गंगा दशहरा 20 जून 2021 से गुरु चलेंगे उलटी चाल, 18 अक्टूबर तक क्या होंगे 12 राशियों के हाल जानते हैं *ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा से
*ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा
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ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि अर्थात 20 जून 2021 गंगा दशहरा के दिन से बृहस्पति कुंभ राशि में वक्री गति से चलना शुरू कर देंगे और 120 दिन बाद यानी 18 अक्टूबर 2021 को पुन: मार्गी होंगे। हालांकि बीच में कुछ काल के लिए वक्री अवस्था में ही 14 सितंबर को गुरु अर्थात बृहस्पति मकर राशि में गोचर करने लगेंगे और मार्गी भी इसी राशि में होंगे जहां पहले से ही शनि विराजमान हैं। फिर इसके कुछ समय बाद 21 नवंबर को गुरु फिर से कुंभ राशि में भ्रमण करने लगेंगे। जानते हैं *ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा * से कि वक्री गुरु का 12 राशियों पर क्या प्रभाव होगा।
5 राशियों पर होगा खास असर : *ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा * ने साझा किया कि गुरु ग्रह के कुंभ में वक्री होने, मकर में वक्री अवस्था में प्रवेश करने और वहीं मार्गी होने और वहां से निकलकर पुन: कुंभ में गोचर करने से खासकर 5 राशि वालों को बड़ा लाभ मिलने के आसार रहेंगे। ये पांच राशियां हैं- मेष, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन।
1. मेष- गुरु मेष राशि में 11वें भाव में रहेंगे जो लाभ का भाव है। मेष राशि को करियर, नौकरी, प्रमोशन और व्यापार में लाभ होगा, लेकिन इस राशि वालों को निवेश या उधार लेने-देने से बचना चाहिए।
2. वृषभ- वृषभ राशि में दसवें भाव में गोचर कर रहा है जो कर्म का भाव है। करियर, नाम और प्रसिद्धि को लेकर संघर्ष करना होगा। हालांकि कार्यक्षेत्र में लाभ होगा।
3. मिथुन- मिथुन राशि के नवम भाव में गुरु वक्री गोचर करेंगे। यह धर्म, अध्यात्म और भाग्य का भाव होता। ऐसे में धर्म की शरण में रहेंगे तो लाभ मिलेगा अन्यथा कड़ी मेहनत करना होगी। इसके अलावा पिता के साथ विवाद ना करें।
4. कर्क- कर्क राशि में अष्टम भाव में गोचर कर रहा है। संयुक्त उद्यम, कर, बीमा, ऋण और मृत्यु के आठवें घर में गोचर का फल देर से मिलेगा। आपको अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता है।
5. सिंह- सिंह राशि के सप्तम भाव में वक्री गुरु रहेंगे, जो कि दांपत्य जीवन में परेशानी का कारण बन सकता है परंतु विवाह संबंधी मामले में सफलता मिलेगी और व्यापार में लाभ, संपत्ति में बढ़ोतरी की संभावना है।
6. कन्या- कन्या राशि में छठे भाव में वक्री गोचर कर रहा है। सेहत और दांपत्य जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा परंतु कार्यक्षेत्र में नहीं। फिर भी आपको ध्यान रखना होगा। बहुत कड़ी मेहनत करने की जरूरत होगी।
7. तुला- तुला राशि के पंचम भाव में गुरु वक्री गोचर कर रहा है। पंचम भाव संतान, शिक्षा और करियर का मुख्य भाव है। दांपत्य जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। निवेश का जोखिम ना उठाएं।
8. वृश्चिक- वृश्चिक राशि के चतुर्थ भाव पर गोचर कर रहा है जो कि सुख का भाव है। वृश्चिक राशि वालों को भी कार्यक्षेत्र में उन्नती के योग और यात्रा से लाभ होगा।
9. धनु- धनु राशि के तृतीय भाव में गुरु गोचर है। यह पराक्रम, भाई-बहन, पड़ोसी और यात्रा का भाव है। धनु को भी व्यापार में लाभ और सुख-सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी। हलांकि संबंधों में अनबन हो सकती है। व्यर्थ की यात्रा ना करें।
10. मकर- मकर राशि के द्वितीय भाव में गुरु वक्री गति करेगा। अनावश्यक खर्चे से बचें। जीवनशैली में बदलाव हो सकता है। वाणी पर संयम रखें और ससुराल पक्ष से विवाद ना करें।
11.गुरु- गुरु कुंभ राशि में ही वक्री हो रहा है। अर्थात प्रथम भाव में गोचर कर रहा है। गुरु के इस वक्री गोचर के दौरान आपको स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। आपको धोखा खाने से बचना चाहिए। आप अपने अच्छे गुण से ही जीत हासिल कर सकते हैं।
12. मीन- मीन राशि के 12वें भाव में गुरु का गोचर है। इससे मीन राशि वालों को मिलेगा भाग्य का साथ। रुके हुए कार्य और रुका धन में प्रगति होगी। हालांकि व्यर्थ की यात्रा ना करें अन्यथा नुकसान होगा।
उल्लेखनीय है कि गुरु जहां जिस भाव में गोचर कर रहा होता है उस भाव के फल नहीं मिलकर जहां दृष्टि है वहां के फल मिलते हैं।
*ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा
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