संकट मोचन हनुमान जी महाराज बाबा नीमकरोरी जी महाराज की जय हो 🌷 देवउठी-प्रबोधिनी एकादशी अर्थात Dev uthani एकादशी एवं तुलसी विवाह
पूरे वर्ष का सबसे महत्वपूर्ण व्रत एकादशी आज है लोक परलोक दोनों बनाने वाली एकादशी आज है एकादशी मुक्ति के लिए होती है तुलसी विवाह सांसारिक जीवन लोक कल्याण के लिए होता है ➡ 07 नवम्बर 2019 गुरुवार को सुबह 09:56 से 08 नवम्बर शुक्रवार को 12:24 तक एकादशी है ।
💥 आज विशेष - 08 नवम्बर शुक्रवार को एकादशी का व्रत उपवास रखें । आज एकादशी का मान दिन भर रात्रि भर है पारण का मुहूर्त 9 नवंबर दिन शनिवार अर्थात कल प्रातः 8:00 से 11:00 बजे के मध्य करना चाहिए
🙏🏻 भगवान श्रीकृष्ण ने कहा : हे अर्जुन ! मैं तुम्हें मुक्ति देनेवाली कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के सम्बन्ध में नारद और ब्रह्माजी के बीच हुए वार्तालाप को सुनाता हूँ । एक बार नारादजी ने ब्रह्माजी से पूछा : ‘हे पिता ! ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के व्रत का क्या फल होता है, आप कृपा करके मुझे यह सब विस्तारपूर्वक बतायें ।’
ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र सिद्धिविनायक ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र विभव खंड 2 गोमती नगर 94150 87711
🙏🏻 ब्रह्माजी बोले : हे पुत्र ! जिस वस्तु का त्रिलोक में मिलना दुष्कर है, वह वस्तु भी कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के व्रत से मिल जाती है । इस व्रत के प्रभाव से पूर्व जन्म के किये हुए अनेक बुरे कर्म क्षणभर में नष्ट हो जाते है । हे पुत्र ! जो मनुष्य श्रद्धापूर्वक इस दिन थोड़ा भी पुण्य करते हैं, उनका वह पुण्य पर्वत के समान अटल हो जाता है । उनके पितृ विष्णुलोक में जाते हैं । ब्रह्महत्या आदि महान पाप भी ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के दिन रात्रि को जागरण करने से नष्ट हो जाते हैं ।
🙏🏻 हे नारद ! मनुष्य को भगवान की प्रसन्नता के लिए कार्तिक मास की इस एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए । जो मनुष्य इस एकादशी व्रत को करता है, वह धनवान, योगी, तपस्वी तथा इन्द्रियों को जीतनेवाला होता है, क्योंकि एकादशी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है ।
🙏🏻 इस एकादशी के दिन जो मनुष्य भगवान की प्राप्ति के लिए दान, तप, होम, यज्ञ (भगवान्नामजप भी परम यज्ञ है। ‘यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि’ । यज्ञों में जपयज्ञ मेरा ही स्वरुप है।’ - श्रीमद्भगवदगीता ) आदि करते हैं, उन्हें अक्षय पुण्य मिलता है ।
🙏🏻 इसलिए हे नारद ! तुमको भी विधिपूर्वक विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिए । इस एकादशी के दिन मनुष्य को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और पूजा करनी चाहिए । रात्रि को भगवान के समीप गीत, नृत्य, कथा-कीर्तन करते हुए रात्रि व्यतीत करनी चाहिए ।
🙏🏻 ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के दिन पुष्प, अगर, धूप आदि से भगवान की आराधना करनी चाहिए, भगवान को अर्ध्य देना चाहिए । इसका फल तीर्थ और दान आदि से करोड़ गुना अधिक होता है ।
🙏🏻 जो गुलाब के पुष्प से, बकुल और अशोक के फूलों से, सफेद और लाल कनेर के फूलों से, दूर्वादल से, शमीपत्र से, चम्पकपुष्प से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, वे आवागमन के चक्र से छूट जाते हैं । इस प्रकार रात्रि में भगवान की पूजा करके प्रात:काल स्नान के पश्चात् भगवान की प्रार्थना करते हुए गुरु की पूजा करनी चाहिए और सदाचारी व पवित्र ब्राह्मणों को दक्षिणा देकर अपने व्रत को छोड़ना चाहिए ।
🙏🏻 जो मनुष्य चातुर्मास्य व्रत में किसी वस्तु को त्याग देते हैं, उन्हें इस दिन से पुनः ग्रहण करनी चाहिए । जो मनुष्य ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के दिन विधिपूर्वक व्रत करते हैं, उन्हें अनन्त सुख मिलता है और अंत में स्वर्ग को जाते हैं ।
