हनुमान जन्मोत्सव विशेष l आज 8 मार्च दिन बुधवार को हनुमान जी का जन्मदिन है हनुमानजी एक ऐसे देवता हैं जो थोड़ी सी प्रार्थना और पूजा से ही शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। वो अष्ट सिद्धि और नौ निधियों के दाता हैं अर्थात हनुमानजी को प्रसन्न कर आप धन, संपत्ति, विद्या, स्वास्थ्य, वैभव, संतान सभी कुछ प्राप्त कर सकते हैं। ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र 94 15 08 7711 हनुमानजी का जन्म मंगलवार के दिन ही हुआ था। इसलिए मान्यता है कि मंगलवार के दिन विशेष उपाय करने से हनुमानजी शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं। ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव 92357 22996 मंगलवार के दिन हनुमानजी को प्रसन्न करने के कुछ खास उपाय हैं। ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र के मुताबिक इन उपायों से आपकी हर समस्या का समाधान हो सकता है और मनोकामनाएं भी पूरी हो सकती हैं। आइए जानें इन उपायों के बारे में... astroexpertsolutions.com यह हैं उपाय:- हनुमानजी भगवान शिव के अवतार हैं। हनुमानजी एक ऐसे देवता हैं जो थोड़ी सी प्रार्थना और पूजा से ही शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। वो अष्ट सिद्धि और नौ निधियों के दाता हैं अर्थात हनुमानजी को प्रसन्न कर आप धन, संपत्ति, विद्या, स्वास्थ्य, वैभव, संतान सभी कुछ प्राप्त कर सकते हैं। हनुमानजी की आराधना की विधि: साम्रगी- एक चौकी, लाल कपड़ा, हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर, रोली, चावल, अगरबत्ती, ताजा बना भोजन, नारियल, गुड़-चना, गंगा जल, पुष्प, फल आदि। >> सबसे पहले स्नान कर पूजन स्थल को साफ करें और उस पर चौकी बिछायें। >> चौकी पर लाल कपड़ा अच्छी तरह बिछा लें। फिर चौकी के चारे ओर गंगाजल छिडक़ें। उसके बाद हाथ धोलें। >> भगवान गणेश से प्रार्थना करें कि वो आपकी इस हनुमान पूजा को सफल बनाएं। >> अब हनुमान जी का चित्र स्थापित करें और घी का दीपक व अगरबत्ती जलाएंं। >> हनुमान जी को रोली-अक्षत से तिलक करके उनके समक्ष पुष्प, नारियल और सिंदूर अर्पित करें। astroexpertsolutions.com >> इसके बाद हनुमान जी को ताजा बना भोजन, शुद्ध जल, चना गुड़, और फल अर्पित करते हुए हनुमान जी से प्रार्थना करें कि अज्ञानवश जो कुछ भी गलती आपसे हो गई हो उसे क्षमा कर वो आपकी पूजा को स्वीकार करने विराजमान हों। >> रूद्राक्ष की माला से हनुमान जी के मंत्र "ऊँ हं हनुमते नम:" का 108 बार जाप करें। >> इसके अतिरिक्त आप हनुमानजी के इन मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। "ऊँ नमो भगवते आत्र्जनेयाय महाबलाय स्वाहा।" रामायण की चैपाइयों से कीजिए अपने मनोरथ को पूर्ण :- अब आप अपनी प्रार्थना को को हनुमानजी जी को बताते हुए रामायण की अपनी मनोरथ के अनुसार रामायण की निम्न चैपाइयों का जाप कर सकते हैं। 1. हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए - "सुमिरि पवनसुत पावन नामू। अपने बस करि राखे रामू।।" 2. परेशानी को दूर करने के लिए - "संकट कटे मिटे सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।" 3. नौकरी पाने के लिए/व्यापार में वृद्धि के लिए - विश्व भरण पोषण कर जोई। ताकर नाम भरत अस होई।। 4. शिक्षा में सफलता के लिए - बुद्धिहीन तनु जानि के सुमिरो पवन कुमार। बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार।। 