श्रीकृष्णजन्माष्टमी साधना
- Jyotish Aacharya Dr Umashankar Mishra 9415 087 711--------------------------------
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण का पूजन प्रस्तुत कर रहे है ..
ॐ गुं गुरुभ्यो नमः
ॐ गं गणेशाय नमः
ॐ श्रीकृष्ण परमात्मने नमः
अब 4 बार आचमन करे
क्लीं आत्मतत्वं शोधयामि स्वाहा
क्लीं विद्यातत्वं शोधयामि स्वाहा
क्लीं शिवतत्वं शोधयामि स्वाहा
क्लीं सर्वतत्वं शोधयामि स्वाहा
गुरुमण्डल के लिए पुष्प अक्षत अर्पण करे
ॐ गुरुभ्यो नमः
ॐ परम गुरुभ्यो नमः
ॐ पारमेष्ठी गुरुभ्यो नमः
अब आसन पर पुष्प अक्षत अर्पण करे
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवी त्वं विष्णुनां धृता
त्वं च धारय मां देवी पवित्रम कुरु च आसनं
अब सभी दिशाओं में चारो तरफ अक्षत फेके
अपसर्पन्तु ते भूता ये भूता भूवि संस्थिता :
ये भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यंतु शिवाग्यया !!
दीपक को प्रणाम करे
दीप देवताभ्यो नम:
अब हाथ मे जल पुष्प लेकर संकल्प करे की आज जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन पर भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने हेतु मै श्रीकृष्ण पूजन संपन्न कर रहा हु
अब भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान कर आवाहन करे
श्रीकृष्ण ध्यान
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ध्याये चतुर्भुजम कृष्णं शंखचक्रगदाधरम
पीताम्बरधरम देवं मालाकौस्तुभभूषितम !!
बालकृष्णमुदारांग देवकीगर्भसंभवम
ध्यायेत अभिष्ट सिद्ध्यर्थं लोकानुग्रहविग्रहम !!
भगवान श्रीकृष्ण ध्यायामि आवाहयामि
1)आवाहये जगन्नाथं रुक्मिणीप्राणवल्लभम
प्रणतार्तिहर देवं सत्यभामेष्टदायकम !!
एह्येहि भो जगन्नाथ देवकीसहितप्रभो
अद्य त्वाम पूजयिष्यामि भीतोहं भवसागरात !!
2)कृष्णं च बलभद्रं च वसुदेवं च देवकीम
नन्दगोपं यशोदाम च सुभद्रां तत्र पूजयेत !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नमः सकलपरिवारसहित श्रीबालकृष्णम आवाहयामि
( तुलसी पत्र अर्पण करे )
3)योगिहृतपद्मनिलय गोपीजनमनोहर
आसनं गृह्यतां देव शकटासुरभंजन !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नमः आसनं समर्पयामि ( तुलसी पत्र अर्पण करे )
4)तृणीकृत तृणावर्त धेनुकासुरभंजन
पाद्यं गृहाण देवेश वत्सासुरनिबर्हणे !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नमः पाद्यं समर्पयामि ( दो आचमनी जल अर्पण करे )
5)बकभंजन देवेश भावपाश विमोचन
अर्घ्यं गृहाण वरद भक्तानामिष्टदायक !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नमः ( आचमनी जल में गंध मिलाकर अर्पण करे )
6)चाणूरमुष्टिकारिष्ट विविधासुरभंजन
अघोरदैत्यशमन गृहाणाचमनं प्रभो !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नमः ( एक आचमनी जल अर्पण करे )
7)पयोदधिघृतानी हृत्वा गोपीकुमारकै:
वर्धयन गोपिकागेहे हास्यकारकबालाकै: !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नमः पंचामृत स्नानं समर्पयामि
8)नारायण नमस्तेस्तु नरकार्णवतारक