🙏🏻🌷🍀🌺🌼🌸🌹🌻💐🙏🏻 ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र के अनुसार 1.तुलसी विवाह शाम के समय यानि गोधूलि बेला में ही करें। इसके बाद तुलसी के गमले पास गेरु से रंगोली बनाएं।
2. इसके बाद गन्न से तुलसी जी और शालिग्राम के विवाह का मंडप सजाएं।
3. इसके बाद एक चौकी पर तुलसी का गमला और दूसरी चौकी पर शालिग्राम या भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। तुलसी जी को शालिग्राम के दाईं और स्थापित करें।
4. इसके बाद शालिग्राम जी की चौकी पर अष्टदल कमल बनाकर उस पर कलश की स्थापना करें और उस पर स्वास्तिक बनाएं।
5.इसके बाद आम के पत्तों पर रोली से तिलक करके उसे कलश पर स्थापित करके उस पर लाल कपड़े में लपेटकर नारियल को रखें।
6. इसके बाद तुलसी जी के आगे घी का दीपक जलाएं। क्योंकि अग्नि को साक्षी मानकर ही तुलसी जी का विवाह कराया जाता है।
7. इसके बाद गंगाजल में फूल डिबोकर ऊं तुलसाय नम: मंत्र का जाप करते हुए गंगाजल का छिड़काव तुलसी जी पर करें।
8. इसके बाद उसी फूल और गंगाजल से ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करते हुए गंगाजल को शालिग्राम या भगवान विष्णु की प्रतिमा पर छिड़कें।
9. इसके बाद तुलसी जी को रोली और शालिग्राम जी को चंदन का तिलक करें।
10. इसके बाद दूध में हल्दी डालकर तुलसी जी और शालिग्राम को लगाएं।
11.इसके बाद शालिग्राम भगवान पर तुलसी की मंजरी चढ़ाएं।
12. इसके बाद तुलसी जी को लाल चुनरी अर्पित करें फिर उन्हें लाल चूड़ी पहनाएं और उन्हें सुहाग का सभी समान थोड़ा- थोड़ा लगाएं।
13.इसके बाद शालिग्राम जी को पंचामृत से स्नान कराएं और इन्हें पीला कपड़ा अर्पित करें।
14. इसके बाद कलश पर फूल चढ़ाएं फिर माता तुलसी और शालिग्राम पर भी फूल चढ़ाएं।
15. इसके बाद शालिग्राम और तुलसी जी को माला पहनाएं।
16. इसके बाद किसी लाल या पीले कपड़े से माता तुलसी और शालिग्राम का गठ बंधन करें। इस गठबंधन के कपड़े में आपको सुपारी ,फूल, इलायची और थोड़ी दक्षिणा रखनी है।
17. इसके बाद घर के किसी पुरुष को शालिग्राम जी को हाथ में उठाकर तुलसी जी की सात बार परिक्रमा करनी चाहिए।
18. सात बार परिक्रमा करके तुलसी जी को शालिग्राम के बाईं और स्थापित करें।
19.इसके बाद शालिग्राम जी को तिल अर्पित करें कपूर जलाएं और धूप और दीप जलाकर विष्णु जी की आरती उतारें।
20. तुलसी विवाह के बाद माता तुलसी के साथ शालिग्राम को मिठाई और खीर पूरी का भोग लगाएं। जब तुलसी विवाह पूर्ण हो जाए तो सभी समान और तुलसी का पौधा मंदिर में अवश्य देकर आएं।
तुलसी विवाह मेष राशि के उपाय
तुलसी विवाह के दिन मेष राशि के जातकों को माता तुलसी और शालिग्राम के विवाह के समय लाल चुनरी स्वंय अपने हाथों उनके ऊपर डालनी चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको जीवन की सभी परेशानियों से छुटकारा मिलेगा और आपको मां तुलसी का आर्शीवाद प्राप्त होगा।
तुलसी विवाह वृषभ राशि के उपाय
वृष राशि के जातकों को तुलसी विवाह पर मां तुलसी को इत्र अर्पित करना चाहिए। यदि इस राशि के जातक ऐसा करते हैं तो इन्हें जीवन में कभी धन की कोई कमीं नही होगी और इनके जीवन में ऐश्वर्य हमेशा बना रहेगा। इसी के साथ इनके ऊपर से सभी प्रकार के ग्रह दोष भी समाप्त होंगे।
तुलसी विवाह मिथुन राशि के उपाय
तुलसी विवाह के दिन मिथुन राशि के जातकों को मां तुलसी को हरे रंग के वस्त्र और हरे रंग की चूड़ियां अर्पित करनी चाहिए। ऐसा करने से आपका वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा और यदि आपका विवाह में कोई ग्रह बाधा आ रही है तो वह भी समाप्त हो जाएगी।
तुलसी विवाह कर्क राशि के उपाय
तुलसी विवाह के दिन कर्क राशि के जातकों को शाम के समय तुलसी के नीचे घी का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से इस राशि के लोगों का न केवल चंद्रमा ठीक होगा। बल्कि इन्हें मानसिक शांति भी प्राप्त होगी। इसलिए तुलसी विवाह के दिन इस राशि के लोगों को तुलसी के पौधे के नीचे घी का दीपक अवश्य जलाना चाहिए।
