लोहे या घोड़े की नाल से बना शनि का छल्ला, जानिए 10 खास बातें astroexpertsolutions.com ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र 941 5087 711 लोहे के छल्ले या अंगुठी को शनि का छल्ला कहा जाता है। कुछ लोग घोड़े की नाल की अंगुठी बनवाकर पहनते हैं। ज्योतिषानुसार शनि की ढैय्या, साढ़े साती, दशा, महादशा या अन्तर्दशा में तमाम तरह की परेशानियों से बचने के लिए लोहे का छल्ला पहना जाता है। लाल किताब के सिद्धांत इस संबंध में क्या कहती है जानिए 10 खास बातें।     1. लाला किताब का रूल : लाल किताब में धातुओं के छल्ले को पहनने का उल्लेख मिलता है। लाल किताब के अनुसार कुंडली की जांच करने के बाद ही लोहे का छल्ला पहना चाहिए अन्यथा इसके विपरित प्रभाव भी हो सकते हैं।     1. चांदी का छल्ला : कुंडली में सूर्य, शुक्र और बुध कमजोर हो तो चांदी का छल्ला मददगार होगा। ऐसे में लोहे का छल्ला धारण करना नुकसानदायक हो सकता है।     3. लोहे का छल्ला : जब बुध और राहु हो तो छल्ला बेजोड़ लोहे का होगा। मतलब यह कि तब लोहे का छल्ला अंगुली में धारण करना चाहिए।     4. जिस्म पर धारण करें : यदि बुध यदि 12वें भाव में हो या बुध एवं राहु मुश्किल या अलग अलग भावों में मंदे हो रहे हों तो यह छल्ला जिस्म पर धारण करेंगे तो मददगार होगा।     5. तब किस्मत चमका देगा : 12वां भाव, खाना या घर राहु का घर भी है। लोहे का छल्ला बुध शनि जन्मांग चक्र के अनुसार अनुकूल है। बुध यदि 12वें भाव में है तो वह 6टें अर्थात खाना नंबर 6 के तमाम ग्रहों को बरबाद कर देता है। विवेक (बुध) के साथ अगर चतुराई (शनि) का साथ नंबर 2-12 मिल जावे तो जहर से मरे हुए के लिए यह छल्ला अमृत होगा। मतलब किस्मत को चमका देगा।     6. किसे नहीं पहनना चाहिए : ऊपर यह स्पष्ट हो गया है कि कुंडली में सूर्य, शुक्र और बुध बहुत पावर में हो या बहुत अनुकूल हो तो लोहे का छल्ला नहीं पहनना चाहिए। दूसरा यह कि जिस की कुंडली में शनि ग्रह उत्मम फल दे रहा हो उसे भी यह छल्ला नहीं पहनना चाहिए।     7. क्यों धारण करते हैं छल्ला : सामान्यतया इसका प्रयोग शनि, राहु और केतु के दुष्प्रभावों और बुरी आत्माओं से बचने के लिए किया जाता है।     8. किस अंगुली में धारण करें : इसे दाहिने हाथ की माध्यम अंगुली में धारण किया जाता है क्योंकि इसी अंगुली के नीचे शनि पर्वत होता है।     9. कब धारण करें : शनिवार के दिन शाम के समय इसे धारण करें। इसके लिए पुष्य, अनुराधा, उत्तरा, भाद्रपद एवं रोहिणी नक्षत्र सर्वश्रेष्ठ हैं।     10.धारण करने के बाद क्या करें : यदि वैदिक ज्योतिष एवं लाल किताब द्वारा बतायी गई स्थिति के अनुसार यह छल्ला धारण कर रखा है तो इस छल्ले को समय समय पर रेत से चमकाते रहें या घिसते रहें।   astroexpertsolutions.com ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र सिद्धिविनायक ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र विभव खंड गोमती नगर एवं वेदराज कांप्लेक्स पुराना आरटीओ चौराहा लाटूश रोड लखनऊ 94 150 877 11 9 2357 229 96