*आज तुलसी विवाह कार्तिक शुक्ल पक्ष अर्थात एकादशी 8 नवंबर , विवाह का शुभ मुहूर्त संध्या समय में 5:30 बजे से लेकर रात्रि पर्यंत है तुलसी विवाह कराने से कन्यादान का लाभ मिलता है। जिसे हिंदू धर्म से सबसे बड़ा दान भी माना जाता है। तुलसी विवाह कार्तिक मास शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि में ही करनी चाहिए तुलसी विवाह का महत्व- तुलसी विवाह को हिंदू धर्म के अनुसार अधिक महत्व दिया जाता है। तुलसी विवाह के दिन शालिग्राम को भगवान विष्णु का स्वरूप मानकर पूजा की जाती है और माता तुलसी के साथ विवाह किया जाता है। पुराणों के अनुसार देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु अपनी चार माह की नींद पूरी करके उठते हैं। जिसके बाद से ही सभी शुभ कामों की शुरुआत हो जाती है। तुलसी के पौधे की पूजा प्रत्येक घर में होती है। हिंदू धर्म के अनुसार तुलसी पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। इसलिए प्रत्येक घर में तुलसी विवाह को अधिक महत्व दिया जाता है।तुलसी विवाह को शालिग्राम से सनातन धर्म के अनुसार पूरे विधि - विधान से कराया जाता है। तुलसी विवाह के दिन कन्या दान भी किया जाता है। क्योंकि कन्या दान को सबसे बड़ा दान माना जाता है। 1.तुलसी विवाह के दिन सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठें। इसके बाद स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। 2.तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पौधे को लाल चुनरी ओढ़ाएं। 3.इसके बाद तुलसी के पौधे पर श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाएं।इसके बाद पत्थर रूपी शालिग्राम को तुलसी के पौधे के साथ स्थापित करें। 4.शालिग्राम को स्थापित करने के बाद तुलसी के पौधे का विधिवत की पंडित जी से विवाह कराएं. 5. तुलसी विवाह में तुलसी के पौधे और शालिग्राम की सात परिक्रमा कराएं और अंत में तुलसी जी की आरती गाएं। तुलसी विवाह व्रत कथा- पौराणिक कथा के अनुसार राक्षस कुल में एक अत्यंत ही सुदंर कन्या का जन्म हुआ। जिसका नाम वृंदा रखा गया। वृंदा बचपन से ही भगवान विष्णु की पूजा करती थी और उनकी बहुत बड़ी भक्त भी थी। वह कन्या जैसे ही बड़ी हुई उसका एक असुर जलंधर से विवाह हो गया। वृंदा की भक्ति के कारण जलंधर को और भी ज्यादा शक्तियां प्राप्त हो गई। जलंधर वृंदा की भक्ति के कारण इतना शक्तिशाली हो गया था कि वह न केवल मनुष्य और देवताओं पर बल्कि राक्षसों पर भी अत्याचार करने लगा था। वह इतना बलशाली हो गया था कि उसे हरा पाना किसी के भी वश में नहीं था। सभी देवी- देवता इस समस्या के निदान के लिए भगवान विष्णु की शरण मे गए और मदद मांगने लगे। देवाताओं को इस समस्या से निकालने के लिए भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण कर लिया और वृंदा का पतिव्रता धर्म नष्ट कर दिया। जिसकी वजह से जलंधर की शक्तियां कम हो गई और वह युद्ध में मारा गया। जिसके बाद वृंदा ने भगवान विष्णु के इस छल के कारण उन्हें पत्थर हो जाने का श्राप दे दिया। जिसके बाद सभी देवी- देवताओं ने वृंदा से अपना श्राप वापस लेने का आग्रह किया। वृंदा ने अपना श्राप तो वापस ले लिया। लेकिन खुद को अग्नि में भस्म कर लिया। भगवान विष्णु ने वृंदा की राख से एक पौधा लगाया और उसे तुलसी नाम दे दिया और यह भी कहा कि मेरी पूजा के साथ के पृथ्वीं के अंत तक तुलसी की भी पूजा होगी। कन्यादान का फल देता है तुलसी विवाह- तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के दिन पड़ता है। तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पौधे का विवाह शालिग्राम के साथ किया जाता है। यह दिन उन लोगों के लिए विशेष फलदायी होता है। जिनके घर में बेटियां नही होती।माता-पिता विवाह के समय कन्यादान करते हैं। जिसे सबसे बड़ा दान भी माना जाता है। लेकिन जिनके घर में कन्याएं नहीं होती। वह इस दिन विधि पूर्वक तुलसी का विवाह कर सकते हैं और कन्यादान का पुण्य कमा सकते हैं। इसी कारण तुलसी विवाह को अत्याधिक महत्व दिया जाता है। तुलसी के पौधे का औषधीय महत्व- तुलसी के पौधे में बहुत अधिक गुण होते हैं। तुलसी की पत्तियों को चाय में डालने से उसका स्वाद अत्याधिक बढ़ जाता है। इसके साथ ही तुलसी शरीर में ऊर्जा बढ़ाने का काम भी करती हैं। तुलसी रोगों से लड़ने मे भी अत्याधिक फायदेमंद होती है। तुलसी के इसी गुण के कारण इसका प्रयोग दवाईयों में भी अत्याधिक होता है। तुलसी के पौधे का धार्मिक महत्व- तुलसी का धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है। तुलसी भगवान विष्णु को अत्याधिक प्रिय है।