कैसे करें आरती ?
घर में कैसा और कौनसा दीपक, बाती जलाएं?
क्या है नियम ?
दीपक से सम्बंधित हर जानकारी
【शास्त्र प्रमाण सहित पढ़िए】
Jyotish Aacharya Dr Umashankar Mishra Siddhivinayak Jyotish AVN Vastu Anusandhan Kendra Vibhav khand 2 Gomti Nagar Lucknow 9415 087 711
आरती करने की सही विधि क्या है ?
तो पढ़िए।
जब भी आप आरती करें तो पहले भगवान के सामनें ॐ बनाने का प्रयास करें (यानी ॐ में घुमाए)।
फिर
👉आरती को कितनी बार घुमाना चाहिए ?
सबसे पहले भगवान के श्री चरणों की चार बार
नाभि की दो बार
मुख की एक बार
और फिर भगवान के समस्त श्री अंगों में यानी सिर से चरणों तक सात बार आरती घुमाएं।
इसका कारण है
(4+2+1+7 = 14) इस तरह से आरती करने में चौदहों भवन जो भगवान में समाए हैं उन्ह तक आपका प्रणाम पहुंचता है।
(आरती हमेशा श्री चरणों से ही प्रारम्भ करनी चाहिए)
👉कितने दीपों से आरती करें ??
हमारे शास्त्रों में कहा है-
यानी आरती को पंचमुखी ज्योति या सप्तमुखी ज्योति से करना ही सर्वोतम है, जिसमें साथ साथ शंख और घन्टी अवश्य चले।
👉दीपक को कैसे और कहाँ रखें ?
कालिका पुराण में आता है-
दीपक को धरती पर रखने से धरती पर ताप बड़ता है, इसलिए कभी दीपक को घरती पर न रखें।
(दीपक को आसन या थाली में ही रखें)
दीपक को स्थापित कर,
उसका पूजन कर और उसको प्रज्ज्वलित करने (यानी जलाने) के बाद हाथ को प्रक्षालित (जल से धोना या हाथों पर छीटा देना) अवश्य किया जाए, ऐसा वारह पुराण में आता है-
(ऐसा न करने से पाप का भागीदार होता है)
👉घी का दीपक जलाएं या तेल का ???
(शास्त्रों में या तो शुद्ध घी का या तिल के तेल का दीपक जलाने का प्रमाण है, पर सरसों, नारियल आदि का कहीं नहीं )
इसी के साथ ध्यान रखिए -
घी का दोपक हमेशा भगवान के दक्षिण तरह यानी (right side) और तिल के तेल का दीपक वाम भाग यानी left side रखा जाता है।
👉दीपक का मुख किस और हो ?
आहानिक सूत्रावली में आता है-
(दीपक का मुख पूर्व दिशा में होगा तो वह आयु बढाने वाला होगा,
उत्तर की तरफ वाला धन-धान्य देने वाला होता है, पश्चिम की तरफ दुख और दक्षिण की तरफ हानि देने वाला होता है)
👉अब अगला प्रश्न है कि कौन से बाती ?
घी के दीपक में हमेशा कपास(रुई) की बाती
और तिल के तेल में लाल मौली की बाती लगाई जाए, इसके बारे में शस्त्र कहता है-
परन्तु घी को तेल के साथ मिलाकर कभी भी दीप में न डालें।
👉दीपक की लोह कैसी हो ? (कालिका पुराण से)
(अगर दीपक की लोह चार उंगल से ऊपर का ताप दे रही है तो वह दीपक नहीं अग्नि है।
दीपक की लोह 4 अंगुल से कम हो दीपक में से चड़चड़ की आवाज न आए और न ही दीपक में से धुंआ उठे, इस प्रकार की लोह सर्वश्रेष्ठ है)
अब कुछ नियम सुनें
- आरती कभी भी अखण्ड दीप या उस दीप से न करें जो आपने पूजा के लिए जलाया था।
- आरती कभी भी बैठे-बैठे न करें।
- आरती हमेशा दाहिने हाथ से करें।
- कोई आरती कर रहा हो तो उस समय उसके ऊपर से ही हाथ घुमाना नही चाहिए,
यह काम आरती खत्म होने के बाद करें
- आरती के बीच में बोलने, चींखने, छिंखने आदि से आरती खंडित होती है,
- दीपक की वयवस्था इस प्रकार करें कि वह पूरी आरती में चलें
- आरती कभी भी उल्टी न घुमाएं, आरती को हमेशा,
Clockwise (यानी दक्षिणावर्त, जैसे घड़ी चलती है) में घुमाएं।
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जय श्री राम🙏❤️🚩
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