जन्माष्टमी विशेष : वैभव, यश, सौभाग्य और कीर्ति देंगे भगवान श्रीकृष्ण के 108 नाम *ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा 9415087711 astroexpertsolution.com जन्माष्टमी पर सौभाग्य, ऐश्वर्य, यश, कीर्ति, पराक्रम और अपार वैभव के लिए भगवान श्रीकृष्ण के नामों का जाप किया जाता है। 108 नाम यहां l प्रस्तुत हैं। पढ़ें भगवान श्रीकृष्ण के 108 नाम और उनके अर्थ... और पाएं हर तरह की समृद्धि.... भगवान श्रीकृष्ण के 108 नाम 1. अचला : भगवान। 2. अच्युत : अचूक प्रभु या जिसने कभी भूल न की हो। 3. अद्भुतह : अद्भुत प्रभु। 4. आदिदेव : देवताओं के स्वामी। 5. अदित्या : देवी अदिति के पुत्र। 6. अजन्मा : जिनकी शक्ति असीम और अनंत हो। 7. अजया : जीवन और मृत्यु के विजेता। 8. अक्षरा : अविनाशी प्रभु। 9. अमृत : अमृत जैसा स्वरूप वाले। 10. अनादिह : सर्वप्रथम हैं जो। 11. आनंद सागर : कृपा करने वाले। 12. अनंता : अंतहीन देव। 13. अनंतजीत : हमेशा विजयी होने वाले। 14. अनया : जिनका कोई स्वामी न हो। 15. अनिरुद्धा : जिनका अवरोध न किया जा सके। 16. अपराजित : जिन्हें हराया न जा सके। 17. अव्युक्ता : माणभ की तरह स्पष्ट। 18. बाल गोपाल : भगवान कृष्ण का बाल रूप। 19. बलि : सर्वशक्तिमान। 20. चतुर्भुज : चार भुजाओं वाले प्रभु। 21. दानवेंद्रो : वरदान देने वाले। 22. दयालु : करुणा के भंडार। 23. दयानिधि : सब पर दया करने वाले। 24. देवाधिदेव : देवों के देव। 25. देवकीनंदन : देवकी के लाल (पुत्र)। 26. देवेश : ईश्वरों के भी ईश्वर। 27. धर्माध्यक्ष : धर्म के स्वामी। 28. द्वारकाधीश : द्वारका के अधिपति। 29. गोपाल : ग्वालों के साथ खेलने वाले। 30. गोपालप्रिया : ग्वालों के प्रिय। 31. गोविंदा : गाय, प्रकृति, भूमि को चाहने वाले। 32. ज्ञानेश्वर : ज्ञान के भगवान। 33. हरि : प्रकृति के देवता। 34. हिरण्यगर्भा : सबसे शक्तिशाली प्रजापति। 35. ऋषिकेश : सभी इन्द्रियों के दाता। 36. जगद्गुरु : ब्रह्मांड के गुरु। 37. जगदीशा : सभी के रक्षक। 38. जगन्नाथ : ब्रह्मांड के ईश्वर। 39. जनार्धना : सभी को वरदान देने वाले। 40. जयंतह : सभी दुश्मनों को पराजित करने वाले। 41. ज्योतिरादित्या : जिनमें सूर्य की चमक है। 42. कमलनाथ : देवी लक्ष्मी के प्रभु। 43. कमलनयन : जिनके कमल के समान नेत्र हैं। 44. कामसांतक : कंस का वध करने वाले। 45. कंजलोचन : जिनके कमल के समान नेत्र हैं। 46. केशव : लंबे, काले उलझा ताले जिसने। 47. कृष्ण : सांवले रंग वाले। 48. लक्ष्मीकांत : देवी लक्ष्मी के देवता। 49. लोकाध्यक्ष : तीनों लोक के स्वामी। 50. मदन : प्रेम के प्रतीक। 51. माधव : ज्ञान के भंडार। 52. मधुसूदन : मधु-दानवों का वध करने वाले। 53. महेन्द्र : इन्द्र के स्वामी। 54. मनमोहन : सबका मन मोह लेने वाले। 55. मनोहर : बहुत ही सुंदर रूप-रंग वाले प्रभु। 56. मयूर : मुकुट पर मोरपंख धारण करने वाले भगवान। 57. मोहन : सभी को आकर्षित करने वाले। 58. मुरली : बांसुरी बजाने वाले प्रभु। 59. मुरलीधर : मुरली धारण करने वाले। 60. मुरली मनोहर : मुरली बजाकर मोहने वाले। 61. नंदगोपाल : नंद बाबा के पुत्र। 62. नारायन : सबको शरण में लेने वाले। 63. निरंजन : सर्वोत्तम। 64. निर्गुण : जिनमें कोई अवगुण नहीं। 65. पद्महस्ता : जिनके कमल की तरह हाथ हैं। 66. पद्मनाभ : जिनकी कमल के आकार की नाभि हो। 67. परब्रह्मन : परम सत्य। 68. परमात्मा : सभी प्राणियों के प्रभु। 69. परम पुरुष : श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले। 70. पार्थसारथी : अर्जुन के सारथी। 71. प्रजापति : सभी प्राणियों के नाथ। 72. पुण्य : निर्मल व्यक्तित्व। 73. पुरुषोत्तम : उत्तम पुरुष। 74. रविलोचन : सूर्य जिनका नेत्र है। 75. सहस्राकाश : हजार आंख वाले प्रभु। 76. सहस्रजीत : हजारों को जीतने वाले। 77. सहस्रपात : जिनके हजारों पैर हों। 78. साक्षी : समस्त देवों के गवाह। 79. सनातन : जिनका कभी अंत न हो। 80. सर्वजन : सब कुछ जानने वाले। 81. सर्वपालक : सभी का पालन करने वाले। 82. सर्वेश्वर : समस्त देवों से ऊंचे। 83. सत्य वचन : सत्य कहने वाले। 84. सत्यव्त : श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले देव। 85. शंतह : शांत भाव वाले। 86. श्रेष्ठ : महान। 87. श्रीकांत : अद्भुत सौंदर्य के स्वामी। 88. श्याम : जिनका रंग सांवला हो। 89. श्यामसुंदर : सांवले रंग में भी सुंदर दिखने वाले। 90. सुदर्शन : रूपवान। 91. सुमेध : सर्वज्ञानी। 92. सुरेशम : सभी जीव-जंतुओं के देव। 93. स्वर्गपति : स्वर्ग के राजा। 94. त्रिविक्रमा : तीनों लोकों के विजेता। 95. उपेन्द्र : इन्द्र के भाई। 96. वैकुंठनाथ : स्वर्ग के रहने वाले। 97. वर्धमानह : जिनका कोई आकार न हो। 98. वासुदेव : सभी जगह विद्यमान रहने वाले। 99. विष्णु : भगवान विष्णु के स्वरूप। 100. विश्वदक्शिनह : निपुण और कुशल। 101. विश्वकर्मा : ब्रह्मांड के निर्माता। 102. विश्वमूर्ति : पूरे ब्रह्मांड का रूप। 103. विश्वरूपा : ब्रह्मांड हित के लिए रूप धारण करने वाले। 104. विश्वात्मा : ब्रह्मांड की आत्मा। 105. वृषपर्व : धर्म के भगवान। 106. यदवेंद्रा : यादव वंश के मुखिया। 107. योगि : प्रमुख गुरु। 108. योगिनाम्पति : योगियों के स्वामी। *ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा * 9415087711 astroexpertsolution.com