इसलिए तुलसी के पत्ते से भगवान विष्णु की पूजा करने पर अत्याधिक लाभ प्राप्त होता है। मुख्य रूप से एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। लेकिन भगवान गणेश की पूजा में तुलसी का बिल्कुल भी प्रयोग नहीं किया जाता। घर में कैसे करें तुलसी का विवाह- 1.-तुलसी विवाह शाम के समय यानि गोधूलि बेला में ही करें। इसके बाद तुलसी के गमले पास गेरु से रंगोली बनाएं। 2.- इसके बाद गन्ने से तुलसी जी और शालिग्राम के विवाह का मंडप सजाएं। 3. इसके बाद एक चौकी पर तुलसी का गमला और दूसरी चौकी पर शालिग्राम या भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।तुलसी जी को शालिग्राम के दाईं और स्थापित करें। 4.- इसके बाद शालिग्राम जी की चौकी पर अष्टदल कमल बनाकर उस पर कलश की स्थापना करें और उस पर स्वास्तिक बनाएं। 5.-इसके बाद आम के पत्तों पर रोली से तिलक करके उसे कलश पर स्थापित करके उस पर लाल कपड़े में लपेटकर नारियल को रखें। 6.-इसके बाद तुलसी जी के आगे घी का दीपक जलाएं। क्योंकि अग्नि को साक्षी मानकर ही तुलसी जी का विवाह कराया जाता है। 7.-इसके बाद गंगाजल में फूल डुबोकर ऊं तुलसाय नम: मंत्र का जाप करते हुए गंगाजल का छिड़काव तुलसी जी पर करें। 8.-इसके बाद उसी फूल और गंगाजल से ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करते हुए गंगाजल को शालिग्राम या भगवान विष्णु की प्रतिमा पर छिड़कें। 9. इसके बाद तुलसी जी को रोली और शालिग्राम जी को चंदन का तिलक करें. 10.इसके बाद दूध में हल्दी डालकर तुलसी जी और शालिग्राम को लगाएं। 💐💐💐💐💐 शास्त्रों के अनुसार बताई गई तुलसी के संबंध में 8 खास बातें…* 🌿 1. इन दिनों में नहीं तोड़ना चाहिए तुलसी के पत्ते- शास्त्रों के अनुसार तुलसी के पत्ते कुछ खास दिनों में नहीं तोड़ने चाहिए। ये दिन हैं अमावश्या, पूनम, एकादशी,द्ववादशी, रविवार और सूर्य या चंद्र ग्रहण काल। इन दिनों में और रात के समय तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। बिना उपयोग तुलसी के पत्ते कभी नहीं तोड़ने चाहिए। ऐसा करने पर व्यक्ति को दोष लगता है। अनावश्यक रूप से तुलसी के पत्ते तोड़ना, तुलसी को नष्ट करने के समान माना गया है। 🌿 2. रोज करें तुलसी का पूजन- हर रोज तुलसी पूजन करना चाहिए साथ ही यहां बताई जा रही सभी बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। साथ ही, हर शाम तुलसी के पास दीपक लगाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि जो लोग शाम के समय तुलसी के पास दीपक लगाते हैं, उनके घर में महालक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। 🌿 3. तुलसी से दूर होते हैं वास्तु दोष- तुलसी घर-आंगन में होने से कई प्रकार के वास्तु दोष भी समाप्त हो जाते हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति पर शुभ असर होता है। 🌿 4. तुलसी का पौधा घर में हो तो नहीं लगती है बुरी नजर- ऐसी मान्यता है कि तुलसी का पौधा होने से घर वालों को बुरी नजर प्रभावित नहीं कर पाती है। साथ ही, सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय नहीं हो पाती है। सकारात्मक ऊर्जा को बल मिलता है। 🌿 5. तुलसी का सूखा पौधा नहीं रखना चाहिए घर में- यदि घर में लगा हुआ तुलसी का पौधा सूख जाता है तो उसे किसी पवित्र नदी में या तालाब में या कुएं में प्रवाहित कर देना चाहिए। तुलसी का सूखा पौधा घर में रखना अशुभ माना जाता है। 🌿 6. सूखा पौधा हटाने के बाद तुरंत लगा लेना चाहिए तुलसी का दूसरा पौधा- एक पौधा सूख जाने के बाद तुरंत ही दूसरा तुलसी का पौधा लगा लेना चाहिए। सूखा हुआ तुलसी का पौधा घर में होने से बरकत पर बुरा असर पड़ सकता है। इसी वजह से घर में हमेशा पूरी तरह स्वस्थ तुलसी का पौधा ही लगाया जाना चाहिए। 🌿 7. तुलसी है औषधि भी- तुलसी का धार्मिक महत्व तो है, साथ ही आयुर्वेद में इसे संजीवनीबूटी के समान माना जाता है। तुलसी में कई ऐसे गुण होते हैं जो कई बीमारियों को दूर करने और उनकी रोकथाम करने में सहायक हैं। तुलसी का पौधा घर में रहने से उसकी सुगंध वातावरण को पवित्र बनाती है और हवा में मौजूद बीमारी फैलाने वाले कई सूक्ष्म कीटाणुओं को नष्ट कर देती है। 🌿 8. रोज तुलसी की एक पत्ती सेवन करने से मिलते हैं ये फायदे- तुलसी की सुंगध हमें श्वास संबंधी कई रोगों से बचाती है। साथ ही, तुलसी की एक पत्ती रोज सेवन करने से हम सामान्य बुखार से बचे रहते हैं। मौसम परिवर्तन के समय होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से बचाव हो सकता है। तुलसी की पत्ती सेवन करने से हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता काफी बढ़ जाती है, लेकिन हमें नियमित रूप से तुलसी की पत्ती का सेवन करते रहना चाहिए।