पितरों के समान ही हैं ये वृक्ष,पक्षी,पशु और जलचर। Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 941 5087 711 923 5722 996 तीन वृक्ष--- 1 - पीपल का वृक्ष - पीपल का वृक्ष बहुत पवित्र है। एक ओर इसमें जहां भगवान विष्णु का निवास है वहीं यह वृक्ष रूप में पितृदेव भी हैं। पितृ पक्ष में इसकी उपासना करना विशेष शुभ होता है। 2 - बेल का वृक्ष - यदि पितृ पक्ष में शिवजी को अत्यंत प्रिय बेल का वृक्ष लगाया जाय तो अतृप्त आत्मा को शान्ति मिलती है। अमावस्या के दिन शिव जी को बेल पत्र और गंगाजल अर्पित करने से सभी पितरों को मुक्ति मिलती है तथा पितृदोष का निवारण होता है। 3 - तुलसी वृक्ष - तुलसी के वृक्ष की भी पूजा करनी चाहिए तुलसी वृक्ष भगवान विष्णु को बहुत ही प्रिय है। और भगवान विष्णु ही पितरों को मोक्ष प्रदान करते हैं। श्राद्ध में तुलसी पत्र का अधिक महत्व है। तीन पक्षी--- 1 - कौआ - कौए को पितरों का आश्रय स्थल माना जाता है। श्राद्ध पक्ष में कौओं का बहुत महत्व माना गया है। इस पक्ष में कौओं को भोजन कराना अर्थात् अपने पितरों को भोजन कराना माना गया है। शास्त्रों के अनुसार कोई भी क्षमतावान आत्मा कौए के शरीर में स्थित होकर विचरण कर सकती है। 2 - हंस - पक्षियों में हंस एक ऐसा पक्षी है जहां देव आत्माएं आश्रय लेती हैं। यह उन आत्माओं का ठिकाना हैं जिन्होंने अपने ‍जीवन में पुण्यकर्म किए हैं और जिन्होंने धर्म-नियम-यम का पालन किया है। कुछ समय तक हंस योनि में रहकर आत्मा अच्छे समय का इंतजार कर पुन: मनुष्य योनि में लौट आती है या फिर वह देवलोक चली जाती है। हो सकता है कि हमारे पितरों ने भी पुण्य कर्म किए हों। 3 - गरुड़ - भगवान गरुड़ विष्णु के वाहन हैं। भगवान गरुड़ के नाम पर ही गरुड़ पुराण है जिसमें श्राद्ध कर्म,स्वर्ग नरक,पितृलोक आदि का उल्लेख मिलता है। पक्षियों में गरुड़ को बहुत ही पवित्र माना गया है। भगवान राम भी मेघनाथ के नागपाश से मुक्ति दिलाने वाले गरूड़ का आश्रय लेते हैं ।गरुड़ जी स्मरण से पितृगण प्रसन्न होते हैं। दो पशु--- 1- कुत्ता - कुत्ते को यम का दूत माना जाता है। दरअसल कुत्ता एक ऐसा प्राणी है जो भविष्‍य में होने वाली घटनाओं और (सूक्ष्म जगत) की आत्माओं को देखने की क्षमता रखता है। कुत्ते को रोटी देते रहने से पितरों की कृपा बनी रहती है। 2 - गाय - जिस तरह गया में सभी देवी और देवताओं का निवास है उसी तरह गाय में सभी देवी और देवताओं का निवास बताया गया है। मान्यता के अनुसार 84 लाख योनियों का भ्रमण करके आत्मा अंतिम योनि के रूप में गाय बनती है। गाय लाखों योनियों का वह पड़ाव है जहां आत्मा विश्राम करके आगे की यात्रा शुरू करती है। अतः गाय का पूजन करने एवं भोजन देने से पितर प्रसन्न होते हैं। एक जलचर जंतु--- 1 - मछली - भगवान विष्णु ने एक बार मत्स्य का अवतार लेकर मनुष्य जाती के अस्त्वि को जल प्रलय से बचाया था। जब श्राद्ध के समय में चावल आदि के पिंड दिया जाता है तो उन्हें जल में विसर्जित कर दिया जाता है जिससे मछली को भोजन मिल सके। मछलियों को भोजन देने से पितरों को तृप्त मिलती है। 2 - नाग - सनातन संस्कृति में नाग की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि यह एक रहस्यमय जंतु है। यह भी पितरों का प्रतीक माना गया है