#तन्त्र क्रिया से #सुरक्षा
_*ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा 94150 87711
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तन्त्र क्रियाओं से बचने के लिए अभेद सुरक्षा कोई नही होती है। साधक और तांत्रिक भी तन्त्र क्रियाओं के प्रभाव में आ जाते है तो सामान्य मनुष्य के लिए तो बड़ा ही मुश्किल कार्य है। तन्त्र क्रियाओं से पीड़ित व्यक्ति की समस्याए ठीक करते हुए भी साधक अपना जीवन गवा देते है। जब साधक या तांत्रिक के पास ही अभेद सुरक्षा नही है तो सामान्य व्यक्ति के लिए कहा से होगी।
ये सब हमारे आवरण(ओरा) के ऊपर निर्भर करता है। सभी मनुष्य के ऊपर जन्म से ही एक आवरण बना होता है जो सुरक्षा प्रदान करता है। ये आवरण मनुष्य की सयम की ऊर्जा से बना होता है। उसके बाद देव देवी की ऊर्जाओं से आवरण बनाया जा सकता है।
जब व्यक्ति गलत कर्म करता है, नकारात्मक विचार रखता है तो आवरण की ऊर्जा क्षीण हो जाती है जिससे हमपर नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रभाव पड़ने लगता हैं। एक साधक को पता है कोनसी देव देवी के आवरण को कोनसी ऊर्जा से भंग किया जाता है। यदि आवरण से बनी ऊर्जा से उच्च शक्ति किसी तांत्रिक के पास होती है तो वो सुरक्षा आवरण को भंग कर देता है।
काफी लोग है रुद्राक्ष, यंत्र आदि धारण करते है सुरक्षा के लिए लेकिन धारण करने के बाद उनकी ऊर्जा भी क्षीण होने लगती है उनकी ऊर्जा बनाये रखने के लिए नित्य पूजन मन्त्र जाप आदि किये जाते है। सभी के अंदर ऊर्जा ही कार्य करती है चाहे कुछ भी धारण करले।
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