मंगलवार की 10 रोचक बातें, उच्च पद और आर्मी में जाना है तो जानें।
*ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा
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हिन्दू पंचांग अनुसार किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिए तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण को देखना जरूरी है। इसी से शुभ लग्न और मुहूर्त पता चलता है। वार, तिथि, माह, लग्न और मुहूर्त का एक संपूर्ण विज्ञान है। जो लोग इस हिन्दू विज्ञान अनुसार अपनी जीवनशैली ढाल लेते हैं वे सभी संकटों से बचे रहते हैं, तो आइये जानते हैं कि मंगलवार का क्या महत्व है और क्या है इसके संबंध में 10 रोचक बातें।
1. मंगवार का ग्रह है मंगल। आकाश मंडल में मंगल का चौथा स्थान है। सूर्य से इसकी दूरी 224000000 किलोमीटर है। इसका आकार छोटा है और इसका व्यास 6860 किलोमीटर है। 687 दिनों में यह सूर्य की एक परिक्रमा पूर्ण करता है तथा पृथ्वी की अपेक्षा केवल एक दसवां भाव गुरुत्व शक्ति रखता है। मंगल के दो उपग्रह हैं: 'फोबस' और दूसरा 'डोमस' जो मंगल की परिक्रमा करते हैं। पृथ्वी से मंगल की न्यूनतम दूरी 780000 किलोमीटर है। मंगल नवग्रहों में से एक है। लाल आभायुक्त दिखाई देने वाला यह ग्रह जब धरती की सीध में आता है तब इसका उदय माना जाता है। उदय के पश्चात 300 दिनों के बाद यह वक्री होकर 60 दिनों तक चलता है। बाद में फिर सामान्य परिक्रमा मार्ग पर आकर 300 दिनों तक चलता है। ऐसी स्थिति में मंगल का अस्त होना कहा गया है।
2. मंगलवार की प्रकृति उग्र है। मंगलवार का दिन हनुमानजी और मंगलदेव का है। ज्योतिष के अनुसार मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल है और इनका वार भी मंगल ही है। कुंडली में यदि मंगल की स्थिति अच्छी है तो भाई, मित्र और रिश्तेदारों से संबंध अच्छे रहते हैं और जातक उच्च पद पर आसीन होता है। हर कार्य में मंगलकारी परिणाम प्राप्त करने के लिए मंगलवार का उपवास रखना चाहिए। जो मंगलवार का उपवास और हनुमानजी की पूजा करता रहता है उसे कभी भी शनि का डर नहीं सताता है।
3. लाल किताब के अनुसार मंगल नेक अर्थात शुभ के देवता हनुमानजी है और अशुभ अर्थात बद मंगल को वीरभद्र की संज्ञा दी गई है। कुछ जगह बद के देवता वेताल, भूत या जिन्न को भी माना गया है। माना गया है कि बद मंगल के जातक का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है और वह स्वभाव से जिद्दी एवं उग्र हो सकता है। जिनका मंगल बद होता है वे या तो गुंडे, अपराधी होते हैं, क्रोधी या अक्खड़ किस्म के लोग होते हैं जो दिनभर गृहकलह करते रहते हैं। परंतु, जिनका मंगल नेक होता है वे उच्च पद पाते हैं, सेना में अधिकारी बनते हैं, पुलीस में किसी बड़े पद पर होते हैं, खिलाड़ी होते हैं या किसी साहसिक कार्य में रत होते हैं। मंगल मकर में उच्च, कर्क में नीच का होता है और मेष एवं वृश्चिक का वह राशी स्वामी है।
मंगल बहुत ज्यादा अशुभ हो तो बड़े भाई के नहीं होने की संभावना प्रबल मानी गई है। भाई हो तो उनसे दुश्मनी होती है। बच्चे पैदा करने में अड़चनें आती हैं। पैदा होते ही उनकी मौत हो जाती है। एक आंख से दिखना बंद हो सकता है। शरीर के जोड़ काम नहीं करते हैं। रक्त की कमी या अशुद्धि हो जाती है। चौथे और आठवें भाव में मंगल अशुभ माना गया है। किसी भी भाव में मंगल अकेला हो तो पिंजरे में बंद शेर की तरह है। सूर्य और शनि मिलकर मंगल बद बन जाते हैं। मंगल के साथ केतु हो तो अशुभ हो जाता है। मंगल के साथ बुध के होने से भी अच्छा फल नहीं मिलता।
मंगल नेक के देवता हनुमानजी, वृक्ष नीम, पशु शेर, पेशा युद्ध, सुरक्षा, प्रबंधन, अंग- जिगर, ऊपर का होंठ, पोशाक बंडी (छोटी जैकेट), शक्ति मात या मौत देना, नक्षत्र मृगशिरा, चित्रा, घनिष्ठा, धातु लाल पत्थर, गुण हौसला, भाई, लड़ाई, विशेषता सोच-समझकर बात करने वाला, मंगल बद के देवता जिन और भूत। पेशा कसाई, विशेषता अभिमानी, गुण ईर्ष्या, शक्ति खाने-पीने की शक्ति, धातु लाल चमकीला पत्थर अंग जिगर, नीचे का होंठ, पोशाक नंगा सिर, पशु ऊँट-ऊँटनी, हिरन, वृक्ष ढाक का वृक्ष।
4. स्कंद पुराण अनुसार मंगल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के पसीने की बूंद से धरती द्वारा हुई है। वामन पुराण अनुसार मंगल की उत्पत्ति तब हुई जब भगवान भास्कर धारी भोलेनाथ ने महासुर अंधक का वध किया था। महाभारत अनुसार मंगल का जन्म भगवान कार्तिकेय के शरीर से हुआ था।
