जानिए चैत्र नवरात्रि 2020 पर विशेष जानकारी-- (कब, क्या, क्यों और कैसे मनाएं इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 2020 में संवत 207 7 sake 1942 Chaitra Shukla Paksh बसंत ऋतु ऐसा माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा का जन्म हुआ था और मां दुर्गा के कहने पर ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्णाण कार्य शुरू किया था। इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदुओं के नव वर्ष की शुरुआत भी हो जाती है।चैत्र नवरात्र के दिनों में ऋतु परिवर्तन होता है और गर्मी के मौसम की शुरूआत होती है। इसलिए वासंतीय नवरात्र पर ऋतुओं का मिलन होता है और इसी वजह से इन दिनों में उपवास का बड़ा महत्व बताया गया है, जो शरीर की शुद्धि के लिए जरूरी है। हिंदू धर्म में कोई भी कार्य करना हो सबसे पहले पूजन पाठ देवी देवताओं की आशीर्वाद लेने की परंपरा रही है ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र 94150 877 11 92357 22996 इस वर्ष यह दिन विक्रम संवत (2077) हिंदू पंचांग का पहला दिन रहेगा है। इसी दिन सूर्य की पहली किरण पृथ्वी पर फैली थी। 9 ग्रह, 27 नक्षत्रों और 12 राशियों के उदय का दिन भी यह माना जाता है। भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार का जन्म भी इसी दिन हुआ था। 👉🏻👉🏻👉🏻🙏🏻🙏🏻🌷🌷✍🏻✍🏻🌹🌹👉🏻👉🏻 अनेक शुभ संयगों में मनाई जायेगी चैत्र नवरात्रि 2020 -- इस बार चैत्र नवरात्रि में कई शुभ योग रहेंगे। जिनमें 4 सर्वाथ सिद्धि योग, 5 रवि योग, एक द्विपुष्कर योग और एक गुरु पुष्य योग रहने वाला है। इस योगों की वजह से मां दुर्गा की पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। जो भी प्रयोजन से मां दुर्गा की आराधना की जाएगी उसका प्रयोजन सिद्ध होगा इसके साथ ही 30 मार्च 2020 को गुरु शनि की राशि मकर में प्रवेश कर जायेंगे। जहां शनिदेव भी विराजमान हैं। मंगल भी मकर राशि में ही मौजूद हैं। मीन में सूर्य, कुंभ में बुध, मिथुन में राहु, धनु में केतु, वृषभ में शुक्र रहेंगे। ग्रह योगों के संयोग से भी ये नवरात्रि जातकों के लिए शुभ मानी जा रही है। उत्तर प्रदेश के लिए पूरे हिंदुस्तान के लिए हिंदू समाज के लिए यह पर्स अति विशिष्ट मुहूर्त वाला होगापावरफुल होगा धार्मिक आर्थिक पारिवारिक सामाजिक उत्थान का रास्ता खुलेगा इस नव वर्ष में is no samvatsar mein 🙏🏻🙏🏻🌷🌷✍🏻✍🏻🌹🌹👉🏻👉🏻 इस वर्ष वासंतीय नवरात्र का प्रारंभ 25 मार्च को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से होगा और इसका समापन 2 अप्रैल 2020 को रामनवमी के दिन होगा। इस वर्ष की चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 24 मार्च दिन मंगलवार को दोपहर 13:43 बजे से शुरु हो रही है और 25 मार्च कोसायं 15:50 बजे तक रहेगी। 24 तारीख को दोपहर में नवरात्रि शुरु होने की वजह से पहले दिन की पूजा अगले दिन यानि कि 25 तारीख की सुबह को की जाएगी। प्रातः 6:00 बजे से अति उत्तम मुहूर्त है सायं काल 3:00 बजे तक कलश स्थापना हो सकती है 🙏🏻🙏🏻🌷🌷✍🏻✍🏻🌹🌹👉🏻👉🏻astroexpertsolutions.com मालूम हो नवरात्रि में 9 दिनों तक 9 देवियों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना की जाती है जो नवरात्रि के त्योहार को खास बना देता है। ये कलश 9 दिनों तक मंदिर या घर के मंदिर में रखा जाता है। इस बार चैत्र नवरात्र में घट स्थापना मीन लग्न में होगी। 