परीक्षा में एकाग्रता/बेहतर प्रदर्शन के लिए ज्योतिषीय मार्गदर्शन
ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र 94150 87711
ज्ञान, विज्ञान विद्या के क्षेत्र में ज्योतिष विज्ञान दृष्टि का कार्य करता है।
*वेदचक्षुः क्लेदम् स्मृतं ज्योतिषम
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति की पढ़ाई के सभी विषय किसी न किसी ग्रह से सम्बंधित होते है और जब ग्रहों की स्थिति बदलती है तो इसका प्रभाव उससे सम्बंधित विषय पर भी होता है |
प्रतियोगिता के इस युग में लगभग सभी परिवार अपने बच्चों के पढ़ाई में मन नहीं लगने के कारण काफी परेशान नजर आते हैं।
किसी भी परीक्षा में सफलता की कुंजी है छात्र की योग्यता और कठिन परीश्रम। इन सब चीजों के साथ यदि जन्म कुंडली में ग्रहों की शुभता भी प्राप्त हो जाए तो सफलता की संभावनाएं और अधिक बढ़ जाती हैं। ज्योतिष ग्रहों से मिलने वाली सहायता लेने पर विद्यार्थी कई बार बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
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बच्चों के पढ़ाई में मन लगाने के लिए एकाग्रता की जरूरत होती है क्योंकि एकाग्रता दिमाग को गलत और अनचाहे विचार से बचायें रखती है , जिससे मस्तिष्क की शक्ति बढती है और यह शक्ति एकाग्रता की शक्ति ( Power of Concentration ) है.
जन्म कुंडली के ग्रह आपके अध्ययन (Study ) में अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितिओं का निर्माण करते है।
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1. चंद्रमा खराब होने पर विद्यार्थी को एकाग्रता में कमी और चिड़चिड़ेपन की समस्या हो सकती है। चंद्रमा की स्थिति से विद्यार्थी के दृष्टिकोण को प्रभावित करती है ।
चन्द्रमा और बुध का सम्बन्ध विद्या से है क्योकि मन मस्तिष्क का करक चन्द्रमा है और जब चन्दमा अशुभ होता है तो चंचल होता है इस कारण मन मस्तिष्क में स्थिरता और एकाग्रता को प्रभावित करता है |
2. बुध की अशुभता के कारण विधार्थी में तर्क एवं कुशलता के कमी होती है|
3. आत्मकारक ग्रह सूर्य यदि पीड़ित, निर्बल अशुभ प्रभाव में हो तो आत्म बल कमजोर हो जाता है। इस कारण पढाई में मन काम लगता है |
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4. किसी कुंडली में यदि शिक्षा के कारक ग्रहों बृहस्पति (ज्ञान) और बुध (बुद्धि) , चतुर्थेष निर्बल, अस्त, पाप, व क्रूर ग्रहों से पीड़ित हो एवं द्वितियेश पर चतुर्थ, पंचम भाव पर क्रूर ग्रह की दृष्टि द्वितीयेश और चतुर्थेश का संबंध षष्ठेश, अष्टमेश और द्वादशेश से हो, तो स्मरण शक्ति कमजोर होती है ,पढ़ाई में मन नहीं लगना या याददाश्त की कमी जैसी समस्याएं बच्चे की प्रगति व उन्नति में बाधक बनने लगती है।
5. जन्मकुंडली में द्वितीयेश व चुतर्थेश शुभ हों तो प्रबल स्मरण शक्ति होती है।
6. कुण्डली में चौथे भाव में शुभ ग्रह हों, चतुर्थ भाव का अधिपति शुभ प्रभाव में हो तो अध्ययन के दौरान घर का वातावरण शांत और सौम्य रहता है।
परीक्षा के समय में उपाय
माँ सरस्वती विद्या व ज्ञान की अधिष्ठात्री हैं। माँ सरस्वती की पूजा-आराधना से स्मरण शक्ति तीव्र होती है, सौभाग्य प्राप्त होता है, विद्या में कुशलता प्राप्त होती है।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नम:
मां सरस्वती की कृपा से ही विद्या, बुद्धि, वाणी और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
कुशल ज्योतिषी की सलाह पर परीक्षा में अच्छे अंको के प्राप्ति के लिए जन्म कुंडली के सम्बंधित भाव , भावेश तथा कारक ग्रह से सम्बंधित ज्योतिषीय उपाय करने से सफलता की संभावनाएं और अधिक बढ़ जाती हैं। पढ़ाई के साथ इन्हें भी अपनाएँ और अच्छे परिणाम पाए |
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