5. इस दिन लाल चंदन या चमेली के तेल में मिश्रित सिन्दूर लगाएं। मंगलवार ब्रह्मचर्य का दिन है। यह दिन शक्ति एकत्रित करने का दिन है। दक्षिण, पूर्व, आग्नेय दिशा में यात्रा कर सकते हैं। शस्त्र अभ्यास, शौर्य के कार्य, विवाह कार्य या मुकदमे का आरंभ करने के लिए यह उचित दिन है। बिजली, अग्नि या धातुओं से संबंधित वस्तुओं का क्रय-विक्रय कर सकते हैं। मंगलवार को ऋण चुकता करने का अच्छा दिन माना गया है। इस दिन ऋण चुकता करने से फिर कभी ऋण लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
6. मंगल को नीम के पेड़ में शाम को जल चढ़ाएं और चमेली के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा कम से कम 11 मंगलवार करें। हो सके तो इस दिन कहीं पर नीम का पेड़ लगाएं। मंगलवार का व्रत रखकर हनुमानजी की उपासना करें। फिर किसी भी हनुमान मंदिर में मंगरवार को नारियल, सिंदूर, चमेली का तेल, केवड़े का इत्र, गुलाब की माला, पान का बीड़ा और गुड़ चना चढ़ाएं। गुड़ खाएं और खिलाएं। मंगल खराब की स्थिति में सफेद रंग का सुरमा आंखों में डालना चाहिए। सफेद ना मिले तो काला सुरमा डालें। बहते पानी में तिल और गुड़ से बनी रेवाड़ियां प्रवाहित करें या खांड, मसूर व सौंफ का दान करें। मीठी तंदूरी रोटी कुत्ते को खिलाएं या लाल गाय को रोटी खिलाएं। बुआ अथवा बहन को लाल कपड़ा दान में दें। रोटी पकाने से पहले गर्म तवे पर पानी की छींटे दें। मंगलवार के दिन लाल वस्त्र, लाल फल, लाल फूल, लाल चंदन और लाल रंग की मिठाई चढ़ाने से मनचाही कामना पूरी होती है। मंगलवार के दिन मंदिर में ध्वजा चढ़ाकर आर्थिक समृद्धि की प्रार्थना करनी चाहिए। पांच मंगलवार तक ऐसा करने से आर्थिक परेशानी हट जाती है। मंगलवार को बढ़ के पत्ते पर आटे के पांच दीपक बनाकर रखें और उन्हें हनुमानजी के मंदिर में प्रज्वलित करके रख आएं।
7. मंगलवार को नमक और घी नहीं खाना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और हर कार्य में बाधा आती है। पश्चिम, वायव्य और उत्तर दिशा में इस दिन यात्रा वर्जित। मंगलवार को मांस खाना सबसे खराब होता है, इससे अच्छे-भले जीवन में तूफान आ सकता है। मंगलवार को किसी को ऋण नहीं देना चाहिए वर्ना दिया गया ऋण आसानी से मिलने वाला नहीं है। इस दिन भाइयों से झगड़ा नहीं करना चाहिए। हालांकि किसी भी दिन नहीं करना चाहिए।
8. सूर्य-बुध मिलकर मंगल नेक, सूर्य और शनि मिलकर मंगल बद। बल वृद्धि गुरु के साथ बलवान राशि प्रथम भाव और मेष व वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल मकर में उच्च का और कर्क में नीच का माना गया है। इसके सूर्य, चंद्र और गुरु मित्र हैं। बुध और केतु शत्रु। शुक्र, शनि और राहु सम। मंगल के साथ शनि अर्थात राहू। मंगल मकर में उच्च, कर्क में नीच का होता है और मेष एवं वृश्चिक का वह राशी स्वामी है।
9. मंगल सेनापति स्वभाव का है। शुभ हो तो साहसी, शस्त्रधारी व सैन्य अधिकारी बनता है या किसी कंपनी में लीडर या फिर श्रेष्ठ नेता। मंगल अच्छाई पर चलने वाला है ग्रह है किंतु मंगल को बुराई की ओर जाने की प्रेरणा मिलती है तो यह पीछे नहीं हटता और यही उसके अशुभ होने का कारण है। सूर्य और बुध मिलकर शुभ मंगल बन जाते हैं। दसवें भाव में मंगल का होना अच्छा माना गया है।
10. मंगल को शुभ माना गया है जैसे एक ही भाव में सूर्य व बुध की बुधादित्य युति हो, तो मंगल शुभ होता है। इसके अतिरिक्त सूर्य षष्ठ भाव में हो, सूर्य, शनि या बृहस्पति 3, 4, 8 या 9 में स्थित हो, शनि व राहु या शनि व केतु की युति एक भाव में हो, बुध व केतु एक भाव में हों अर्थात दो शत्रु ग्रह की युति एक भाव में हो, चंद्र लग्न, चतुर्थ, जाया या राज्य भाव में हो, पराक्रम, सुख अथवा अष्टम भाव में चंद्र हो अथवा चंद्र मंगल हों अथवा चंद्र शुक्र हों अथवा चंद्र मंगल शुक्र हों अथवा शुक्र हो अथवा मंगल शुक्र हों तथा मंगल के परम मित्र (सूर्य, चंद्र, गुरु) उनकी सहायता कर रहे हों तो यह स्थिति शुभ होती है।
*ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा 9415087711
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