कुंडली में सूर्य ग्रह को मजबूत करने के अचूक उपाय Jyotish Aacharya Dr Umashankar Mishra 9415 087 711 ग्रहो के अधिपति सूर्य का हमारे जीवन दाता है सूर्य से ही पृथ्वी पर जीवन है वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि एवं ज्योतिष शास्त्र की दृष्टिकोण से भी सूर्य की अनुकूलता अति आवश्यक है । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य आत्मा , प्राण ऊर्जा , पिता , आत्मज्ञान , सरकार , मान , प्रतिष्ठा , यश , कीर्ति , आत्म विश्वास के कारक है शरीर मे अस्थि , जैव - विद्युत, श्वसन तन्त्र जीवन मे सूर्य की कृपा अति आवश्यक है । " जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम् । तमोऽरिं सर्वपापध्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ।। जो जपापुष्प के समान अरुणिम् आभावाले महान तेज से सम्पन्न, अन्धकार के विनाशक सभी पापो को दूर करने वाले तथा मर्हिषि कश्यप के पुत्र है उन सूर्य को मै प्रणाम करता हूँ। ज्योतिष शास्त्र मे सूर्य ग्रह की अनुकूलता एवं प्रसन्नता की अनेकानेक विधियाँ वतायी गयी है जिनका संक्षिप्त परिचय निम्नवत है - सूर्य देव की प्रसन्नता कृपा प्राप्ति के उपाय - ● मंत्र आराधना - मंत्र आराधना सबसे श्रेष्ठ है जन्म कुंडली सूर्य शुभ प्रभाव युक्त हो या पाप प्रभावित हर परिस्थिति मे सूर्य की अनुकूलता की प्राप्ति के लिए , कारकतत्व मे शुभ फल प्राप्ति के लिए मंत्र आराधना अति श्रेष्ठ है - सूर्य वैदिक मंत्र- "ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्य च । हिरण्ययेन सविता रथेगा देवो याति भुवनानि पश्यन् ।। ( यजुर्वेद 33/43 , 34/31 ) सूर्य गायत्री मंत्र- " ॐ आदित्याय विद्यमहे प्रभाकराय धीमही तन्नो सूर्य प्रचोदयात् । " सूर्य बीज मंत्र- " ॐ हीं हौं सूर्याय नमः " " ॐ मार्तण्डाय नमो नमः " सूर्य तान्त्रिक मंत्र- " ॐ घृणिः सूर्याय नमः ।। " " ॐ हां हीं हौं सः सूर्याय नमः " सूर्य प्रार्थना - " पद्मासनः पद्मकरो द्विबाहुः पद्मद्युतिः सप्ततुरंग्वाहः । दिवाकरो लोकगुरुः किरीटी मयि प्रसादं विदधातु देव ।। सूर्य स्त्रोत- " ग्रहाणामादिरादित्यो लोकरक्षणकारकः । विषमस्थानसम्भूतां पीडां हरतु मे रविः ।। उपरोक्त मंत्र या स्त्रोत पाठ 108 बार करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है नित्य आदित्य ह्दय स्त्रोत, गायत्री मंत्र जप करने से भी सूर्य देव प्रसन्न होते हैं । ● सूर्य अर्ग - नित्य ताँबे के पात्र से शुद्ध जल ,लाल पुष्प, केशर या रक्त चंदन मिलाकर अर्ग अर्पित करने से सूर्य देव को प्रसन्नता तथा उनकी कृपा प्राप्त होती है । सूर्य दान- स्नान- जन्म कुंडली मे सूर्य की स्थिति विषम परिस्थिति मे हो सूर्य नीच राशि तुला मे विद्यमान या पाप ग्रहो से सम्बंधित अथवा शत्रुस्थान मे स्थित होने पर अति कष्टदायक सिद्ध होते है अनेक रोगो के कारण हो सकते है के लिए सूर्य के कारकतत्व वाली वस्तुओ के दान का विधान है यह निर्णय विद्धान ज्योतिषी के पूर्ण कुंडली विश्लेषण के बाद लिया जाना चाहिए। सूर्य की अनिष्ट शान्ति के लिए केशर , जेठीमधु , कमलगट्टा , इलायची, मनः शिल , खस , देवदारू ,पाटला से स्नान करना चाहिए। ज्योतिःसार ग्रन्थ के अनुसार सूर्य दान के लिए लाल- पीले रंग से मिश्रित वर्ण के वस्त्र, गुड , ताम्र , माणिक्य, गेंहू , लाल कमल , सवत्सा गौ तथा मसूर की दाल का दान करने का विधान है । ● सूर्य रत्न - माणिक्य रत्न अवश्य धारण करें इसे धारण करने के अनेकों लाभ हैं ● सूर्य निवेदन - सूर्य देव की प्रसन्नता के सुन्दर प्रार्थना - " भानु दिवाकर अर्क प्रभाकर, हमको कृपाकर सद्ज्ञान दे दो । तम के विनाशक,जग के प्रकाशक, हम पर कृपाकर सब दोष हर लो ।। रहे तन निरोगी तुम्हारी दया से , रहे नैन चेतन तुम्हारी कृपा से । तुम्ही वेद दाता , तुम्ही ज्ञान राशि , तुम्हारी कृपा से सद् बुद्धि आती ।। कटे पाप सारे , जलें दोष सारे , करें न त्रुटि हम , तुम्हारे हों प्यारे । जीवन में भर दो क्षितिज की सी लाली , करूणा के सागर हे अंशुमाली ।। " भगवान सूर्य सम्पूर्ण लोकोंके आत्मा हैं वे पृथ्वी और द्युलोक के मध्य मे स्थित आकाश मण्डल के भीतर कालचक्र मे स्थित होकर बारह मासो को भोगते हैं अतः प्रत्येक मानव को उनकी प्रसन्नता के लिए प्रार्थना करनी ही चाहिए।