ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र 94150 87711 भैया दूज भ्रातृ द्वितीया कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली कामना करती है
आज तारीख: मंगलवार, 29 अक्तूबर 2019
मान्यता है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्व काल में यमुना ने यमराज को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था। उस दिन नारकी जीवों को यातना से छुटकारा मिला और उन्हें तृप्त किया गया। वे पाप-मुक्त होकर सब बंधनों से छुटकारा पा गये और सब के सब यहां अपनी इच्छा के अनुसार संतोष पूर्वक रहे। उन सब ने मिलकर एक महान् उत्सव मनाया जो यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था। इसीलिए यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से विख्यात हुई।जिस तिथि को यमुना ने यम को अपने घर भोजन कराया था, उस तिथि के दिन जो मनुष्य अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन करता है उसे उत्तम भोजन समेत धन की प्राप्ति भी होती रहती है।
पद्म पुराण में कहा गया है कि कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया को पूर्वाह्न में यम की पूजा करके यमुना में स्नान करने वाला मनुष्य यमलोक को नहीं देखता (अर्थात उसको मुक्ति प्राप्त हो जाती है)।
भाई दूज मनाने की विधि सरल तरीका
– भाई दूज के दिन सुबह स्नान कर यम देवता, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए।
– यम की पूजा करते हुए बहन प्रार्थना करें कि हे यमराज, श्री मार्कण्डेय, हनुमान, राजा बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी होने का वरदान दें।
– इसके बाद शुभ मुहूर्त में भाई को टीका लगाने की विधि शुरू करें।
– भाई को किसी चौकी या पटरी पर बिठाएं। उनके माथे पर चावल का तिलक लगाएं।
– इसके बाद भाई के हाथ में कलावा बांधे और उन्हें सूखा नारियल, फूल, पान, सुपारी, कुछ पैसे देकर उनके हाथ पर पानी छोड़ें।
– इसके बाद भाई का मुंह मीठा करें और उन्हें भोजन कराएं।
– इस दिन भाई का बहन के घर जाकर भोजन करना काफी शुभ माना जाता है। अगर बहन शादीशुदा न हो तो वह अपने भाई को अपने हाथों से बनाकर भोजन कराएं।
भाई दूज(यम द्वितीया)- कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया उत्सव मनाने की विधि
29 अक्टूबर, 2019, मंगलवार
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भाई दूज, भाई- बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है, जिसे यम द्वितीया या भैया दूज (Bhaiya Dooj) भी कहते हैं। यह हिन्दू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक है, जिसे कार्तिक माह की शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है।
ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र ने कहा
भाई दूज देश के बाहर भी मनाया जाता है। यह भाइयों और बहनों के बीच प्यार के बंधन को बढ़ाने के लिए रक्षा बंधन त्योहार की तरह है। इस शुभ दिन की बहनें अपने विशेष भाइयों की भलाई और कल्याण के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं,
भैया दूज , 29 अक्टूबर, 2019 आज दिन मंगलवार
भाई दूज तिलक का समय : पूजा बिना कुछ खाए पिए करने का विधान है प्रातः 9:00 बजे से 11:30 तक विशिष्ट मुहूर्त है पूरे दिन कभी भी यह त्यौहार मनाया जा सकता है तिलक किया जा सकता है लेकिन विशिष्ट मुहूर्त प्रात कालीन है
भ्रातृ द्वितीया कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली कामना करती है
तारीख: मंगलवार, 29 अक्तूबर 2019
मान्यता है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्व काल में यमुना ने यमराज को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था। उस दिन नारकी जीवों को यातना से छुटकारा मिला और उन्हें तृप्त किया गया। वे पाप-मुक्त होकर सब बंधनों से छुटकारा पा गये और सब के सब यहां अपनी इच्छा के अनुसार संतोष पूर्वक रहे। उन सब ने मिलकर एक महान् उत्सव मनाया जो यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था। इसीलिए यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से विख्यात हुई।जिस तिथि को यमुना ने यम को अपने घर भोजन कराया था, उस तिथि के दिन जो मनुष्य अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन करता है उसे उत्तम भोजन समेत धन की प्राप्ति भी होती रहती है।