🙏🏻🙏🏻🌷🌷✍🏻✍🏻🌹🌹👉🏻👉🏻 जाने और समझें नवरात्र का महत्व - नवरात्र संस्कृत शब्द है, नवरात्रि एक हिंदू पर्व है, जिसका अर्थ होता है नौ रातें। यह पर्व साल में दो बार आता है। एक शारदीय नवरात्रि, दूसरा है चैत्रीय नवरात्रि। नवरात्रि के नौ रातों में तीन हिंदू देवियों- पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ में स्वरूपों पूजा होती है, जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं । 🙏🏻🙏🏻🌷🌷✍🏻✍🏻🌹🌹👉🏻👉🏻 अनंत सिद्धियां देती हैं मां - नवदुर्गा और दस महाविधाओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दस महाविधाएं अनंत सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा-प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं। 🙏🏻🙏🏻🌷🌷✍🏻✍🏻🌹🌹👉🏻👉🏻 जानिए कैसे बनी मां पार्वती नवदुर्गा ? मार्कण्डेय पुराण के अनुसार दुर्गा अपने पूर्व जन्म में प्रजापति रक्ष की कन्या के रूप में उत्पन्न हुई थीं। जब दुर्गा का नाम सती था। इनका विवाह भगवान शंकर से हुआ था। एक बार प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ में सभी देवताओं को भाग लेने हेतु आमंत्रण भेजा, किन्तु भगवान शंकर को आमंत्रण नहीं भेजा।सती के अपने पिता का यज्ञ देखने और वहां जाकर परिवार के सदस्यों से मिलने का आग्रह करते देख भगवान शंकर ने उन्हें वहां जाने की अनुमति दे दी। सती ने पिता के घर पहुंच कर देखा कि कोई भी उनसे आदर और प्रेम से बातचीत नहीं कर रहा है। उन्होंने देखा कि वहां भगवान शंकर के प्रति तिरस्कार का भाव भरा हुआ है। पिता दक्ष ने भी भगवान के प्रति अपमानजनक वचन कहे। यह सब देख कर सती का मन ग्लानि और क्रोध से संतप्त हो उठा। वह अपने पिता का अपमान न सह सकीं और उन्होंने अपने आपको यज्ञ में जला कर भस्म कर लिया। अगले जन्म में सती ने नव दुर्गा का रूप धारण कर जन्म लिया। जब देव और दानव युद्ध में देवतागण परास्त हो गये तो उन्होंने आदि शक्ति का आवाहन किया और एक एक करके उपरोक्त नौ दुर्गाओं ने युद्ध भूमि में उतरकर अपनी रणनीति से धरती और स्वर्ग लोक में छाए हुए दानवों का संहार किया। इनकी इस अपार शक्तिको स्थायी रूप देने के लिए देवताओं ने धरती पर चैत्र और आश्विन मास में नवरात्रों में इन्हीं देवियों की पूजा-अर्चना करने का प्रावधान किया। वैदिक युग की यही परम्परा आज भी बरकरार है। साल में रबी और खरीफ की फसलें कट जाने के बाद अन्न का पहला भोग नवरात्रों में इन्हीं देवियों के नाम से अर्पित किया जाता है। आदिशक्तिदुर्गा के इन नौ स्वरूपों को प्रतिपदा से लेकर नवमी तक देवी के मण्डपों में क्रमवार पूजा जाता है। 🙏🏻🙏🏻astroexpertsolutions.com🌷✍🏻✍🏻🌹🌹👉🏻👉🏻 सभी कार्य होते सिद्ध - यह सभी कार्यों को सिद्ध करता है। आश्विन शुक्ल दशमी पूर्वविद्धा निषिद्ध, परविद्धा शुद्ध और श्रवण नक्षत्रयुक्त सूर्योदयव्यापिनी सर्वश्रेष्ठ होती है। अपराह्न काल, श्रवण नक्षत्र तथा दशमी का प्रारंभ विजय यात्रा का मुहूर्त माना गया है। दुर्गा-विसर्जन, अपराजिता पूजन, विजय-प्रयाग, शमी पूजन तथा नवरात्र-पारण इस पर्व के महान कर्म हैं। इस दिन संध्या के समय नीलकंठ पक्षी का दर्शन शुभ माना जाता है। क्षत्रिय व राजपूतों इस दिन प्रात: स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर संकल्प मंत्र लेते हैं। इसके पश्चात देवताओं, गुरुजन, अस्त्र-शस्त्र, अश्व आदि के यथाविधि पूजन की परंपरा है। 