तुलसी विवाह सिंह राशि के उपाय
तुलसी विवाह के दिन सिंह राशि के जातकों को माता तुलसी के पौधे पर लाल पुष्प अवश्य अर्पित करने चाहिए और शाम के समय रोली का तिलक करके तुलसी के पौधे के नीचे दीपक अवश्य जलाना चाहिए। ऐसा करने से आपको जीवन में मान सम्मान की प्राप्ति होगी।
तुलसी विवाह कन्या राशि के उपाय
तुलसी विवाह के दिन कन्या राशि के जातकों को तुलसी का पौधा मंदिर में दान करना चाहिए। ऐसा करने से इस राशि के जातकों को सफलता के योग बनेंगे। इतना हीं नहीं यह उपाय करने से इनकी नौकरी और व्यापार में चल रही सभी समस्याएं भी समाप्त हो जाएगी।
तुलसी विवाह तुला राशि के उपाय
तुलसी विवाह के दिन तुला राशि के जातकों को माता तुलसी को सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाना चाहिए। यह उपाय करने से इन्हें सुख और शांति की प्राप्ति की होगी। इतना हीं नहीं इस उपाय से इनके परिवार के लोगों को आपस में प्रेम भी बढ़ेगा।
तुलसी विवाह वृश्चिक राशि के उपाय
तुलसी विवाह के दिन वृश्चिक राशि के जातकों तुलसी विवाह के समय स्वंय अपने हाथों से माता तुलसी को श्रृंगार की सभी वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए। इससे इन्हें शत्रु बाधा से मुक्ति मिलेगी और यदि इनका कोई कोर्ट केस चल रहा है तो उसमें भी इन्हें सफलता अवश्य प्राप्त होगी।
तुलसी विवाह धनु राशि के उपाय
तुलसी विवाह के दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराते समय माता तुलसी को हल्दी अवश्य लगाएं। ऐसा करने आपके घर में मांगलिक कार्यों में आ रही सभी प्रकार की रुकावटें समाप्त हो जाएगी और आपके घर खुशियों का आगमन होगा।
तुलसी विवाह मकर राशि के उपाय
तुलसी विवाह के दिन मकर राशि के जातकों को तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी का कन्यादान अपने हाथों से करना चाहिए। ऐसा करने से आपको न केवल कन्यादान का फल प्राप्त होगा। बल्कि आपकी संतान के विवाह में आ रही सभी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी।
तुलसी विवाह कुंभ राशि के उपाय
कुंभ राशि के जातकों को तुलसी विवाह के दिन तुलसी का पौधा स्वंय अपने हाथ से किसी गरीब व्यक्ति या किसी मंदिर में लगाना चाहिए। ऐसा करने से आपको न केवल शनिदेव की आर्शीवाद ुप्राप्त होगा। बल्कि आपको दुर्घटना, अकाल मृत्यु और सभी तरह की परेशनियों से छुटकारा प्राप्त होगा।
तुलसी विवाह मीन राशि के उपाय
तुलसी विवाह के दिन मीन राशि के जातकों तुलसी का पौधा घर के आंगन में लगाते हैं तो इनके घर से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाएगी। तुलसी लगाने के बाद तुलसी के पौधे के नीचे शालिग्राम ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र के अनुसार सुंदरकांड पाठ के लाभ"*
(1)
सुन्दरकाण्ड का पाठ :~
ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी से जुड़ा कोई भी मंत्र या पाठ अन्य किसी भी मंत्र से अधिक शक्तिशाली होता है। हनुमान जी अपने भक्तों को उनकी उपासना के फल में बल और शक्ति प्रदान करते हैं।
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सुन्दरकाण्ड के फायदे :~
लेकिन आज हम विशेष रूप से सुंदरकांड पाठ के महत्व और उससे मिलने वाले लाभ पर बात करेंगे। भक्तों द्वारा हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए अमूमन हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है। हनुमान चालीसा बड़े-बूढ़ों से लेकर बच्चों तक को जल्दी याद हो जाता है।
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(3)
हनुमान चालीसा :~
लेकिन हनुमान चालीसा के अलावा यदि आप सुंदरकांड पाठ के लाभ जान लेंगे तो इसे रोजाना करना पसंद करेंगे। हिन्दू धर्म की प्रसिद्ध मान्यता के अनुसार सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त की मनोकामना जल्द पूर्ण हो जाती है।
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(4)
सुंदरकांड अध्याय :~
