Nag Panchami 2021: नागपंचमी जानें पूजा मुहूर्त और इस दिन का महत्व
*ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा
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नाग देवता की पूजन करने का विधान...
Nag Panchami 2021- जानें नागपंचमी व्रत, मंत्र, पूजा विधि और महत्व
आषाढ़ मास से शुरु होने वाले चातुर्मास में एक माह सावन का भी होता है। और सावन का यह पवित्र माह भगवान शिव का प्रिय माना गया है। ऐसे में इस साल यानि 2021 में सावन माह की शुरुआत रविवार, 25 जुलाई से Hui है। वहीं इसका समापन रविवार, 22 अगस्त को होगा।
सावन माह मुख्य रूप से भगवान शंकर की पूजा के लिए बहुत खास माना जाता है। लेकिन, इस माह में सिर्फ शिव जी के लिए ही नहीं बल्कि उनके कंठ में निवास करने वाले नाग देवता की पूजन करने का भी विधान है। जिसे नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
माना जाता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की आराधना करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे मे इस बार यानि 2021 में नाग पंचमी शुक्रवार, 13 अगस्त को पड़ रही है।
नाग पंचमी दिनांक : शुक्रवार, 13 अगस्त 2021
पंचमी तिथि की शुरुआत : 12 अगस्त, 03: 33 PM से
पंचमी तिथि की समाप्त : 13 अगस्त, 01: 47 PM तक
नाग पंचमी पूजा मुहूर्त : 05:48:49 AM से 0 4:27:36 pm
नाग पंचमी कब मनाई जाती है?
नागों की पूजा का पर्व नाग पंचमी सावन / श्रावण के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है। वहीं भारत के कुछ प्रदेशों में चैत्र व भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन भी नाग पंचमी मनाई जाती है।
नाग पंचमी 20 21 का महत्व...
सनातन परंपरा में विभिन्न लोकों का जिक्र मिलता है। जिनमें देवलोक, पाताल लोक, स्वर्ग लोक व मृत्यु लोक सहित करीब 10 लोकों का जिक्र मिलता है। इसमें से मृत्यु लोक जहां हम मौजूद हैं इसके उपर गंधर्व लोक, नाग लोक, देवलोक आदि आते हैं। इन्हीं कारणो के चलते नागों को देव तुल्य माना जाता है।
1. हिन्दू मान्यताओं में सर्पों को पौराणिक काल से ही देवता के रूप में पूजा जाता रहा है। इसलिए नाग पंचमी के दिन नाग पूजन का अत्यधिक महत्व है।
2. ऐसी भी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने वाले व्यक्ति को सांप के डसने का भय नहीं होता।
3. मान्यता के अनुसार नाग पंचमी के दिन सर्पों को दूध से स्नान और पूजन कर दूध से पिलाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है।
4. कुछ जगह इस दिन घर के प्रवेश द्वार पर नाग चित्र बनाने की भी परम्परा है। मान्यता है कि इससे वह घर नाग-कृपा से सुरक्षित रहता है।
नाग देवता की पूजा...
इस दिन भक्त पूजन के लिए नाग देवता के मंदिर में जाकर प्रतिमा पर दूध व् जल से अभिषेक करके, धुप-दीप जलाएं और नाग देवता से प्रार्थना करते हैं। कहा जाता है जो लोग नाग देवता की पूजा करते हैं, उनके परिवार को सर्प से खतरा नहीं रहता। नाग देवता की पूजा के दिन विशेष मंत्रो का उच्चारण करना अनिवार्य होता है।
मंत्र :
सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले। ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः। ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नमः।।
नाग पंचमी पर आठ नाग देवताओं की पूजा का विधान है। इनमें वासुकि, तक्षक, कालिया, मणिभद्रक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कार्कोटक और धनंजय नामक अष्टनाग आते हैं। इनकी पूजा से भक्तों को भय से मुक्ति मिलती है। भविष्योत्तर पुराण के एक श्लोक के अनुसार...
वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।
ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ ॥
एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम् ॥
अर्थात : वासुकि, तक्षक, कालिया, मणिभद्रक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कार्कोटक और धनंजय - ये प्राणियों को अभय प्रदान करते हैं।
वहीं जानकारों के अनुसार धन-समृद्धि पाने के लिए भी नाग देवताओं की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि नाग देवता, धन की देवी मां लक्ष्मी की रक्षा करते हैं। माना जाता है कि इस दिन श्रीया, नाग और ब्रह्म अर्थात शिवलिंग स्वरुप की आराधना से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।
नाग पंचमी व्रत व पूजन विधि...
ज्योतिष के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं। ऐसे में इस दिन अष्ट नागों की पूजा प्रधान रूप से की जाती है। अष्टनागों के नाम- अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख हैं। इस दिन कई लोग शिवमंदिर में जाकर नाग देवता की पूजा करते हैं।
1. इस व्रत के देव आठ नाग माने गए हैं। इस दिन में अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नामक अष्टनागों की पूजा की जाती है।
2. चतुर्थी के दिन एक बार भोजन करें और पंचमी के दिन उपवास करके शाम को भोजन करना चाहिए।
3. पूजा करने के लिए नाग चित्र या मिटटी की सर्प मूर्ति को लकड़ी की चौकी के ऊपर स्थान दिया जाता है।
4. फिर हल्दी, रोली (लाल सिंदूर), चावल और फूल चढ़कर नाग देवता की पूजा की जाती है।
5. उसके बाद कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर लकड़ी के पट्टे पर बैठे सर्प देवता को अर्पित किया जाता है।
6. पूजन करने के बाद सर्प देवता की आरती उतारी जाती है।
7. सुविधा की दृष्टि से किसी सपेरे को कुछ दक्षिणा देकर यह दूध सर्प को पिला सकते हैं।
8. अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुननी चाहिए।
*ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा
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