🙏🏻🙏🏻🌷🌷✍🏻✍🏻🌹🌹👉🏻👉🏻 समझें नवरात्र के विशेष महत्व को- अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा से शारदीय नवमी तक की नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इन नौ दिनों में मद्यमान, मांस-भक्षण और स्त्री प्रसंग वर्जित माना गया है। इन नौ दिनों में पवित्रता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। पवित्र और उपवास में रहकर इन नौ दिनों में की गई हर तरह की साधनाएं और मनकामनाएं पूर्ण होती हैं। अपवित्रता से रोग और शोक उत्पन्न होते हैं। नौ पवित्र रात्रियों अनुसार माता के नौ रूपों का पुराणों में वर्णन मिलता है। 🙏🏻🙏🏻🌷🌷✍🏻✍🏻🌹🌹👉🏻👉🏻 ऐसे हैं माता के नौ रूप - माता के उक्त नौ रूपों के नाम क्रमश: इस प्रकार हैं- 1. शैलपुत्री 2.ब्रह्मचारिणी 3. चंद्रघंटा 4. कुष्मांडा 5.स्कंदमाता 6.कात्यायनी 7. कालरात्रि 8. महागौरी 9. सिद्धिदात्री। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण मां दुर्गा को शैलपुत्री कहा जाता है। ब्रह्मचारिणी अर्थात जब उन्होंने तपश्चर्या द्वारा शिव को पाया था। चंद्रघंटा अर्थात जिनके मस्तक पर चंद्र के आकार का तिलक है। ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति प्राप्त करने के बाद उन्हें कुष्मांडा कहा जाने लगा। उदर से अंड तक वे अपने भीतर ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं। इसीलिए कुष्मांडा कहलाती हैं। उनके पुत्र कार्तिकेय का नाम स्कंद भी है, इसीलिए वे स्कंद की माता कहलाती हैं। यज्ञ की अग्नि में भस्म होने के बाद महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्होंने उनके यहां पुत्री रूप में जन्म लिया था, इसीलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं। मां पार्वती देवी काल अर्थात हर तरह के संकट का नाश करने वाली हैं, इसीलिए कालरात्रि कहलाती हैं। माता का वर्ण पूर्णत: गौर अर्थात गौरा (श्वेत) है, इसीलिए वे महागौरी कहलाती हैं। जो भक्त पूर्णत: उन्हीं के प्रति समर्पित रहता है, उसे वे हर प्रकार की सिद्धि दे देती हैं, इसीलिए उन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है। 🙏🏻🙏🏻🌷🌷✍🏻✍🏻🌹🌹👉🏻👉🏻 यह रहेगी नवरात्र तिथि और मुहूर्त-- प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ - 24 मार्च मंगलवार को दोपहर 1 बजकर 43 मिनट से प्रतिपदा तिथि का समापन - 25 मार्च बुधवार को शाम 3 बजकर 50 मिनट पर 🙏🏻🙏🏻🌷🌷✍🏻✍🏻🌹🌹👉🏻👉🏻 यह रहेगा घटस्थापना का शुभ मुहूर्त - 25 मार्च को सुबह 6 बजे से सायं 3:00 बजे तक अति उत्तम मुहूर्त है मीन लग्न का गुरु एवं मीन राशि- का गुरु एवं रेवती नक्षत्र का बुद्ध प्रातः समय सूर्योदय के समय से अति महत्वपूर्ण योग सफलता कारक मंगल कारक सौभाग्य कारक योग बना रहा है इसमें कलश स्थापना करने से मां भगवती जगदंबा की आराधना करने से नव संवत्सर शुभ रहेगा सफलता कारक रहेगा 