।👾।हर हर महादेव शम्भो काशी विश्वनाथ वन्दे ।👾।
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||| 👉कुंडली में शिक्षा योग
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👉जैसे एक मकान का आधार अर्थात नींव मजबूत होने पर भविष्य के लिए निश्चिंतता मिल जाती है वैसे ही हमारे जीवन में शिक्षा भविष्य के लिए नींव का कार्य करती है और केवल अर्थोपार्जन के लिए ही नहीं बल्कि व्यक्ति के संपूर्ण चरित्र के विकास के लिए शिक्षा एक आधार का कार्य करती है।
👉वर्तमान में हर एक माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने का पूर्ण प्रयास करते है पर हम अपने आस-पास बहुत से उदाहरण देखते है जहाँ कुछ बच्चे सरलता से शिक्षा पूर्ण करलेते हैं और कुछ को शिक्षा में बाधाओं का सामना करना पड़ता है, कुछ बच्चे बुद्धिमान होने पर भी पढाई में मन नहीं लगा पाते तो कुछ अधिक बुद्धिमान न होने पर भी अपनी शिक्षा को पूरा कर लेते हैं, वास्तव में हमारी कुंडली में बने ग्रह-योग जीवन के प्रत्येक पक्ष को उजागर करते हैं जिससे हम लाभान्वित हो सकते हैं।
👉” जन्मकुंडली का पांचवा भाव हमारे ज्ञान, शिक्षा, और बुद्धि को दर्शाता है। बृहस्पति , ज्ञान , शिक्षा और विवेक का नैसर्गिक कारक है। बुध बुद्धि और कैचिंग-पावर का कारक होता है तथा चन्द्रमाँ मन की एकाग्रता को नियंत्रित करता है अतः कुंडली में पंचम भाव, बृहस्पति, और बुध की स्थिति शिक्षा को नियंत्रित करती है तथा चन्द्रमाँ की इसमें सहायक भूमिका होती है” –
👉1. पंचम भाव- पंचम भाव हमारी शिक्षा और ज्ञान का भाव होता है, यदि पंचमेश केंद्र, त्रिकोण आदि शुभ भावों में हो, स्व , उच्च , मित्र राशि में हो पंचम भाव पाप प्रभाव से मुक्त हो शुभ ग्रह पंचम भाव और पंचमेश को देखते हों तो शिक्षा अच्छी होती है परन्तु यदि पंचमेश दुःख भाव(6,8,12) में हो अपनी नीच राशि में बैठा हो पंचम भाव में पाप-योग बना हो, षष्टेश, अष्टमेश, द्वादशेश पंचम भाव में हो या पंचम भाव में कोई पाप ग्रह अपनी नीच राशि में बैठा हो तो ऐसे में शिक्षा में बाधाओं का सामना करना पड़ता है या संघर्ष के बाद शिक्षा पूरी होती है।
👉2. बृहस्पति – बृहस्पति ज्ञान और शिक्षा का कारक ग्रह है अतः कुंडली में बृहस्पति का शुभ भावों (केंद्र, त्रिकोण आदि) में होना स्व, उच्च, मित्र राशि में बैठना अच्छी शिक्षा दिलाता है और व्यक्ति विवेकशील होता है। परन्तु बृहस्पति का दुःख-भाव(6,8,12) में जाना अपनी नीच राशि(मकर) में बैठना, राहु से पीड़ित होना या अन्य प्रकार से कमजोर होना शिक्षा और ज्ञान प्राप्ति में बाधक होता है।
👉3. बुध – बुध ग्रह का आज के समय में बड़ा महत्व है क्योंकि बुद्ध हमारी बुद्धि क्षमता को नियंत्रित करता है अतः शिक्षा पक्ष में बुध का मजबूत होना बहुत शुभ होता है यदि कुंडली में बुध अपनी उच्च राशि स्व राशि में हो तो व्यक्ति बुद्धिमान और तर्क-कुशल होता है ऐसा जातक किसी भी बात को बहुत जल्दी समझ लेता है और उसकी स्मरणशक्ति भी अच्छी होती है। बलि बुध वाला व्यक्ति तार्किक विषयों में बहुत आगे निकलता है। परन्तु यदि बुध नीच राशि(मीन) में हो, दुःख-भाव(6,8,12) में हो, केतु के साथ हो तो ये स्थितियां भी शिक्षा में बाधक होती हैं।
👉4. चन्द्रमाँ – चन्द्रमाँ का शिक्षा से सीधा सम्बन्ध तो नहीं है परन्तु हमारे मन की एकाग्रता को चन्द्रमाँ ही नियंत्रित करता है अतः जिन जातकों की कुंडली में चन्द्रमाँ शुभ स्थिति में हो उनका मन स्थिर रहता है परन्तु यदि कुंडली में चन्द्रमाँ नीच राशि(वृश्चिक) में हो, दुःख भाव में हो या राहु , शनि से पीड़ित हो ऐसे व्यक्ति का मन सदैव अस्थिर रहता है , एकाग्रता नहीं बन पाती, जमकर किसी काम को नहीं कर पाते जिससे शिक्षा में रुकावटें आती है और जातक बुद्धिमान होने पर भी शिक्षा में पीछे रह जाता है।
👉अतः उपरोक्त घटकों के आधार पर हम जातक के जीवन में शिक्षा की स्थिति या शिक्षा में आने वाली बाधाओं के कारण को समझकर उसका समाधान निकाल सकते हैं।
👉कुछ महत्वपूर्ण तथ्य –
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👉1. जिन बच्चों की कुंडली में बुध कमजोर होता है उन्हें गणनात्मक विषयों में समस्याएं आती हैं। ऐसे बच्चों की हैंड-राइटिंग भी अच्छी नहीं होती। ऐसे बच्चों का उच्चारण भी अक्सर गलत होजाता है।
उपाय – गणेश जी की पूजा करें , बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाएं , ॐ बुम बुधाय नमः का जाप करें।
👉 2. जिन बच्चों की कुंडली में बृहस्पति कमजोर होता है वो व्याकरण(ग्रामर) में कमजोर होते है। ऐसे बच्चों की स्वविवेक क्षमता कम होती है तथा मैच्योरिटी कम होती है।
👉उपाय – ॐ बृम बृहस्पते नमः का जाप करें, गाय को भीगी चने की दाल खिलाएं, केले के पेड़ में जल दें।
👉3. जिन बच्चों की कुंडली में चन्द्रमाँ कमजोर हो तो ऐसे बच्चे पढाई में मन नहीं लगा पाते उनकी एकाग्रता कमजोर होती है।
उपाय – ॐ सोम सोमाय नमः का जाप करें, शिवलिंग का अभिषेक करें, सफ़ेद चन्दन का तिलक लगायें।
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