न में सप्तम भाव में - पत्नी एवं वैवाहिक जीवन का सुख प्राप्त होता है परंतु आपस में मतभेद भी चलता रहता है । मांगलिक योग का निर्माण होता है । पिता राज्य एवं रोजगार के क्षेत्र में सुख सम्मान एवं सफलता प्राप्त होती है । लग्न पर नीच राशि में दृष्टि के कारण शारीरिक स्वास्थ्य सम्मान प्रतिष्ठा में कमी तथा परेशानी होती है। द्वितीय भाव में दृष्टि के कारण धन एवं कुटुंब का सुख प्राप्त होता है । 👉5 - कर्क लग्न में दशम भाव में - पिता राज्य एवं रोजगार के क्षेत्र में सुख सम्मान एवं सफलता प्राप्त होती है । लग्न पर नीच राशि में दृष्टि के कारण शारीरिक स्वास्थ्य मैं परेशानी होती है । माता भूमि भवन का सुख प्राप्त होता है । विद्या बुद्धि एवं संतान का श्रेष्ठ सुख प्राप्त होता है । 👉6 - सिंह लग्न में चतुर्थ भाव में - माता भूमि भवन का श्रेष्ठ सुख प्राप्त होता है । पत्नी एवं वैवाहिक जीवन के सुख में परेशानियों का सामना करना पड़ता है । मतभेद बना रहता है । मांगलिक योग का निर्माण होता है । पिता राज्य एवं रोजगार के क्षेत्र में सुख सम्मान एवं सफलता प्राप्त होती है । आमदनी अच्छी होती है । 👉7 - तुला लग्न में चतुर्थ भाव में - माता भूमि भवन का सुख प्राप्त होता है । पत्नी एवं वैवाहिक जीवन का सुख प्राप्त होता है । दशम भाव में नीच राशि में दृष्टि के कारण पिता राज और रोजगार के क्षेत्र में कुछ परेशानी होती है । एकादश भाव में दृष्टि के कारण आमदनी में वृद्धि होती है। 👉8 - तुला लग्न में सप्तम भाव में - पति एवं वैवाहिक जीवन का सुख प्राप्त होता है । दशम भाव में नीच राशि में दृष्टि के कारण पिता राज्य में रोजगार के क्षेत्र में कुछ परेशानी होती है । लग्न पर दृष्टि के कारण स्वभाव उग्र होता है । शारीरिक स्वास्थ्य में कुछ परेशानी होती है । द्वितीय भाव में स्वराशि में दृष्टि के कारण धन एवं कुटुंब का श्रेष्ठ सुख प्राप्त होता है 👉9 - वृश्चिक लग्न में प्रथम भाव में - शारीरिक स्वास्थ्य सौंदर्य सम्मान एवं प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है । ऐसे व्यक्ति पराक्रमी होते हैं । स्वभाव उग्र होता है । शत्रु पक्ष पर प्रभाव रहता है । चतुर्थ भाव पर दृष्टि के कारण माता भूमि भवन के सुख में कठिनाई एवं परेशानी होती है । सप्तम भाव पर दृष्टि के कारण मांगलिक योग का निर्माण होता है । वैवाहिक जीवन का सुख प्राप्त होता है । आयु में वृद्धि होती है । 👉10 - मकर लग्न में प्रथम भाव में - शारीरिक स्वास्थ्य सम्मान एवं प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है । ऐसे व्यक्ति का स्वभाव उग्र होता है । आमदनी अच्छी होती है । माता भूमि भवन का सुख प्राप्त होता है । मांगलिक योग के कारण वैवाहिक जीवन में कठिनाई एवं परेशानी होती है । आयु में वृद्धि होती है । 👉 11 - मकर लग्न में चतुर्थ भाव में - माता भूमि भवन का श्रेष्ठ सुख प्राप्त होता है । मांगलिक योग के कारण वैवाहिक जीवन में परेशानी होती हैं । पिता राज्य एवं रोजगार के क्षेत्र में सुख सम्मान एवं सफलता प्राप्त होती है । आमदनी बहुत अच्छी होती है । 👉12 - कुम्भ लग्न में दशम भाव में - पिता राज्य एवं रोजगार के क्षेत्र में सुख सम्मान एवं सफलता प्राप्त होती है। भाई-बहन का सुख प्राप्त होता है । पराक्रम में वृद्धि होती है । शारीरिक स्वास्थ्य मैं परेशानी होती है । माता भूमि भवन का शुभ प्राप्त होता है । विद्या बुद्धि के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है परंतु संतान से संबंधित कुछ परेशानी होती है ।