सुंदरकांड, गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामचरितमानस के सात अध्यायों में से पांचवा अध्याय है। रामचरित मानस के सभी अध्याय भगवान की भक्ति के लिए हैं, लेकिन सुंदरकांड का महत्व अधिक बताया गया है।
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(5)
सुंदरकांड पाठ का महत्व :~
जहां एक ओर पूर्ण रामचरितमानस में भगवान के गुणों को दर्शाया गया है, उनकी महिमा बताई गई है लेकिन दूसरी ओर रामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। इसमें भगवान राम के गुणों की नहीं बल्कि उनके भक्त के गुणों और उसकी विजय की बात बताई गई है।
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(6)
हनुमान पाठ के लाभ :~
सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त को हनुमान जी बल प्रदान करते हैं। उसके आसपास भी नकारात्मक शक्ति भटक नहीं सकती, इस तरह की शक्ति प्राप्त करता है वह भक्त। यह भी माना जाता है कि जब भक्त का आत्मविश्वास कम हो जाए या जीवन में कोई काम ना बन रहा हो, तो सुंदरकांड का पाठ करने से सभी काम अपने आप ही बनने लगते हैं।
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(7)
शास्त्रीय मान्यताएं :~
किंतु केवल शास्त्रीय मान्यताओं ने ही नहीं, विज्ञान ने भी सुंदरकांड के पाठ के महत्व को समझाया है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों की राय में सुंदरकांड का पाठ भक्त के आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति को बढ़ाता है।
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(8)
सुंदराकांड पाठ का अर्थ :~
इस पाठ की एक-एक पंक्ति और उससे जुड़ा अर्थ, भक्त को जीवन में कभी ना हार मानने की सीख प्रदान करता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार किसी बड़ी परीक्षा में सफल होना हो तो परीक्षा से पहले सुंदरकांड का पाठ अवश्य करना चाहिए।
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(9)
सुंदराकांड पाठ का महत्व :~
यदि संभव हो तो विद्यार्थियों को सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। यह पाठ उनके भीतर आत्मविश्वास को जगाएगा और उन्हें सफलता के और करीब ले जाएगा।
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(10)
सफलता के सूत्र :~
आपको शायद मालूम ना हो, लेकिन यदि आप सुंदरकांड के पाठ की पंक्तियों के अर्थ जानेंगे तो आपको यह मालूम होगा कि इसमें जीवन की सफलता के सूत्र भी बताए गए हैं।
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(11)
सफल जीवन के मंत्र :~
यह सूत्र यदि व्यक्ति अपने जीवन पर अमल कर ले तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। इसलिए यह राय दी जाती है कि यदि रामचरित्मानस का पूर्ण पाठ कोई ना कर पाए, तो कम से कम सुंदरकांड का पाठ अवश्य कर लेना चाहिए।
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(12)
इस समय करें सुंदराकांड का पाठ :~
यहां तक कि यह भी कहा जाता है कि जब घर पर रामायण पाठ रखा जाए तो उस पूर्ण पाठ में से सुंदरकांड का पाठ घर के किसी सदस्य को ही करना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक शक्तियों का प्रवाह होता है।
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(13)
ज्योतिष के लाभ :~
ज्योतिष के नजरिये से यदि देखा जाए तो यह पाठ घर के सभी सदस्यों के ऊपर मंडरा रहे अशुभ ग्रहों छुटकारा दिलाता है। यदि स्वयं यह पाठ ना कर सकें, तो कम से कम घर के सभी सदस्यों को यह पाठ सुनना जरूर चाहिए। अशुभ ग्रहों का दोष दूर करने में लाभकारी है सुंदरकांड का पाठ।
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(14)
आत्मा की शुद्धि :~
सुंदरकांड पाठ करने से आत्मिक लाभ मिलता है। आत्मा शुद्ध होती है। सुंदरकांड का पाठ करने से आत्मा परमात्मा से मिलने के लिए तैयार होती है। मनुष्य इस जीवन रूपी दुनिया में जो करना आया है वही करता है। और सुंदर कांड पाठ करने से आत्मा की शुद्धि होती है।
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(15)
