शिवपूजन में शंख के जल का प्रयोग नही होता? 🌷 Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 9415 087 711 🌷
शिव के पूजन में शंख का जल एवं उसकी ध्वनि वर्जित है उसका कारण यह है कि भगवान शंकर ने शंखचूड़ नामक दानव का वध किया था और शंख की हड्डियों से ही शंख जाति की उत्पत्ति हुई है | इसलिए भगवान शंकर के पूजन में शंख ध्वनि और शंख का जल मना किया गया है |
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अस्थिभिः शंखचूडस्य शंखजातिर्बभूव ह |
प्रशस्तं शंखताेयं च सर्वेषां शंकरं विना ||
विशेषेण हरेर्लक्ष्म्याः शंखताेयं महत्प्रियम् |
सम्बन्धिनां च तस्यापि न हरस्य महामुने ||
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अर्थात् उस शंखचूड़ की हड्डियों से शंख जातियों का उद्भव हुआ है | संख का जल अन्यत्र सभी जगह तो प्रशस्त माना जाता है किंतु भगवान शंकर पर नहीं चढ़ाया जाता है | महालक्ष्मी और विष्णु को इस संख का जल विशेष रूप से प्रिय होता है| इनसे संबंधित और जो देवता हैं उनको भी प्यारा लगता है किंतु केवल एक शंकर ही ऐसे हैं जिन्हें यह प्रिय नहीं होता है | इसी वजह से शंख की ध्वनि भी इनको प्रिय नहीं है |
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अतः रुद्राभिषेकादि में शंख के जल का प्रयोग न करें | जहां केवल भगवान शंकर का मन्दिर हाे आैर केवल भगवान शंकर की पूजा आरती हाे रही हाे ताे शंखध्वनि का भी प्रयाेग न करें |
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