5. मुकदमे में जीत के लिए - पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि बिबेक बिग्यान निधाना।। 6. रोग दूर करने के लिए - लाय संजीवन लखन जियाय। श्री रघुवीर हरषि उर लाए।। 7. टोटकों से बचने के लिए - भूत पिशाच निकट नहीं आवे। महावीर जब नाम सुनावै।। 8. राजपद प्राप्त करने के लिए - तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा। राम मिलाय राजपद दीन्हा।। 9.सभी कार्य में सफलता के लिए - अतुलित बल धामं हेम शैलाभदेहं, दनुज वनकृशानुं ज्ञानिनामग्रण्यम। सकल गुण निधानं वानराणम धीशं, रघुपति प्रिय भक्तं वातजातं नमामि।। अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए उससे संबंधित चैपाई का 108 बार जाप करें और उसके बाद कम से कम 21 दिन तक यह क्रिया दोहराएं। ऐसा करने से पवनपुत्र प्रसन्न होकर आपको आपकी मनोरथ पूर्ण होने का वरदान देते हैं। हनुमान जी को अधिकतर भक्त चोला चढ़ाते है, कहा जाता है इससे प्रसन्न होकर हनुमानजी मनोकामना पूरी करते हैं। ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र के अनुसार हनुमान जी को चोला चढ़ाते समय कई प्रकार की सावधानियां तो रखनी ही चाहिए साथ ही एक निश्चित विधि से भी चोला चढ़ाना चाहिए। ऐसे चढ़ाएं चोला: - हनुमान जी की सिंदूरी प्रतिमा पर सिन्दूर को घी या चमेली के तेल में घोलकर लेप करने को चोला चढ़ाना कहते हैं। हनुमान जी को सिंदूर बहुत प्रिय है इसलिए ऐसा करने वाले व्यक्ति से हनुमान जी अत्यंत प्रसन्न होकर उसकी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं। >> मंगलवार को हनुमान जी पर घी का चोला चढ़ता है और शनिवार को चमेली के तेल का चोला चढ़ता है। >> चोला चढ़ाने के बाद पुजारी की उपस्थिति में हनुमान जी की प्रतिमा का श्रृंगार करें। इसके लिए बाज़ार से चांदी की बरक खरीदकर धीरे-धीरे एक-एक करके हनुमान जी की प्रतिमा पर लगाएं। >> इसके बाद हनुमान जी को गुलाब की माला अर्पित करें और जनेऊ पहनाएं व बेसन के लड्डुओं का भोग लगाएं। >> इसके पश्चात हनुमान जी की आरती उतारें और यथा संभव दक्षिणा मंदिर में चढ़ायें। हनुमान जी के चरणों के सिन्दूर को अपने मस्तक पर लगाएं।मान्यता है कि इतना कर लेने भर से हनुमान जी प्रसन्न हो जाते हैं और जीवन के हर कष्ट को दूर कर देते हैं। ऐसे करें हनुमान चालीसा से प्रसन्न :-------; >> हनुमान चालीसा में 40 छंद होते हैं। इसलिए ही इसे हनुमान चालीसा कहते हैं। >> इसका प्रत्येक छंद एक मंत्र की भांति कार्य करता है। इसलिए इसका पाठ करने से पहले स्वयं को स्वच्छ रखना अति जरूरी है। >> हनुमान चालीस का पाठ सुबह-शाम हनुमान जी की प्रतिमा के समक्ष दीपक प्रज्जवलित कर करें। >> इसके के पाठ से भय, संकट, कष्ट दूर हो जाते हैं और हनुमानजी मनोरथ को सफल करते हैं। >> किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए हनुमान चालीसा का एक साथ बिना रूके 108 बार पाठ भी किया जाता है। इसके लिए रूद्राक्ष की माला का प्रयोग करें। हनुमानजी को प्रसन्न करने के अन्य उपाय:------ 1. परिवार सहित माह में कम से एक बार सुन्दरकांड का पठ करने से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा माना जाता है कि नियमित हनुमान अष्टक का पाठ सभी संकटों को दूर करता है। वहीं मंदिर में उनके दर्शन करने से भी हनुमानजी प्रसन्न हो जाते हैं। उपासना में इन बातों का रखें ध्यान:------ 1. ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें। 