महालाक्ष्मी पूजन :कैसे करें पूजन... ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव 94150 87711 8840 727096 Astroexpertsolution.com 13 September 2021 भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से शुरू हुआ 16 दिवसीय महालक्ष्मी का पूजन आश्विन कृष्ण अष्टमी, 28 सितंबर 2021 को समाप्त हो जाएगा। इन 16 दिनों तक महालक्ष्‍मी का पूजन विधि-विधान से करने की मान्यता है। आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी व्रत संपन्न किया जाता है। जो लोग पूरे 16 दिन व्रत नहीं रख पाते हैं, वे पहले दिन और सिर्फ आखिरी दिन व्रत रखकर मां लक्ष्मी का पूजन कर सकते हैं। इस दिन सुबह स्‍नानादि से निवृत्त होकर एक चौकी लें। उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं तथा मां लक्ष्मी की हाथी पर विराजित मिट्टी की मूर्ति की स्‍थाप‍ना करें। ज्ञात हो कि इस दिन हाथी पर सवार मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस व्रत के संबंध में ऐसी मान्यता है कि यह व्रत रखने से निर्धनता से मुक्ति मिलती है। अगर कोई मनुष्य महालक्ष्मी व्रत का संकल्प लेकर निरंतर 16 वर्षों तक यह व्रत करे तो उसको किसी भी जन्म में दरिद्रता व गरीबी का सामना नहीं करना पड़ता है। इस दिन महालक्ष्‍मी का प्रिय भोग खीर, मिश्री (चीनी के स्‍थान पर) से तैयार की गई साबूदाने की खीर का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। इस व्रत में श्रीयंत्र के बिना देवी मां लक्ष्‍मी की पूजा अधूरी मानी जाती है। इस दिन श्रीयंत्र की पूजा कमल के फूल से करना लाभदायी रहता है। मां लक्ष्‍मी के पूजन में सोने-चांदी का कोई एक आभूषण और रुपए अथवा सिक्का रखकर पूजा करना चाहिए। सुबह-शाम दोनों समय मां की आरती करें, तत्पश्चात मिठाई का भोग लगाएं फिर प्रसाद ग्रहण करें। 16 दिवसीय महालक्ष्मी पूजन के दौरान प्रतिदिन तुलसी को जल अर्पित करने से श्री‍हरि विष्णु तथा मां लक्ष्मी अपने भक्त पर प्रसन्न होकर उन्हें कुबेर के समान धनवान होने का आशीर्वाद देते हैं। इस दिन उपवास रखें तथा अन्न से बनी वस्तुओं का सेवन वर्जित है। इस व्रत में केवल दूध, फल या मिठाई का सेवन किया जा सकता है। ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव 94150 87711 8840 727096 Astroexpertsolution.com