ज्योतिषाचार्य आकांक्षा ने कहा
पद्म पुराण में कहा गया है कि कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया को पूर्वाह्न में यम की पूजा करके यमुना में स्नान करने वाला मनुष्य यमलोक को नहीं देखता (अर्थात उसको मुक्ति प्राप्त हो जाती है)।
भाई दूज मनाने की विधि सरल तरीका
– भाई दूज के दिन सुबह स्नान कर यम देवता, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए।
– यम की पूजा करते हुए बहन प्रार्थना करें कि हे यमराज, श्री मार्कण्डेय, हनुमान, राजा बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी होने का वरदान दें।
– इसके बाद शुभ मुहूर्त में भाई को टीका लगाने की विधि शुरू करें।
– भाई को किसी चौकी या पटरी पर बिठाएं। उनके माथे पर चावल का तिलक लगाएं।
– इसके बाद भाई के हाथ में कलावा बांधे और उन्हें सूखा नारियल, फूल, पान, सुपारी, कुछ पैसे देकर उनके हाथ पर पानी छोड़ें।
– इसके बाद भाई का मुंह मीठा करें और उन्हें भोजन कराएं।
– इस दिन भाई का बहन के घर जाकर भोजन करना काफी शुभ माना जाता है। अगर बहन शादीशुदा न हो तो वह अपने भाई को अपने हाथों से बनाकर भोजन कराएं।
भाई दूज(यम द्वितीया)- कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया उत्सव मनाने की विधि
29 अक्टूबर, 2019, मंगलवार अर्थात आज
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भाई दूज, भाई- बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है, जिसे यम द्वितीया या भैया दूज (Bhaiya Dooj) भी कहते हैं। यह हिन्दू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक है, जिसे कार्तिक माह की शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है।
भाई दूज देश के बाहर भी मनाया जाता है। यह भाइयों और बहनों के बीच प्यार के बंधन को बढ़ाने के लिए रक्षा बंधन त्योहार की तरह है। इस शुभ दिन की बहनें अपने विशेष भाइयों की भलाई और कल्याण के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं,
भैया दूज , 29 अक्टूबर, 2019
भाई दूज तिलक का समय प्रातः 9:00 से दोपहर 11:30 तक बहन बिना कुछ खाए पिए अपने भाई को राखी बांधती है दोपहर के बाद बांधना ना बांधना दोनों बराबर हैं
भाई दूज पूजा विधी
इस दिन सुबह पहले स्नान करके गायत्री, लक्ष्मी-विष्णु और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। बहन अपने हाथों से बना कुछ मीठा हलवा या मिठाई या खीर सर्वप्रथम तुलसी पत्र डालकर ईश्वर को भोग लगाएगी, और भाई बहन एक दूसरे के सद्बुद्धि के लिए, उज्जवल भविष्य के लिए, धन धान्य के लिए पांच घी के दीपक जलाकर पूजन करेऔर साथ साथ निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करे
24 गायत्री मन्त्र - ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्
5 महामृत्युंजय मन्त्र - ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
3 बार गणेश मन्त्र - ॐ एक दन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्
3 बार लक्ष्मी मन्त्र - ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे, विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्
3 बार विष्णु मन्त्र - ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्
मन्त्र जप के बाद आरती करके, बहन पूजा के थाल में तिलक, कलावा, और मीठा भोग लेगी। भाई के माथे पर टीका निम्नलिखित मन्त्र के साथ लगा कर उसकी लंबी उम्र और सद्बुद्धि की कामना करेगी। साथ में हल्दी वाले अक्षत भी माथे में लगाएगी।
ॐ चन्दनस्य महत्पुण्यं, पवित्रं पापनाशनम्।
आपदां हरते नित्यम्, लक्ष्मीस्तिष्ठति सर्वदा॥