2. सदैव स्नान आदि करके ही पूजन करें। अपवित्रता से पूजन का फल प्राप्त नहीं होता है। 3. जो भी उपासना कर रहे हैं उसमें नियमितता अवश्य रखें यानि प्रतिदिन उसी वक्त उपासना शुरू करें। 4. उपासना करते वक्त सांसारिक बातों को भूलकर हनुमानजी के चित्र का ही ध्यान करें। 5. अपनी उपासना के बारे में सभी नहीं बताएं। ६. पूजा के समय हनुमान जी के जिस मंत्र का जाप कर रहे हैं, उनके उसी रूप का ध्यान करें। हनुमान जी के सिद्ध चमत्कारी मंत्र :-------- भय नाश करने के लिए : - ‘हं हनुमंते नम:’ प्रेत भुत बाधा दूर करने के लिए :------ ‘हनुमन्नंजनी सुनो वायुपुत्र महाबल:। अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते।।’ द्वादशाक्षर हनुमान मंत्र : -‘ऊँ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।’ मनोकामना पूर्ती के लिए :------- ‘महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते। हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये।।’ शत्रुओ और रोगों पर विजय पाने के लिए :------ ‘ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।’ संकट दूर करने के लिए : ------ ‘ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।’ कर्ज से मुक्ति के लिए : - ‘ऊँ नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा।’ कलयुग के जागृत देव हैं हनुमान जी : श्रीरामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरित मानस लिखने से पहले हनुमान चालीसा लिखी थी और फिर हनुमान की कृपा से ही वे श्रीरामचरित मानस लिख पाए। ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र के अनुसार हनुमान चालीसा को ध्यान से पढऩे और समझने के बाद पता चलता है कि हनुमान ही इस कलियुग के जागृत देवता हैं, जो भक्तों के सभी तरह के कष्ट को दूर करने के लिए तुरंत ही प्रसन्न हो जाते हैं। astroexpertsolutions.com हनुमान जी के कौन से पाठ से क्या लाभ : 1. हनुमान चालीसा : जो व्यक्ति नित्य सुबह और शाम हनुमान चालीसा पढ़ता रहता है, उसे कोई भी व्यक्ति बंधक नहीं बना सकता। उस पर कारागार का संकट कभी नहीं आता। यदि किसी व्यक्ति को अपने कर्मों के कारण जेल हो गई है, तो उसे संकल्प लेकर क्षमा-प्रार्थना करनी चाहिए और आगे से कभी इस प्रकार के काम पुन: नहीं करने का वचन देते हुए हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें। 2. बजरंग बाण : बहुत से व्यक्ति अपने कार्य या व्यवहार से लोगों को रुष्ट कर देते हैं, इससे उनके शत्रु बढ़ जाते हैं। कुछ लोगों को स्पष्ट बोलने की आदत होती है जिसके कारण उनके गुप्त शत्रु भी होते हैं। यह भी हो सकता है कि आप सभी तरह से अच्छे हैं फिर भी आपकी तरक्की से लोग जलते हो और आपके विरुद्ध षड्यंत्र रचते हो। बुरे समय में यदि आप सच्चे हैं तो श्री बजरंग बाण आपको बचाता है और शत्रुओं को दंड देता है। बजरंग बाण से शत्रु को उसके किए की सजा मिल जाती है, लेकिन इसका पाठ एक जगह बैठकर अनुष्ठानपूर्वक 21 दिन तक करना चाहिए और हमेशा सच्चाई के मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए, क्योंकि हनुमान जी सिर्फ पवित्र लोगों का ही साथ देते हैं। माना जाता है 21 दिन में इसका तुरंत फल मिलता है। 3. हनुमान बाहुक : यदि आप गठिया, वात, सिरदर्द, कंठ रोग, जोड़ों का दर्द आदि तरह के दर्द से परेशान हैं, तो जल का एक पात्र सामने रखकर हनुमान बाहुक का 26 या 21 दिनों तक मुहूर्त देखकर पाठ करें। प्रतिदिन उस जल को पीकर दूसरे दिन दूसरा जल रखें। मान्यता है कि ऐसा करने से हनुमान जी की कृपा से शरीर की समस्त पीड़ाओं से आपको मुक्ति मिल जाएगी। 