हर प्रकार की इस महामारी से अपनी व अपने परिवार ईष्ट मित्रो़ के साथ पूरे हिंदू समाज की रक्षा हेतु हर घर में सुबह शाम यह प्रार्थना सामूहिक रुप से सभी लोग करें ।।
ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र 94 1508 7711 92357 22996
सुबह आंखें खोलने से लेकर रात को सोने तक इंसान हर वक्त कुछ न कुछ करने या कुछ पाने की कोशिश में ही लगा रहता है. दिमाग में भी हर समय कुछ न कुछ चलता ही रहता है. जीवन से चैन और सुकून हर पल दूर होता जाता है, पर हाथ क्या आता है?
अपने असली स्वरूप के ज्ञान और मन में प्रभु के ध्यान के लिए चौबीस घंटों में कम से कम पांच-सात मिनट तो हर किसी को निकालना ही चाहिए. श्रीरामचरितमानस का एक अंश प्रभु के दिव्य और कल्याणकारी स्वरूप को दर्शाता है. इसका पाठ सनातन धर्म मानने वाले हर व्यक्ति को जरूर करना चाहिए.
हर दिन सुबह या शाम के वक्त नियमित रूप से 'बालकांड' के इस अंश का पाठ करने से साधकों का कल्याण होता है. लक्ष्मीपति श्रीहरि की कृपा प्राप्त होती है और चित्त स्वस्थ व प्रसन्न रहता है...
जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिधुंसुता प्रिय कंता।।
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई।
जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई।।
जय जय अबिनासी सब घट बासी ब्यापक परमानंदा।
अबिगत गोतीतं चरित पुनीतं मायारहित मुकुंदा।।
जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी बिगतमोह मुनिबृंदा।
निसि बासर ध्यावहिं गुन गन गावहिं जयति सच्चिदानंदा।।
जेहिं सृष्टि उपाई त्रिबिध बनाई संग सहाय न दूजा।
सो करउ अघारी चिंत हमारी जानिअ भगति न पूजा।।
जो भव भय भंजन मुनि मन रंजन गंजन बिपति बरूथा।
मन बच क्रम बानी छाड़ि सयानी सरन सकल सुर जूथा।।
सारद श्रुति सेषा रिषय असेषा जा कहुँ कोउ नहि जाना।
जेहि दीन पिआरे बेद पुकारे द्रवउ सो श्रीभगवाना।।
भव बारिधि मंदर सब बिधि सुंदर गुनमंदिर सुखपुंजा।
मुनि सिद्ध सकल सुर परम भयातुर नमत नाथ पद कंजा।।
उत्तर प्रदेश के साथ अधिकतर उत्तर भारत के सरकारी स्कूल में 1961 से ही गाई जाने वाली सबसे प्रसिद्ध प्रार्थना।
वह शक्ति हमें दो दयानिधे,
कर्त्तव्य मार्ग पर डट जावें।
पर-सेवा पर-उपकार में हम,
जग(निज)-जीवन सफल बना जावें॥
॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे...॥
हम दीन-दुखी निबलों-विकलों के,
सेवक बन संताप हरें।
जो हैं अटके, भूले-भटके,
उनको तारें खुद तर जावें॥
॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे...॥
छल, दंभ-द्वेष, पाखंड-झूठ,
अन्याय से निशिदिन दूर रहें।
जीवन हो शुद्ध सरल अपना,
शुचि प्रेम-सुधा रस बरसावें॥
॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे...॥
निज आन-बान, मर्यादा का,
प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे।
जिस देश-जाति* में जन्म लिया,
बलिदान उसी पर हो जावें॥
॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे...🙏🏻🌹🙏🏻
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