🙏🏻🙏🏻🌷🌷✍🏻✍🏻🌹🌹👉🏻👉🏻astroexpertsolutions.com 25 मार्च बुधवार से होगी चैत्र नवरात्रि की शुरुआत, माता रानी आएँगी आपके घर । चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 25 मार्च से होने जा रही है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देखें तो इस समय पंचक लगा रहेगा। पंचक नवरात्रि के पूजन में दीपावली के पूजन में शिवरात्रि के पूजन में गणेश चतुर्थी शनि प्रदोष एवं शिव प्रदोष मे नहीं देखा जाता है इन विशिष्ट त्योहारों में पंचक प्रभावहीन हो जाता है 🙏🏻🙏🏻🌷🌷✍🏻✍🏻🌹🌹👉🏻👉🏻 चैत्र नवरात्रि आरम्भ पूर्व ही लग जाएगा पंचक-- नवरात्रों की शुरुआत 25 मार्च, बुधवार से हो रही है, जबकि पांच दिनों तक चलने वाले पंचक 21 मार्च से शुरू हो जाएंगे। पंचक की शुरुआत 21 मार्च, शनिवार को धनिष्ठा नक्षत्र में प्रातः 6:20 पर होगी, और पंचक की समाप्ति 25 मार्च, बुधवार को रेवती नक्षत्र में सायं समय समाप्त होगी इस साल पंचक में ही नवरात्रों की शुरुआत हो रही है। 🙏🏻🙏🏻🌷🌷✍🏻✍🏻🌹🌹👉🏻👉🏻 जानिए पंचक शुभ रहेगा या अशुभ? पंचक एक ऐसा समय होता है, जिसे ज्योतिष में अशुभ मानते हैं। आमतौर पर पंचक को लेकर लोगों के मन में एक डर होता है कि इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। जबकि आपको पता होना चाहिए कि सभी शुभ कार्यों के लिए पंचक वर्जित नहीं होता है। नवरात्र शक्ति की आराधना का त्यौहार होता है। हम सभी जानते हैं कि नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान लोग अपने घरों में कलश स्थापना करते हैं, और सच्चे मन से माँ दुर्गा की पूजा-पाठ, हवन आदि करते हैं। इतने पावन समय में पंचक मान्य नहीं होता है, इसीलिए चैत्र नवरात्रि के दौरान पूजा आदि में किसी तरह की बाधा नहीं आएगी और आप पूरी भक्ति के साथ मां दुर्गा की आराधना कर सकते हैं। 🙏🏻🙏🏻🌷🌷✍🏻✍🏻🌹🌹👉🏻👉🏻 नवरात्रि का पंचक में शुरू होने को लेकर लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र जी ने बताया कि “पंचक में नवरात्रि की शुरुआत होना कोई विशेष बात नहीं है। लोगों को भ्रमित होने या डरने की ज़रूरत नहीं है। इस बार बुधवार से नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। बुधवार का स्वामी बुध ग्रह होता है, जो वित्त और बौद्धिक क्षमता का कारक है। चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि यानि पहले नवरात्रि से हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है। ऐसे में इस साल लोग अपनी बुद्धि-विवेक के बल पर अच्छा धन अर्जित कर सकते हैं। एक ख़ास बात और इस साल लोग धन के प्रभाव में अधिक रहेंगे और भौतिकवादी हो जाएंगे 🙏🏻🙏🏻🌷🌷✍🏻✍🏻🌹🌹👉🏻👉🏻 astroexpertsolutions.com 🙏🏻🙏🏻🌷🌷✍🏻✍🏻🌹🌹👉🏻👉🏻astroexpertsolutions.com जानिए इस चैत्रीय नवरात्रि में किस दिन कौन सी देवी की होगी पूजा… *पहला नवरात्र* *-25, मार्च 2020 (बुधवार)- शैलपुत्री माता की पूजा* *दुसरा नवरात्र* *-26, मार्च 2020 (गुरुवार)- ब्रह्मचारिणी माता की एवं ज्येष्ठा गौरी पूजा* *तीसरा नवरात्र* *-27, मार्च 2020 (शुक्रवार)- चंद्रघंटा माता एवं सौभाग्य गौरी मनोरथ तृतीया की पूजा* *चौथा नवरात्र* *-28, मार्च 2020 (शनिवार)- कुष्मांडा श्रृंगार गौरी माता की पूजा* एव Shri vinayaki