फ़िर बहन भाई के हाथ में निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए कलावा(रक्षासूत्र बांधेगी)।
ॐ व्रतेन दीक्षामाप्नोति, दीक्षयाऽऽप्नोति दक्षिणाम्।
दक्षिणा श्रद्धामाप्नोति, श्रद्धया सत्यमाप्यते॥
फिर बहन भाई को खीर/मीठा खिलायेगी।
भाई बहन को इसी तरह टीका लगाकर, कलावा बांधकर खीर/मीठा खिलायेगा।
इस दिन भाई को बहन के घर जाकर भोजन करना चाहिए। अगर बहन की शादी ना हुई हो तो उसके हाथों का बना भोजन करना चाहिए। अपनी सगी बहन न होने पर चाचा, भाई, मामा आदि की पुत्री अथवा पिता की बहन के घर जाकर भोजन करना चाहिए। साथ ही भोजन करने के पश्चात बहन को गहने, वस्त्र आदि उपहार स्वरूप देना चाहिए इस दिन यमुनाजी में स्नान का विशेष महत्व है। ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र एवं ज्योतिषाचार्य आकांक्षा / ने कहा यम द्वितीया की तिथि: 29 अक्टूबर 2019
द्वितीया तिथि प्रारंभ: 29 अक्टूबर 2019 को सुबह 06 बजकर 13 मिनट से
द्वितीया तिथि समाप्त: 30 अक्टूबर 2019 को सुबह 03 बजकर 48 मिनट तक
भाई दूज प्रातः 9:00 से 11:30 तक अति विशिष्ट मुहूर्त है इस पूजन में बहन भाई को निर्जला बिना कुछ खाए पिए पूजा पाठ करके भाई को तिलक लगाती है पूजन करती है कलावा राखी बांधती है आशीर्वाद देती है मंगल कामना करती है पूजा बहुत महत्वपूर्ण है जितना प्रातकाल हो उतना ही उचित है दोपहर के बाद निश्चित है भोजन जलपान आदमी किए रहता है
भाई दूज पूजा विधी
इस दिन सुबह पहले स्नान करके गायत्री, लक्ष्मी-विष्णु और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। बहन अपने हाथों से बना कुछ मीठा हलवा या मिठाई या खीर सर्वप्रथम तुलसी पत्र डालकर ईश्वर को भोग लगाएगी, और भाई बहन एक दूसरे के सद्बुद्धि के लिए, उज्जवल भविष्य के लिए, धन धान्य के लिए पांच घी के दीपक जलाकर पूजन करेऔर साथ साथ निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करे
24 गायत्री मन्त्र - ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्
5 महामृत्युंजय मन्त्र - ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
3 बार गणेश मन्त्र - ॐ एक दन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्
3 बार लक्ष्मी मन्त्र - ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे, विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्
3 बार विष्णु मन्त्र - ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्
मन्त्र जप के बाद आरती करके, बहन पूजा के थाल में तिलक, कलावा, और मीठा भोग लेगी। भाई के माथे पर टीका निम्नलिखित मन्त्र के साथ लगा कर उसकी लंबी उम्र और सद्बुद्धि की कामना करेगी। साथ में हल्दी वाले अक्षत भी माथे में लगाएगी।
ॐ चन्दनस्य महत्पुण्यं, पवित्रं पापनाशनम्।
आपदां हरते नित्यम्, लक्ष्मीस्तिष्ठति सर्वदा॥
फ़िर बहन भाई के हाथ में निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए कलावा(रक्षासूत्र बांधेगी)।
ॐ व्रतेन दीक्षामाप्नोति, दीक्षयाऽऽप्नोति दक्षिणाम्।
दक्षिणा श्रद्धामाप्नोति, श्रद्धया सत्यमाप्यते॥
फिर बहन भाई को खीर/मीठा खिलायेगी।
भाई बहन को इसी तरह टीका लगाकर, कलावा बांधकर खीर/मीठा खिलायेगा।
इस दिन भाई को बहन के घर जाकर भोजन करना चाहिए। अगर बहन की शादी ना हुई हो तो उसके हाथों का बना भोजन करना चाहिए। अपनी सगी बहन न होने पर चाचा, भाई, मामा आदि की पुत्री अथवा पिता की बहन के घर जाकर भोजन करना चाहिए। साथ ही भोजन करने के पश्चात बहन को गहने, वस्त्र आदि उपहार स्वरूप देना चाहिए इस दिन यमुनाजी में स्नान का विशेष महत्व है।
भैयादूज / यम द्वितीया की तिथि: 29 अक्टूबर 2019
द्वितीया तिथि प्रारंभ: 29 अक्टूबर 2019 को सुबह 06 बजकर 13 मिनट से
द्वितीया तिथि समाप्त: 30 अक्टूबर 2019 को सुबह 03 बजकर 48 मिनट तक
भाई दूज प्रातः 9:00 से 11:30 तक ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र 941 508 7711 923 5722 996
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