भद्र योग के बारे में कुछ विषेश जानकारी
ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव
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ज्योतिष में पंचमहापुरुष योग की चर्चा बहुत होती है। पंच मतलब 5, महा मतलब महान और पुरुष मतलब सक्षम व्यक्ति। पंच में से कोई भी एक योग होता है तो व्यक्ति सक्षम हो जाता है और उसे जीवन में संघर्ष नहीं करना होता है। कुंडली में पंच महापुरुष मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि होते हैं। इन 5 ग्रहों में से कोई भी मूल त्रिकोण या केंद्र में बैठे हैं तो श्रेष्ठ हैं। केंद्र को विष्णु का स्थान कहा गया है। महापुरुष योग तब सार्थक होते हैं जबकि ग्रह केंद्र में हों। विष्णु भगवान के 5 गुण होते हैं। भगवान रामचन्द्र और श्रीकृष्ण की कुंडली के केंद्र में यही पंच महापुरुष विराजमान थे।
ये हैं वे पांच महायोग : उपरोक्त 5 ग्रहों से संबंधित 5 महायोग के नाम इस तरह हैं- मंगल का रुचक योग, बुध का भद्र योग, गुरु का हंस योग, शुक्र का माल्वय योग और शनि का शश योग होता है। यहां जानिए बुध के भद्र योग को।
बुध का भद्र योग : यह योग बुद्ध ग्रह से संबंधित है। यदि आपकी कुंडली में बुध लग्न से अथवा चन्द्रमा से केन्द्र के घरों में स्थित हैं अर्थात बुध यदि कुंडली में लग्न अथवा चन्द्रमा से 1, 4, 7 अथवा 10वें घर में मिथुन अथवा कन्या राशि में स्थित हैं तो आपकी कुंडली में भद्र योग है।
5 फायदे :
1. भद्रक योग की कुंडली का जातक बुद्धि, चतुराई और वाणी का धनी होता है।
2. ऐसा जातक सफल वक्ता भी बन सकता है।
3. ऐसा जातक कार्य कौशल, लेखन, गणित, कारोबार और सलाहकर के क्षेत्र में सफल रहता है।
4. उसमें विशलेषण करने की गजब क्षमता रहती है।
5. उसकी तार्किक शक्ति भी अद्भुत रहती है।
उपरोक्त गुण होने से वह सफल जीवन यापन करता है।
अपना जन्म दिनांक और समय भेजे अपने कुण्डली का वीशलेषण कराये ।
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