गंगोदकं समानतस्नानार्थं प्रतिगृह्यताम !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नमः शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि
यहाँ पर आप चाहे तो पुरुषसूक्त या अन्य किसी स्तोत्र सूक्त से अभिषेक कर सकते है
अभिषेक के बाद देवमूर्ति या शालिग्राम स्वच्छ करे
9)जलक्रीडा समासक्त गोपीवस्त्रापहारक
वस्त्रम गृहाण देवेश नरकासुरभञ्जन !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नमः वस्त्रम समर्पयामि
10)यज्ञभृतयज्ञ देवेश यज्ञान्तकनिबर्हण
यज्ञसाधन यज्ञांग यज्ञानां फलदायक !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नमः यज्ञोपवीतं समर्पयामि
11)आपो नीलसमायुक्त माणिक्य तेजसान्वीतम
वैडूर्य वायुसम्भूतं रतनमाकरसम्भवम !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नमः नाना आभूषणं समर्पयामि
12)गंधान गृहाण देवेश कुंकुमागरु संयुतां
कस्तूरीसंयुतम कृष्ण कमलाक्ष नमोस्तुते !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नमः चन्दनम समर्पयामि
13)अक्षताश्च चन्द्रवर्णाभान हरिद्राचूर्णसंयुतां
अक्षतान गृह्यतां देव शरणागतवत्सल !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नमः अक्षतान समर्पयामि
14)कदम्बबकुलाशोकयूथिकाकुसुमानि च
तुलसीसंयुतां देव गृहाण मधुसूदन !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नमः नानाविधपरिमलपुष्पाणि समर्पयामि
अथ नामपूजा
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एकेक नाम का उच्चारण कर तुलसी पत्र या पुष्प अर्पण करते जाए
ॐ श्रीकृष्णाय नमः
ॐ विष्णवे नमः
ॐ हरये नमः
ॐ अनन्ताय नमः
ॐ गोविन्दाय नम:
ॐ गरुड़ध्वजाय नमः
ॐ हृषिकेशाय नमः
ॐ पद्मनाभाय नमः
ॐ हरये नमः
ॐ प्रभवे नमः
ॐ विष्णवे नमः
ॐ नारायणाय नमः
ॐ वैकुण्ठाय नमः
ॐ केशवाय नमः
ॐ माधवाय नमः '
ॐ स्यंभुवे नमः
ॐ दैत्यारये नमः
ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः
ॐ पीताम्बरधराय नमः
ॐ अच्युताय नमः
ॐ शारंगपाणये नमः
ॐ विश्वाय नमः
ॐ जनार्दनाय नम:
ॐ उपेन्द्राय नमः
ॐ इन्द्रवरदाय नमः
ॐ देवकीनन्दनाय नमः
ॐ वासुदेवाय नम:
ॐ श्रीकृष्णाय नमः
Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra
------------------ 923 5722 996
एकेक नाम का उच्चारण करके तुलसी पत्र या पुष्प अर्पण करे
1)ॐ कालियामर्दनाय नमः गुल्फौ पूजयामि
2)ॐ कंसमदभञ्जनाय नमः जंघे पूजयामि
3)ॐ केशिघ्ने नमः जानुनी पूजयामि
4)ॐ शकटासुरभञ्जनाय ,नमः उरु पूजयामि
5)ॐ तृणावर्तभञ्जनाय नम: कटिं पूजयामि
6)ॐ धेनुकप्रहारिणे नमः नाभिं पूजयामि
7)ॐ दामोदराय नमः उदरं पूजयामि
8)ॐ विश्वगर्भाय नमः हृदयम पूजयामि
9)ॐ वत्सांकाय नमः पादौ पूजयामि
10)ॐ चतुर्भुजाय नमः बाहु पूजयामि
11)ॐ कम्बुग्रीवाय नमः कंठम पूजयामि
12)ॐ वाचस्पतये नमः मुखम पूजयामि
13)ॐ कमलाक्षाय नमः नेत्रे पूजयामि
14)ॐ बाणबाहवे नमः नासिकां पूजयामि
15)ॐ कस्तूरीतिलकाय नमः ललाट पूजयामि
16)ॐ अक्रूरवरदाय नमः शिर: पूजयामि
17)ॐ रुक्मिणीशाय नमः सर्वांग पूजयामि नम:
अथ पत्र पूजा
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जो पत्री उपलब्ध नहीं है उसकी जगह पुष्प या तुलसी पत्र अर्पण करे
1)ॐ केशवाय नमः तुलसीपत्रम समर्पयामि