रोगों को दूर भगाए :~
सुंदरकांड का पाठ एक तीर से कई निशाने लगाने का नाम है। पाठ करने से रोग दूर रहते हैं। इससे आपकी दरिद्रता खत्म होती है।
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(16)
मानसिक सुख :~
अगर कोई व्यक्ति लगातार सुंदरकांड का पाठ करता है तो उसे अनेक लाभ मिलते हैं। सुंदरकांड पाठ निरंतर करने से मानसिक सुख शांति प्राप्त होती है।
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(17)
अनहोनी दूर करे :~
अगर आप किसी ऐसी जगह पर रहते हैं जो सूनसान है। और आपको हमेशा किसी अनहोनी का डर रहता है। तो आप सुंदरकांड का पाठ करें। इससे आपके पास आने वाली हर समस्या दूर रहती है।
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(18)
बच्चे आदर ना करें तो सुंदरकांड का पाठ :~
अगर आपके बच्चे आपकी सुनते नहीं और बड़ों का आदर नहीं करते हैं तो आप अपने बच्चों को सुंदरकांड का पाठ करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। अगर वे अपने संस्कारों को भूल गए हैं तो आप बच्चों को सुंदरकांड का पाठ बच्चों से करवा सकते हैं।
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(19)
कर्ज से छुटकारा :~
अगर आप पर बहुत सारा कर्ज हो गया है तो आपको सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। सुंदरकांड का पाठ कर्ज से मुक्ति दिलाता है।
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(20)
मन के भय से मुक्ति :~
अगर आपको रात को डर लगता है और बुरे सपने आते हैं तो आपको सुंदरकांड पाठ करना चाहिए। जिस तरह से हनुमान चालिसा का पाठ करने से मन के भय से मुक्ति मिलती है। ठीक उसी तरह से सुंदरकांड का पाठ करने से मन के भय से मुक्ति मिलती है।
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(21)
हनुमान की कृपा :~
सुंदरकांड का पाठ करने से हनुमान की कृपा बनी रहती है। सिर्फ हनुमान ही नहीं भगवान राम की भी कृपा बनी रहती है। यदि आप दोनों भगवान की कृपा पाना चाहते हैं तो सुंदरकांड का पाठ करें।
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गृह क्लेश से छुटकारा :~
सुंदरकांड का पाठ करने से गृह क्लेश से छुटकारा मिलता है। इसका पाठ करने से सकारात्मक शक्ति घऱ में आती है। जिससे घऱ में पैदा होने वाली नकारात्मक शक्तियों को से छुटकारा मिलता है।
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(23)
विद्यार्थियों के लिए लाभदायक :~
यदि विद्यार्थी सुंदरकांड का पाठ करते हैं तो उन्हें उनके छात्र जीवन में सफलता मिलती है। उनका पढ़ाई में मन लगता है। और परीक्षा में अंक ठीक आते हैं। इसलिए विद्यार्थियों को सुंदरकांड का पाठ अवश्य करना चाहिए।
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(24)
घऱ में सकारात्मक शक्तियों का वास :~
ऐसा माना जाता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से घर में माहौल सकारात्मक और प्रेम पूर्वक रहता है। यदि सुंदरकांड का पाठ घऱ के ही किसी सदस्य द्वारा किया जाता है तो और भी अधिक फायदेमंद होता है।
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(25)
अशुभ ग्रहों को दूर करे :~
सुंदरकांड का पाठ करने से अशुभ ग्रहों की स्थिति को शुभ बनाया जा सकता है। इसलिए नियमित सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए।
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कभी हार ना मानना :~
जीवन में ऐसे कई पड़ाव आता हैं जब हम अपना बल हार जाते हैं। मन दुखी हो जाता है। तो ऐसे में आपको हार नहीं मानना चाहिए। क्योंकि सुंदरकांड का पाठ आपको जीवन में कभी हार ना मानने की शक्ति देता है।
ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र सिद्धिविनायक ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र विभव खंड टू गोमती नगर एवं वेदराज कांप्लेक्स पुराना आरटीओ चौराहा लाटूश रोड लखनऊ 94150 87711 92357 22996
जय श्री राम
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