Ganesh चतुर्थी पूजा *पांचवा नवरात्र* *-29, मार्च 2020 (रविवार)- स्कंदमाता vishalakshi की पूजा* *छठा नवरात्र* *-30, मार्च 2020 (सोमवार)- कात्यायनी एवं ललिता गौरी माता की पूजा* *सातवाँ नवरात्र* *-31, मार्च 2020 (मंगलवार)- कालरात्रि माता की पूजा* *आठवाँ नवरात्र* *-1, अप्रैल 2020 (बुधवार)- महागौरी माता की पूजा* मंगला गौरी जी अन्नपूर्णा जी की पूजा *नोवाँ नवरात्र* *-2, अप्रैल 2020 (गुरुवार)- रामनवमी की पूजा सिद्धिदात्री महालक्ष्मी माता की पूजा 🙏🏻🙏🏻🌷🌷✍🏻✍🏻🌹🌹👉🏻👉🏻 इस चैत्र नवरात्रि पर इन फूलों से करें मातारानी को प्रसन्न,दूर होंगें आर्थिक कष्ट -- देवी मां नवरात्रि के दौरान धरती पर भक्तों के दुखों को नष्ट करने आती है और इस दौरान उनसे सच्चे मन सा मांगी हर मुराद पुरी होती है। मां से अपनी मुरादों की कामना लिए कुछ लोग मंदिर जाते हैं तो कुछ घर पर ही पूजा-पाठ करके माता को प्रसन्न करने के प्रयास करते हैं। देवी मां को प्रसन्न करने के लिए पूजा के साथ विशेष फूल भी चढ़ाना चाहिए। ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा बताते हैं की इससे देवी मां आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी करती है। ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र जी से जानते हैं की देवी मां को किस मनोकामना पूर्ति के लिए कौन सा फूल चढ़ाना चाहिए.... 1. इस नवरात्र दुर्गा जी को शंखपुष्पी यानि अपराजिता का फूल चढ़ाने से आपकी अधूरी व काफी समय से टल रही इच्छा पूरी हो जाएगी। 2. घर में हमेशा सुख-समृद्धि चाहते हैं, तो नवरात्र में देवी मां को चंपा, सफेद कमल और कुंद के फूल अर्पित करें। देवी मां प्रसन्न होकर आपको तरक्की का मार्ग दिखाएंगी। 3. नवरात्र में माता को पलाश, तगर, अशेक और मौलसिरी के फूल चढ़ाएं। ये पुष्प आप 5, 11 व 21 चढ़ाएं। इससे आपके घर मां लक्ष्मी का वास सालभर तक बना रहेगा। इसके साथ ही घर में धन-धान्य की बढ़ोत्तरी भी होगी। 4. यदि आप अपने कार्यक्षेत्र में सफलता चाहते हैं तो मां दुर्गा को लोध, कनेर एवं शीशम के फूल चढ़ाएं। इससे आपको जीवन में आगे बढ़ने के नए रास्ते मिलते रहेंगे। 5. मां दुर्गा को प्रसन्न करने एवं मनचाही मुराद पूरी करने के लिए उन्हें कनियार, गूमा, दोपहरिया, अगत्स्य, माधवी एवं कश की मंजरिया के फूल अर्पित करें। इससे देवी मां की कृपा आप पर सदा बनी रहेगी। 6. जो लोग अपने प्यार को पाना चाहते हैं या दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं, उन्हें नवरात्र पर बिल्वपत्र, केवड़ा और कदंब के फूल चढ़ाने चाहिए। 7. मां दुर्गा को गुड़हल के पुष्प भी बहुत प्रिय हैं। इसमें देवी का वास माना जाता है। इस फूल को चढ़ाने से मंगल और केतु शांत रहते हैं। 8. नवरात्र में देवी मां को लाल गुलाब के फूल अर्पित करें। इससे आपकी आर्थिक समस्याओं का समाधआन होगा और साथ ही धन आगमन का स्त्रोत बढ़ेगा। लेकिन ध्यान रहें कि पुष्पों की संख्या 11 से कम न हो।ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र सिद्धिविनायक ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र विभव खंड 2 गोमती नगर एवं वेदराज कांप्लेक्स पुराना आरटीओ चौराहा लाटूश रोड लखनऊ 94150 87711 92357 22996