2)ॐ नारायणाय नमः चुतपत्रं समर्पयामि
3)ॐ माधवाय नमः चम्पकपत्रम समर्पयामि
4)ॐ गोविन्दाय नमः धात्रीपत्रं समर्पयामि
5)ॐ विष्णवे नमः विष्णुक्रांता पत्रं समर्पयामि
6)ॐ मधुसूदनाय नमः दूर्वापत्रं समर्पयामि
7)ॐ त्रिविक्रमाय नमः बिल्वपत्रं समर्पयामि
8)ॐ वामनाय नमः औदुम्बरपत्रं समर्पयामि
9)ॐ श्रीधराय नमः वटपत्रं समर्पयामी
10)ॐ हृषिकेशाय नमः शमीपत्रं समर्पयामि
11)ॐ पद्मनाभाय नमः पद्मपत्रं समर्पयामि
12)ॐ दामोदराय नमः सेवन्तिकापत्रं समर्पयामि
13)ॐ श्रीबालकृष्णाय नमः नानाविधपत्राणि समर्पयामि
अथ पुष्प पूजा
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1)ॐ संकर्षणाय नमः केतकीपुष्पं समर्पयामि
2)ॐ वासुदेवाय नमः कमलपुष्पं समर्पयामि
3)ॐ प्रद्युम्नाय नमः चम्पक पुष्पम समर्पयामि
4)ॐ अनिरुद्धाय नमः मल्लिकापुष्पं समर्पयामि
5)ॐ पुरुषोत्तमाय नमः जाजी पुष्पम समर्पयामि
6)ॐ अधोक्षजाय नमः सुगन्धिपुष्पं समर्पयामि
7)ॐ नारसिंहाय नम: पारिजातकपुष्पम समर्पयामि
8)ॐ अच्युताय नमः बकुलपुष्पं समर्पयामि
9)ॐ जनार्दनाय नमः करवीरपुष्पम समर्पयामि
10)ॐ उपेन्द्राय नमः नागचम्पक पुष्पम समर्पयामि
11)ॐ हरये नमः सेवन्तिकापुष्पम समर्पयामि
12)ॐ श्रीबालकृष्णाय नमः नानाविधपुष्पाणि समर्पयामि
दशावतार पूजन
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एकेक नाम का उच्चारण कर पुष्प या तुलसी अर्पण करे
ॐ मत्स्य अवताराय नम:
ॐ कूर्म अवताराय नम:
ॐ वराह अवताराय नम:
ॐ नारसिंह अवताराय नम:
ॐ वामन अवताराय नम:
ॐ भार्गव अवताराय नम:
ॐ राम अवताराय नम:
ॐ श्रीकृष्ण अवताराय नम :
ॐ बुद्ध अवताराय नम:
ॐ कल्की अवताराय नम:
अब भगवान को धुप दीप दिखाये
15)धूप दुग्धाब्धिशयन गंधाद्यै सुमनोहरं
सर्वाभिष्टप्रदं देव गृहणासुरभंजन !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नम: धूपम समर्पयामि
16) दीपम
साज्यं त्रिवर्तीसंयुक्तं द्न्यान विद्न्यानसाधनम
दीपं गृहाण देवेश कैवल्यफलदायकम !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नम: दीपं समर्पयामि
17) नैवेद्य
भक्ष्यभोज्यफलोपेतं दध्योदन समनवितम
नैवेद्य स्वीकुरुष्वेदं देवक्या सह केशव !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नम: नैवेद्यम समर्पयामि
पुन: आचमनीयम जलम समर्पयामि
18)तांबुलम च सकर्पुरम सुगंधद्रव्यमिश्रितम
नागवल्लीदलैर्युक्तम गृहाण वरदो भव !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नम: तांबुलम समर्पयामि
19)दक्षिणा
सौवर्ण राजतं ताम्र नानारत्नसमनवितम
कर्मषांग्यगुण सिद्ध्यर्थम दक्षिणाम प्रतिगृह्यताम !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नम: दक्षिणा समर्पयामि
20)फलानि
रंभाफलं नारिकेलं तथैवाम्रफलानि च
पुजितजेसि सुरश्रेष्ठ गृह्यतां कंससूदन !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नम: फलानि समर्पयामि
21)कर्पूर आरती
कर्पूरकं महाराज रंभोद्भुत च दीपकं
मंगलार्थ महीपाल संगृहाण जगतपते !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नम: कर्पूरार्तीकं समर्पयामि
22)प्रसन्नार्ध्यम
देवकीगर्भसंभूत कंसप्राणापहारक .
