आपके कुंडली में राजयोग है क्या आपको राजयोग का फल मिल रहा है ? नहीं मिला है तो कब मिलेगा कैसे मिलेगा ? जानें !
........................................... Jyotish Aacharya Dr Umashankar Mishra 94150 8771 1 AVN 923 57 22996
आपके कुंडली में कोई ग्रह उच्च के हो या नीच के हो l उच्च के होते हुए भी कोई जरूरी नहीं है वह आपको उच्च फल ही देगा l
जब तक कोई ग्रह सक्रिय नहीं होता तब तक वह फल ही नहीं देता है l सक्रिय तब होगा जब वह अपने महादशा या अंतर्दशा में हो l
ठीक है मान लीजिए वह ग्रह सक्रिय हो गया l आपके कुंडली में उच्च का भी है l फिर आप देखिए कि वह ग्रह किस नक्षत्र में है और नक्षत्र स्वामी कहीं नीच का तो नहीं कुंडली में बैठा है l
अगर उच्च ग्रह के नक्षत्र स्वामी नीच का कहीं बैठा है तो वह आपको उच्च का फल नहीं देगा l
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मान लीजिए चंद्रमा वृष राशि में है और कृतिका नक्षत्र का है l
और कृतिका नक्षत्र का स्वामी सूर्य तुला में नीच का हो तो चंद्रमा भी आपको उच्च फल नहीं देगा l
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दूसरी बात है l अगर आपके शुक्र मीन राशि में उच्च के हैं लेकिन सूर्य से अस्त हो l उस परिस्थिति में भी शुक्र उच्च का फल नहीं देगा l
(( याद रखिए ! ग्रह अस्त तब माने जाते हैं जब सूर्य के डिग्री से किसी ग्रह की डिग्री का अंतर 10 डिग्री अधिक ना हो l ))
शुक्र और बुध सूर्य से एक घर आगे या पीछे ही अच्छा योग बनाते हैं l
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कोई ग्रह उच्च का भी हो लेकिन पाप कर्तरी में पड़ा हो तो वह उच्च का फल नहीं देगा l
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कभी कभी किसी उच्च ग्रह के साथ ऐसा होता है l कई ग्रह की युति या दृष्टि के कारण फल नहीं दे पाते जैसे राहु, केतु की युति या दृष्टि होना बाधक बन जाते हैं l
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अब बात करते हैं l राज योग की l यह भी अपने महादशा या अंतर्दशा में सक्रिय होने के बाद ही फल देता है l
लगभग ये सभी कुंडलियों में बनती हैं l
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मान लीजिए बुध और शुक्र कुंडली में लक्ष्मी योग का निर्माण कर रहे हैं l ये तभी फल देंगे जब बुध की महादशा या शुक्र की महादशा हो l उसमें भी विशेष फल तब आपको प्राप्त होंगे जब एक दूसरे की महादशा में एक दूसरे की ही अंतर्दशा हो l
यह समय आपके लिए मात्र अधिकतम 3 या साढ़े तीन साल के लिए ही होगी l लेकिन गोल्डन समय होगी l
लेकिन याद रखिए बुध और शुक्र सूर्य के सबसे करीबी होते हैं l वह अस्त ना हो जाए l अगर अस्त हो गया तो आपको पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा l
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या किसी बलहीन ग्रह या राहु , केतु की दृष्टि आपको कोई दूसरी दिशा भी ले जा सकती है l
जैसे गुरु के द्वारा कोई राजयोग का निर्माण हो रहा है और गुरु का बलहीन ग्रह के साथ युति है l या गुरु राहु से भी युति या दृष्ट है l जिसे आप गुरु चांडाल योग भी कहते हैं l यह आपके राजयोग को धूमिल कर देगा l
यानी जितना राजयोग का आपको फल मिलना चाहिए उतना नहीं मिलेगा l
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याद रखिए l अगर आपके कुंडली में राजयोग है और वह 72 सालों में भी सक्रिय हो रहा है तो जान लीजिए आप ना भी कमाने योग्य हो तो भी उस ग्रह के कारक ग्रह वो सुख देंगे l
मान लीजिए गुरु राजयोग बना रहा है तो आपका बेटा , शनि से नौकर तक आपको सुख देंगे l
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