स्कंद पुराण पढ़ने के हैं 10 फायदे जानिए ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा के माध्यम से
*ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा
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हिंदू धर्म ग्रंथों में स्कंदपुराण को महापुराण कहा जाता है। पुराणों के क्रम में इसका तेरहवां स्थान है इसके खंडात्मक और संहितात्मक उपलब्ध दो रूपों में से प्रत्येक में 81 हजार श्लोक हैं। इस पुराण का नाम भगवान शंकर के बड़े पुत्र कार्तिकेय के नाम पर है। कार्तिकेय का ही नाम स्कन्द है। *ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा ने साझा किया कि इस पुराण में काशीखंड, महेश्वर खंड, रेवाखंड, अवन्तिका खण्ड, प्रभास खण्ड, ब्रह्म खण्ड और वैष्णव खण्ड आदि कुल सात खंड है। कुछ विद्वान छह खंड बताते हैं।
1. शंकरजी होते हैं प्रसन्न : स्कंद पुराण का पाठ करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं। स्कंद पुराण की महाकाल कथा में इसका वर्णन मिलता है। इसमें 12 ज्योर्तिलिंगों की उत्पत्ति का वर्णन भी है।
2. प्रदोष व्रत का महत्व : स्कंद पुराण में प्रदोष व्रत के महामात्य का वर्णन मिलता है। इस व्रत को करने से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है। इसमें एक विधवा ब्राह्मणी और शांडिल्य ऋषि की कथा के माध्यम से इस व्रत की महिमा का वर्णन मिलेगा।
3. गृहस्थ जीवन : जीवितं च धनं दारा पुत्राः क्षेत्र गृहाणि च। याति येषां धर्माकृते त भुवि मानवाः॥- स्कंदपुराण
अर्थात- मनुष्य जीवन में धन, स्त्री, पुत्र, घर-धर्म के काम, और खेत- ये 5 चीजें जिस मनुष्य के पास होती हैं, उसी मनुष्य का जीवन इस धरती पर सफल माना जाता है।
4. वैशाख मास का महत्व : स्कंद पुराण के वैष्णव खंड अध्याय 4 में वैशाख मास के महामात्य का विस्तार से वर्णन मिलता है। ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा ने साझा किया कि इसके श्लोक 34 के अनुसार इस मास में तेल लगाना, दिन में सोना, कांसे के बर्तन में भोजन करना, दो बार भोजन करना, रात में खाना आदि वर्जित माना गया है। वैशाख के माह में पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। स्कंदपुराण में उल्लेख है कि महीरथ नाम के राजा ने केवल वैशाख स्नान से ही वैकुण्ठधाम प्राप्त किया था। इस माह में पंखा, खरबूजा, अन्य फल, अनाज, जलदान, प्रदोष व्रत, स्कंद पुराण का पाठ करने का महत्व है।
वैशाखे मेषगे भानौ प्रातःस्नानपरायणः ।।
अर्घ्यं तेऽहं प्रदास्यामि गृहाण मधुसूदन ।। 34 ।।
5. श्रद्धा एवं मेधा का महत्व : संक्षिप्त स्कन्दपुराण के वैष्णवखण्ड-कार्तिकमास-माहात्म्य के अनुसार ब्रम्हाजी कहते हैं कि इस पृथ्वी पर श्रद्धा एवं मेधा ये दो वस्तुएं ऐसी हैं जो काम, क्रोध आदि का नाश करती हैं।
6. चंद्र कथा : इस पुराण में सोमदेव, तारा, उनके पुत्र बुध की उत्पत्ति की कथा, 27 नक्षत्रों का वर्णन भी मिलती है। इस कथा के श्रवण से पाप और रोगों का नाश होता है।
7. तारकासुर वध कथा : यह शैव संप्रदाय का पुराण है जिसमें शिवपुत्र स्कन्द द्वारा तारकासुर के वध की कथा का वर्णन मिलता है। इस कथा के श्रवण और भगवान स्कद की पूजा से सभी क्षेत्र में विजयी प्राप्त होती है।
8. समुद्र मंथन कथा : इस पुराण में समुद्र मंथन की कथा भी है। कहते हैं जो यह कथा सुनता है उसे आयोग्य और लक्ष्मी की प्राप्त होती है।
9. गंगा अवतरण कथा : इस पुराण में 18 नदियों सहित गंगा अवतरण की कथा का वर्णन भी है। मोक्षदायीनी गंगा की कथा सुनने से व्यक्ति के सारे पापों का नाश हो जाता है।
10. सती दाह कथा : इसी पुराण में सती दाह कथा और शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है। सती दाह कथा का श्रवण करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा स्कंद पुराण में धर्म ज्ञान और नीतियों से संबंधित कई बातें बताई गई हैं जिसे जानकर व्यक्ति का मन निर्मल होकर सद्कर्मों में लगता है और जीवन सफल हो जाता है।
*ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा
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