इदम अर्घ्यम प्रदास्यामि मम कृष्ण प्रसीद भो !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नम: प्रसन्नार्घ्यम समर्पयामि
23)नमस्कार
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने
प्रणतक्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम: !!
नमो ब्रम्हण्यदेवाय गोब्राम्हणहिताय च
जगद्धिताय कृष्णाय गोविंदाय नमो नम: !!
नमस्तुभ्यम जगन्नाथ देवकीतनय प्रभो
वसुदेवात्मजानंत यशोदानंदवर्धन !!
गोविंद गोकुलाधार गोपीकांत नमोस्तुते !!
ॐ श्रीबालकृष्णाय नम: नमस्कारम समर्पयामि
24)क्षमापनम
अपराध सहस्त्राणि क्रियंते अहर्निशम मया
तानि सर्वाणि मे देव क्षमस्व पुरुषोत्तम !!
एक आचमनी जल अर्पण करे
श्रीकृष्ण: प्रतिगृहाण्यति श्रीकृष्णो वै ददाति च
श्रीकृष्णस्तारकोभाम्यां श्रीकृष्णाय नमो नम:
इति श्री पद्मपुराणोक्त श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व अवसरे श्रीकृष्ण पुजा संपूर्णा !!
प्रार्थना
नमस्तुभ्यं जगन्नाथ देवकीतनय प्रभो
वसुदेवात्मजानंत यशोदानंदवर्धन
गोविंद गोकुलाधार गोपीकांत नमोस्तुते !!
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने
प्रणतक्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम: !!
कृष्ण च बलभद्रं च वसुदेवं च देवकीम
नंदगोपं यशोदा च सुभद्रा तत्र पूजयेत
अद्यस्थित्वा निराहारो श्वोभूते परमेश्वर
भोक्ष्यामि पुंडरिकाक्ष अस्मिन जन्माष्टमीव्रते !!
श्रीबालकृष्णाय नम: प्रार्थना समर्पयामि
श्रीकृष्ण अर्घ्य
ॐ जात: कंसवधार्थाय भूभारोत्तारणाय च
कौरवाणाम विनाशाय दैत्यानां निधनाय !!
पांडवानां हितार्थाय धर्मसंस्थापनाय च
गृहाणार्घय मयादत्तं देवक्या सहितो हरे !!
देवकी सहित श्रीकृष्णाय इदमर्घ्यम दत्तं च न मम !!
चंद्र अर्घ्य
क्षीरोदार्णव संभूतं अत्रिगोत्रसमुद्भव
गृहाणार्घय मया दत्तं रोहिण्यासह सहित: शशिन !!
रोहिणी सहित श्री चंद्राय इदम अर्घ्य दत्तं न मम !!
अनेन मया आचरितेन श्रीकृष्णजन्माष्टमीव्रतेन पर्वकाले श्रीकृष्णाय अर्घ्य प्रदानेन भगवान श्रीकृष्ण प्रीयताम प्रीतो भवेत !!