4. हनुमान मंत्र : यदि आप अंधेरे, भूत-प्रेत से डरते हैं या किसी भी प्रकार का भय है तो आप 'हं हनुमंते नम:' का रात को सोने से पूर्व हाथ-पैर और कान-नाक धोकर पूर्वाभिमुख होकर 108 बार जप करके सो जाएं। कुछ ही दिनों में धीरे-धीरे आपमें निर्भीकता का संचार होने लगेगा। 5. हनुमान मंदिर : हर मंगलवार व शनिवार को हनुमान मंदिर में जाकर गुड़ और चना अर्पित करें और घर में सुबह-शाम हनुमान चालीसा का पाठ करें। पाठ करने के पहले और बाद में आधे घंटे तक किसी से बात न करें। जब 21 दिन पूरे हो जाएं, तो हनुमान जी को चोला चढ़ाएं। मान्यता है ऐसा करने से हनुमान जी तुरंत ही घर में सुख-शांति कर देते हैं। 6. शनि ग्रह पीड़ा से मुक्ति : हनुमान जी की जिस पर कृपा होती है, उसका शनि और यमराज भी बाल बांका नहीं कर सकते। आप शनि ग्रह की पीड़ा से छुटकारा पाना चाहते हैं कि प्रति मंगलवार हनुमान मंदिर जाएं और शराब व मांस के सेवन से दूर रहें। इसके अलावा शनिवार को सुंदरकांड या हनुमान चालीसा पाठ करने से शनि भगवान आपको लाभ देने लगेंगे। 7. हनुमान जी का शाबर मंत्र : हनुमान का शाबर मंत्र अत्यंत ही सिद्ध मंत्र माना जाता है। इसके प्रयोग से हनुमान जी तुरंत ही आपके मन की बात सुन लेते हैं। इसका प्रयोग तभी करें जबकि यह सुनिश्चित हो कि आप पवित्र व्यक्ति हैं। यह मंत्र आपके जीवन के सभी संकटों और कष्टों को तुरंत ही चमत्कारिक रूप से समाप्त करने की क्षमता रखता है। हनुमान जी के कई शाबर मंत्र हैं जो अलग-अलग कार्यों के लिए हैं। हनुमान की अष्ठ सिद्धियां : 1. अणिमा सिद्धि - यह ऐसी सिद्धि है जिससे व्यक्ति सूक्ष्म (बहुत छोटा) रूप धरना कर सकता है। इसी सिद्घि से हनुमान जी ने सीता को अपना सूक्ष्म रुप दिखा था। हनुमान चालीसा के दोहा में भी इसका उल्लेख है 'सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा'। 2. महिमा सिद्धि - अणिमा के विपरीत इस सिद्धि से धारक विशाल रूप धारण कर सकता है। इतना बडा कि सारे जगत को ढक ले। जैसे श्री कृष्णा का विराट स्वरूप। 3. गरिमा सिद्धि - इस सिद्धि से शरीर को जितना चाहे भारी बनाया जा सकता है। इस सिद्घि से ही हनुमान जी ने अपनी पूंछ को इतना भारी बना दिया था कि भीम उसे हिला भी नहीं सके। 4. लघिमा सिद्धि - गरिमा के विपरीत इस सिद्धि से अपने आप को इच्छानुरूप हल्का बना सकता है। इतना हल्का जैसे रूई का फाहा फिर इस रूप में वह गगनचारी बन कहीं भी क्षणांश में आ-जा सकता है। 5. प्राप्ति सिद्धि - यह सिद्धि अपनी इच्छित वस्तु की प्राप्ति में सहायक होती है। जानवरों, पक्षियों और अनजान भाषा को भी समझा सकता है, भविष्य को देख सकता है तथा किसी भी कष्ट को दूर करने की क्षमता पा लेता है। अपनी इस सिद्धि के कारण हनुमान जी परम संतोषी हुए। उन्होंने भगवान राम के द्वारा दिए मोतियों को भी कंकड़ के समान माना और राम की भक्ति में लीन रहे। 6. प्राकाम्य सिद्धि - इसकी उपलब्धि से इसका धारक इच्छानुसार पृथ्वी में समा और आकाश में उड सकता है। चाहे जितनी देर पानी में रह सकता है। इच्छानुरूप देह धारण कर सकता है तथा किसी भी शरीर में प्रविष्ट होने की क्षमता व चिरयुवा रहने की सिद्धि प्राप्त कर लेता है। 7. ईशित्व सिद्धि - इस सिद्धि से व्यक्ति में ईश्वरत्व का वास हो जाता है। व्यक्ति में ईश्वर की शक्ति आ जाती है और वह पूजनीय हो जाता है। इसी सिद्घि के कारण हनुमान जन-जन के पूजनीय हैं। 