जगत के संहारक शिव की जटाओं में चंद्रमा क्यों होता है...! ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव 9415087711 8840727096 astroexpertsolution.com भगवान शिव जगत के संहारक हैं, त्रिनेत्र हैं, महाकाल हैं, तांडव करते हैं और उनके रौद्र रूप से तीनों लोक कांप उठते हैं। प्रश्न यह है कि ऐसे उग्र स्वभाव वाले भगवान शिव की जटाओं में चंद्रमा क्यों होता है। आइए जानते हैं:- महादेव की जटाओं में चंद्रमा क्यों स्थित है - शिव महापुराण के अनुसार भगवान शिव इस सृष्टि में शक्तिपुंज के रूप में विद्यमान है। महादेव यदि रौद्र रूप धारण करते हैं तो जगत की रक्षा के लिए कष्ट भी वही सहन करते हैं। पवित्र गंगा के प्रचंड वेग से पृथ्वी पर मानव की रक्षा के लिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया। चंद्रदेव को धारण करने की कथा भी सृष्टि के कल्याण से संबंधित है। शिवपुराण के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला तो मानव एवं देवताओं के अस्तित्व की रक्षा करने के लिए भोलेनाथ ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। इसीलिए उन्हें नीलकंठ भी कहा जाता है। विष अत्यंत उग्र था। समुद्र मंथन से निकला था इसलिए उसे नष्ट नहीं किया जा सकता था। इसलिए कंठ में धारण किए रहना ही शिव के लिए अनिवार्य हो गया था। कुछ ही समय में विष का दुष्प्रभाव महादेव के शरीर पर प्रदर्शित होने लगा। तब चंद्रदेव ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि उन्हें अपनी जटाओं में धारण करें। इससे उन्हें शीतलता प्राप्त होगी और विष का प्रभाव उनके शरीर पर नहीं पड़ेगा। तभी से चंद्रदेव भगवान शिव की जटाओं में स्थित होकर उनके कंठ में धारण किए गए विष से उनकी रक्षा करते हैं। त्रिनेत्र धारी शिव के माथे पर चंद्रमा क्यों होता है - लाइफ मैनेजमेंट एंगल शिव का स्वभाव उग्र है और चंद्रमा शीतल। चंद्रमा की शीतलता के कारण भगवान शिव का उग्र स्वभाव शांत हो जाता है। वह ध्यान मग्न हो जाते हैं और सृष्टि के संहारक महादेव सृष्टि की रक्षा करने वाले भोले नाथ बन जाते हैं। वह चंद्रमा के समान शांत रहते हुए अपनी समस्त शक्तियों का पालन करते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि जिस व्यक्ति का दिमाग शांत होता है, जिसके मन में शीतलता होती है वह व्यक्ति अपनी शक्तियों का अपने जीवन, संस्थान और समाज के हित में पूरा उपयोग कर पाता है। वही सफल होता है और वही विकास कर पाता है। भगवान शिव और चंद्रमा का संबंध है ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा का एक नाम सोम भी है और सोमवार भगवान शिव को समर्पित है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा मनुष्य के मन का कारक है। इसीलिए मनुष्य के मन चंद्रमा की भांति परिवर्तित होते रहते हैं। चन्द्रमा के अधिदेवता शिव हैं और इसके प्रत्याधिदेवता जल है। ज्योतिष शास्त्र में स्पष्ट बताया गया है कि महादेव के पूजन से चंद्रमा के दोष का निवारण होता है। भगवान शिव के कई प्रचलित नामों में एक नाम सोमसुंदर भी है। सोम का अर्थ चंद्र होता है। ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव 9415087711 8840727096 astroexpertsolution.com