अगर आप चाहे तो निम्न मंत्र का जाप कर सकते हो
क्लीं कृष्णाय नम:
(क्लीम कृष्णाय नम:)
श्री कृष्ण शरणम ममः
आनंद से जीवन जीने की कला सिखाने वाले भगवान कृष्ण के प्राकट्य दिवस जन्माष्टमी के पावन अवसर पर सभी विश्व बंधुओं को हार्दिक बधाई।
सोलह कलाओं के अवतार श्रीकृष्ण ने स्वयं मानव जीवन जीकर लोगों को अपने जटिल जीवन को सरल, शांत और उल्लास पूर्ण बनाने का मार्ग दिखाया।
इस पावन अवसर पर हम श्रीकृष्ण के बताए मार्ग पर एक कदम बढ़ाने का प्रयास करें।
हम सभी अपने अंतर्मन में झांके, आत्म विश्लेषण करें, चिंतन मनन करें, हमारी मन- मलितनताओं को चिन्हित करें, तदुपरान्त मन को मांजने और आत्मा को संवारने का प्रयास प्रारंभ करें।
संभवतः इससे हृदय की गांठें सुलझें, जीवन में सहजता, सरलता को स्थान मिले, वरना वर्तमान भौतिकता पूर्ण जीवन में दिन भर की आपाधापी, उठापटक और थकाऊ परिश्रम के बाद भी हमारे चेहरों पर प्रायः असंतोष, असमंजस, प्रश्न और संताप ही नजर आते हैं।
जबकि हमारी भागमभाग संतोष, आनंद, प्रेम, समाधान, शांति, समृद्धि के लिये होती है, यानी कहीं न कहीं हमारे प्रयासों की दशा और दिशा गलत है।
श्रीकृष्ण की गीता में समभाव, को प्रसन्नता का आधार बताया है, समभाव यानी सुख में फूलें नहीं, दुख में रोवे नहींं, सुख दुःख की धूप छांव को धैर्य से सहें।
आप सर्वशक्तिमान के विश्वास के साथ संपूर्ण विवेक और कुशलता से कर्म करके विजेता बन सकते हैं।
श्रीकृष्ण ने सर्वजनहिताय सर्वजनसुखाय का उपदेश दिया है।
किस प्रकार उन्होंने मगध, हस्तिनापुर और मथुरा के राज्य सिंहासन दूसरों को दिये और वे सबके हृदय सिंहासन में आज भी विराज रहे हैं, यह सीख है हमारे लिए की त्याग से सभी मित्र बनते है, स्वार्थ से अमित्र, हालाकि यह सब कहना- सोचना आसान है, करना कठिन।
मौजूदा भौतिकवादी समाज में जहां स्वार्थ- जनिक कटुता हावी है, वहां ऐसी सीख या चर्चा भी अप्रांसगिक लग सकती है, पर आओ हम सभी श्रीकृष्ण के चरणों में नमन करें, उनसे एक छंद हो, जीवन में उनकी कृपा प्राप्त करें।
ॐ कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष
: श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर आप सभी को शुभकामना
जन्म और मृत्यु के चक्कर से छुड़ाने वाले श्री जनार्दन के अवतार का समय था।चारो ओर अंधकार का साम्राज्य था। बदल बरस रहे थे।उसी समय सबके हृदय में विराजमान प्रभु देवकी के गर्भ से प्रगट हो गए जैसे पूर्ब में सोलहो कलाओं से युक्त चंद्रमा उदय हो गया हो।
देवक्याम देवरूपिण्याम विष्णु: सर्व गुहाशयः।
आविरासीद यथा प्राच्याम दिशीन्दुरिव पुष्कलः।।
वसुदेब जी के सामने एक अद्भुत बालक था।उसके नेत्र कमल के समान बिशाल,चार भुजाओं से युक्त,उनमे शंख चक्र गदा पद्म धारण किये है। बक्षःस्थल पर श्रीबत्स का चिन्ह-अत्यंत सुंदर सबर्न रेख। गलेमें कौस्तुभमणि,बर्षा केमेघ के समान परम सुंदर श्यामल शरीर पर मनोहर पीताम्बर लहरा रहा था। किरीट कुंडल शिभयमान हो रहे थे।कमर में करधनी,बाजुओं में बाजूबंद कलाइयों में कंकण सुशोभित हो रहे थे।अंग अंग से छटा छिटक रही थी।
तमद्भुतं बालक मम्बु जेक्षणम, चतुर्भुजं शंख गदार्युदायुधम।
श्री वत्स लक्ष्मम गल कौस्तुभम,
पीताम्बरं सांद्रपयोदसौभगम।।
महार्हवैदूर्य किरीटकुण्डल,
त्विषा परिश्वक्त सहस्त्रकुन्तलम
उद्दामकांच्यङ्गद कंकणादिभिः
र्विरोचमानम वसुदेव ऐक्षत।।