8. वशित्व सिद्धि - यह आठवीं और अंतिम सिद्धि है। इस सिद्धि को प्राप्त करके किसी को भी अपने वश में किया जा सकता है। भयानक जंगली पशू-पक्षियों, इंसानों किसी को भी अपने वश में कर अपनी इच्छानुसार व्यवहार करवाने की शक्ति हासिल हो जाती है। हनुमान जी ने अपनी इस सिद्घि से मन, वचन काम, क्रोध, आवेश, राग-अनुराग वश में कर लिया था। इन्हीं सिद्घियों ने हनुमान जी को महावीर बनाया। हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष : परंपरागत रूप से हनुमान को बल, बुद्धि, विद्या, शौर्य और निर्भयता का प्रतीक माना जाता है। संकटकाल में हनुमानजी का ही स्मरण किया जाता है, इसलिए वह संकटमोचन भी कहलाते हैं। हनुमान को शिवावतार अथवा रुद्रावतार भी माना जाता है। रुद्र आँधी-तूफान के अधिष्ठाता देवता भी हैं और देवराज इंद्र के साथी भी। विष्णु पुराण के अनुसार रुद्रों का उद्भव ब्रह्माजी की भृकुटी से हुआ था। हनुमानजी वायुदेव या मारुति नामक रुद्र के पुत्र माने जाते हैं। हनुमान का अर्थ: मान्यता के अनुसार 'हनुमान' शब्द का ह ब्रह्मा का, नु अर्चना का, मा लक्ष्मी का और न पराक्रम का द्योतक है। हनुमान को सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त है। वे सेवक भी हैं और राजदूत, नीतिज्ञ, विद्वान, रक्षक, वक्ता, गायक, नर्तक, बलवान और बुद्धिमान भी। शास्त्रीय संगीत के तीन आचार्यों में से एक हनुमान भी हैं, जबकि अन्य दो क्रमश: शार्दूल और कहाल थे। 'संगीत पारिजात' हनुमानजी के संगीत-सिद्धांत पर आधारित है। कहते हैं कि सबसे पहले रामकथा हनुमानजी ने लिखी थी और वह भी शिला पर। यह रामकथा वाल्मीकि जी की रामायण से भी पहले लिखी गई थी और हनुमन्नाटक के नाम से प्रसिद्ध है। हनुमानजी का जन्म... हनुमानजी का जन्म कैसे हुआ इस विषय में भी भिन्न मत हैं। एक मान्यता है कि एक बार जब मारुति ने अजंनी को वन में देखा तो वह उस पर मोहित हो गया। उसने अंजनी से संयोग किया और वह गर्भवती हो गई। जबकि एक अन्य मान्यता है कि वायु ने अंजनी के शरीर में कान के माध्यम से प्रवेश किया और वह गर्भवती हो गई। वहीं एक अन्य कथा के अनुसार महाराजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ से प्राप्त जो हवि अपनी रानियों में बाँटी थी उसका एक भाग गरुड़ उठाकर ले गया और उसे उस स्थान पर गिरा दिया जहां अंजनी पुत्र प्राप्ति के लिए तपस्या कर रही थी। हवि खा लेने से अंजनी गर्भवती हो गई और कालांतर में उसने हनुमानजी को जन्म दिया। ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र के अनुसार तुलसी और वाल्मीकि द्वारा वर्णित हनुमान-चरित की तुलना में कई अन्य रामकथाओं में वर्णित चरित इतना भिन्न है कि सर्वथा मिथ्या और काल्पनिक प्रतीत होता है। वहीं तांत्रिक हनुमान की पूजा एक शिर, पंचशिर और एकादश शिर, संकटमोचन, सर्व हितरत और ऋद्धि-सिद्धि के दाता के रूप में करते हैं। आनंद रामायण के अनुसार हनुमानजी की गिनती सनातन धर्म के आठ चिरंजीवी व्यक्तियों में होती है। इनके अलावा अन्य सात इस प्रकार हैं, अश्वत्थामा, बलि, व्यास, विभीषण, नारद, परशुराम और मार्कण्डेय। ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा सिद्धिविनायक ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र विभव खंड 2 गोमती नगर एवं वेद राज कंपलेक्स पुराना आरटीओ चौराहा लाटूश रोड लखनऊ 94150 87711 92357 22996