नवरात्रि में अत्यंत शुभ फल देते हैं रामचरितमानस के यह 10 दोहे नवरात्रि में देवी के वि‍भिन्न रूपों की अर्चना की जाकर इच्छापूर्ति हेतु मंत्र प्रयोग किए जाते हैं। जो सर्वसाधारण के लिए थोड़े क्लिष्ट पड़ते हैं।  ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव 94 1508 7711 9235 722 996   रामचरित मानस के पाठ या सुंदरकांड के पाठों से अथवा उनके मंत्रों से भी इच्‍छापूर्ति की जाती है, जो अपेक्षाकृत सरल है। नीचे दिए गए मंत्रों के प्रयोग किए जा सकते हैं:-    (1) मनोकामना पूर्ति एवं सर्वबाधा निवारण हेतु-    'कवन सो काज कठिन जग माही। जो नहीं होइ तात तुम पाहीं।।'   (2) भय व संशय निवृ‍‍त्ति के लिए-   'रामकथा सुन्दर कर तारी। संशय ‍बिहग उड़व निहारी।।'    (3) अनजान स्थान पर भय के लिए मंत्र पढ़कर रक्षारेखा खींचे-   'मामभिरक्षय रघुकुल नायक। धृतवर चाप रुचिर कर सायक।।'   (4) भगवान राम की शरण प्राप्ति हेतु-   'सुनि प्रभु वचन हरष हनुमाना। सरनागत बच्छल भगवाना।।'   (5) विपत्ति नाश के लिए-  राजीव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।।'    (6) रोग तथा उपद्रवों की शांति हेतु-   'दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहिं ब्यापा।।'   (7) आजीविका प्राप्ति या वृद्धि हेतु-   'बिस्व भरन पोषन कर जोई। ताकर नाम भरत अस होई।।'    (8) विद्या प्राप्ति के लिए-   'गुरु गृह गए पढ़न रघुराई। अल्पकाल विद्या सब पाई।।'   (9) संपत्ति प्राप्ति के लिए- 'जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं। सुख संपत्ति नानाविधि पावहिं।।'   (10) शत्रुता नाश के लिए-   'बयरू न कर काहू सन कोई। रामप्रताप विषमता खोई।।'   आवश्यकता के अनुरूप कोई मंत्र लेकर एक माला जपें तथा एक माला का हवन करें। जप के पहले श्री हनुमान चालीसा का पाठ कर लें तो शुभ रहेगा। जब तक कार्य पूरा न हो, तब तक एक माला (तुलसी की) नित्य जपें। यदि मंत्र का सम्पुट सुंदरकांड में करें तो शीघ्र तथा निश्चित कार्यसिद्धि होगी।