#जब वसुदेव जीने देखा कि पुत्र रूप में श्री हरि ही पधारे हैं,तो उनके हर्स का पारावार नही रहा।आनंद से आंखे खिल उठी।कृष्ण जन्मोत्सव मनाने के लिए तुरत 10000 गायों का दान ब्राह्मणों को करने का संकल्प ले लिया।भगवान के तेज से सूतिका गृह जगमगा रहा था। तब वसुदेव जी नेत्र झुका कर स्तुति करने लगे।
वे कहने लगे हे प्रभो!मैं समझ गया कि आप प्रकृति से अतीत साक्षात पुरुषोत्तम है।आप केवल अनुभवगम्य हैं।आप समस्त बुद्धियो के एकमेव साक्षी हैं।आप ही इस त्रिगुणमयी सृष्टि को उत्पन्न करते है और फिर इसी में प्रविष्ट न होने पर भी प्रविष्ट जैसे जान पड़ते हैं।आप सृष्टि के जीवों पदार्थो में प्रविष्ट इसलिए नही कि उस पदार्थ में आप पहले से ही मौजूद हैं।
जब देवकी जी ने देखा कि मेरे गर्भ से स्वयम पुरुषोत्तम ही पधारे है, तो वे भी स्तुति करने लगी।
प्रभो !वेदों ने आपके जिस रूप को अव्यक्त और सबका कारण बताया है,जो ब्रह्म,ज्योति स्वरूप,समस्त गुणों से रहित और विकरहीन है,जिसे विशेषण रहित कहा गया है--वही बुद्धि आदि के प्रकाशक विष्णु आप स्वयम है।जब ब्रह्मा अपनी आयु के 100 बर्ष पूरे होने पर समाप्त हो जाते हैं तो सब कुछ लीन हो जाता है,सिर्फ आप ही शेष रहते हैं, इसीलिए आपका एक नाम शेष भी है।आप हम पर कृपा करें हम आपकी शरण है।
भगवान ने कहा,हे देवी!पिछले जन्म में तुम दोनों ने कठोर तप किया ,देवताओं के बारह हजार बर्ष तप में लीन रहे। तब मैं प्रसन्न हुआ और तुम्हारे मांगने पर मैं तुम्हारा पुत्र होना स्वीकार कर लिया इसीलिए इस जन्म में तुम्हारा पुत्र हुआ हूँ।पिछले दो जन्मों में भी मैं तुम्हारा पुत्र था,तब मेरा नाम पृश्निगर्भ और उसके बाद वाले में मेरा नाम वामन था। अब इस जन्म में इस रूप से मैं तुम्हारा पुत्र हूँ। मेरी वाणी कभी मिथ्या नही होती।मैंने ये रूप इसलिए दिखाया कि तुम्हे पूर्ब जन्मों का याद हो जाय,अब तुम लोग मुझमे पुत्र रूप और ब्रह्म रूप दोनों भाव रखो ,परम पद की प्राप्ति होगी।
इसके उपरांत वे बालक रूप हो गए और तब वसुदेवजी प्रभु प्रेरणा से बालक को सूप में रख सूतिका गृह से बाहर निकलने का संकल्प किया।ऐसा करते ही जेलके सारे ताले खुल गए। सारे पहरेदार सो गए। ये योगमाया का खेल था।वे बालक को लिए हुए यमुना जी की तरफ चल दिये। यमुना बर्षा ऋतु में खूब भरी हुई थी।वे बालक को ले कर जल में घुस गये। बारिश की बूदें पड़ रही थी,शेषनाग ने अपने फन से वासुदेव को ढके हुए थे। यमुना में बसुदेव जब गले तक पहुच गए तब यमुना के मन को रखने के लिए बालक ने अपना अंगूठा जल से स्पर्श करा दिया तुरत ही जल सिमट गया।घुटने के बराबर रह गया। वसुदेब जी अपने मित्र नंद के घर गोकुल में गए। उनकी पत्नी यशोदा को उसी समय एक बालिका पैदा हुई थी।वे सभी भी योगनिद्रा में थे। यशोदा की गोद मे लाला को सुला कर,उस कन्या को लेकर वसुदेव पुनः जेल में आ गए। उनके आते ही जेल के दरवाजे बंद हो गए।ताले लग गए। इस घटना को कोई जान भी नही पाया।क्रमसः श्रीकृष्णार्पणमस्तु !!कृष्ण भगवान की विशेष कृपा पाने के लिए अपने घर के आस-पास कोई भी राधा कृष्ण के मंदिर में या किसी भी भगवान के मंदिर में भगवान को नए वस्त्र धारण कराएं चांदी की बांसुरी या सामान्य बांसुरी चढ़ाएं मंदिर का रंग रोगन करवाएं मंदिर को पूरा नया बनाएं मंदिर में शंख घंटी कलश झंडा लगाएं मंदिर में कहीं टूट-फूट हो गई हो तो उस को रिपेयर कराएं इससे आपको भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होगी
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