➿ सिद्धिविनायक ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र की प्रस्तुति ➿
🏃🏼🏃🏼🏃🏼🏃🏼🏃🏼🏃🏼🏃🏼🏃🏼🏃🏼 Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 9415 087 711
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किसी भी कार्य को तल्लीनता
से कीजिये झुंझलाहट से नही
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दोस्तों,
हममे से कई जब किसी कार्य को करते हैं, तो उसको बोझ या तनाव लेकर करते हैं । ये बात हम जानते हैं की उस कार्य को हमको ही पूरा करना हैं, जब करना ही हैं तो गुस्से या तनाव मे क्यों करे ।
दोस्तों, काम पूजा हैं, जिस तरह लोग पूजा मे ऊँची निगाह और ऊंची भावना रखते हैं वैसी ही निगाह और
भावना हमे हर कार्य मे रखना चाहिये।जिसे अपने काम करने मे रस या आनन्द आता हैं वही कार्य की महिमा को जानता हैं ।
किसी भी कार्य को करने मे आनन्द तभी आयेगा जब हम उस काम को आत्मीयता से जोड़ते हैं।एक माँ अपने बच्चे के लिए रात भर जागती हैं उसे कोई भारी नही लगता।पर कोई दुसरा अगर 10 मिनिट रात मे जगा दे तो तूफ़ान मचा देगी ।
ये बात आप समझले की कार्य करना आपकी जिम्मेदारी हैं, लेकिन
आप ये भी सोच रखे की यदि आप नही रहे तब भी कार्य पूर्ण होगा । फिर उस कार्य से प्यार क्यों नही करते ।दुनिया आपके भरोसे नही चल रही।
इन सब कार्यो के बीच हमारी एक जिम्मेदारी , कर्तव्य भी हैं हमारा परिवार । कभी आपने सोचा की आपके काम के बोझ मे आप अपने परिवार की और कभी ध्यान भी नही दे पाते ।
आओ एक छोटी सी कथा आपको मेरे अभिप्राय को समझा देगी ।
एक डॉक्टर ने अपने अति-महत्वाकांक्षी और आक्रामक बिजनेसमैन मरीज को एक बेतुकी लगनेवाली सलाह दी. बिजनेसमैन ने डॉक्टर को बहुत कठिनाई से यह समझाने की कोशिश की कि उसे कितनी ज़रूरी मीटिंग्स और बिजनेस डील वगैरह करनी हैं और काम से थोड़ा सा भी समय निकालने पर बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा:
“मैं हर रात अपना ब्रीफकेस खोलकर देखता हूँ और उसमें ढेर सारा काम बचा हुआ दिखता है” – बिजनेसमैन ने बड़े चिंतित स्वर में कहा.
“तुम उसे अपने साथ घर लेकर जाते ही क्यों हो?” – डॉक्टर ने पूछा.
“और मैं क्या कर सकता हूँ!? काम तो पूरा करना ही है न?” – बिजनेसमैन
झुंझलाते हुए बोला.
“क्या और कोई इसे नहीं कर सकता? तुम किसी और की मदद क्यों नहीं लेते?” –
डॉक्टर ने पूछा.
“नहीं” – बिजनेसमैन ने कहा – “सिर्फ मैं ही ये काम कर सकता हूँ. इसे तय समय में पूरा करना ज़रूरी है और सब कुछ मुझपर ही निर्भर करता है.”
“यदि मैं तुम्हारे पर्चे पर कुछ सलाह लिख दूं तो तुम उसे मानोगे?” –
डॉक्टर ने पूछा.
यकीन मानिए पर डाक्टर ने बिजनेसमैन मरीज के पर्चे पर यह लिखा कि वह सप्ताह में आधे दिन की छुट्टी लेकर वह समय कब्रिस्तान में बिताये!
मरीज ने हैरत से पूछा – “लेकिन मैं आधा दिन कब्रिस्तान में क्यों बैठूं?
उससे क्या होगा?”
“देखो” – डॉक्टर ने कहा – “मैं चाहता हूँ कि तुम आधा दिन वहां बैठकर कब्रों पर लगे पत्थरों को देखो. उन्हें देखकर तुम यह विचार करो कि
तुम्हारी तरह ही वे भी यही सोचते थे कि पूरी दुनिया का भार उनके ही कंधों पर ही था. अब ज़रा यह सोचो कि यदि तुम भी उनकी दुनिया में चले जाओगे तब भी यह दुनिया चलती रहेगी. तुम नहीं रहेगो तो तुम्हारे जगह कोई और ले लेगा. दुनिया घूमनी बंद नहीं हो जायेगी!”
मरीज को यह बात समझ में आ गयी. उसने झुंझलाना और कुढ़ना छोड़ दिया. शांतिपूर्वक अपने कामों को निपटाते हुए उसने अपने बिजनेस में खुद के परिवार के लिए और अपने कामगारों के लिए काम करने के बेहतर वातावरण का निर्माण किया.
दोस्तों, किसी भी कार्य को बोझ तनाव बनकर मत पूरा करो । बल्कि मस्ती, जिम्मेदारी और तनावरहित होकर करोगे तो आनन्द के साथ पूरा होगा और हम अपने लक्षय को समय पर पूरा कर पायेगे ।
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