जानें: क्यों देवी-देवताओं की सवारी होते हैं पशु-पक्षी!प्रमुख देवी देवता ओर उनके वाहन? 〰〰🌼 ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र〰〰🌼 94 150 87711〰〰🌼 923 5722 996〰〰🌼〰〰🌼〰〰 शास्त्रों के मुताबिक हर देवी और देवता का एक वाहन होता है। खास बात ये है कि इनके वाहन के लिए पशु-पक्षियों को चुना गया है। क्या आप जानते हैं इसके पीछे क्या कहानी है क्यों देवी-देवता की सवारी के लिए पशु-पक्षियों को ही चुना गया। अध्यात्मिक, वैज्ञानिक और व्यवहारिक कारणों से भारतीय मनीषियों ने देवताओं के वाहनों के रूप में पशु-पक्षियों को जोड़ा। माना जाता है कि देवताओं के साथ पशुओं को उनके व्यवहार के अनुरूप जोड़ा गया है। अगर पशुओं को भगवान के साथ नहीं जोड़ा जाता तो शायद पशु के प्रति हिंसा का व्यवहार और ज्यादा होता। भारतीय मनीषियों ने प्रकृति और उसमें रहने वाले जीवों की रक्षा का एक संदेश दिया है। हर पशु किसी न किसी भगवान का प्रतिनिधि है, उनका वाहन है, इसलिए इनकी हिंसा नहीं करनी चाहिए। ज्ञान की देवी मां सरस्वती के लिए का वाहन हंस माना जाता है। हंस पवित्र, जिज्ञासु और समझदार पक्षी होता है। हंस अपने चुने हुए स्थानों पर ही रहता है। तीसरी इसकी खासियत हैं कि यह अन्य पक्षियों की अपेक्षा सबसे ऊंचाई पर उड़ान भरता है और लंबी दूरी तय करने में सक्षम होता है। भगवान शिव का वाहन माना जाता है नंदी। विश्‍व की लगभग सभी प्राचीन सभ्यताओं में बैल को महत्व दिया गया है। सुमेरियन, बेबीलोनिया, असीरिया और सिंधु घाटी की खुदाई में भी बैल की मूर्ति पाई गई है। इससे प्राचीनकल से ही बैल को महत्व दिया जाता रहा है। भारत में बैल खेती के लिए हल में जोते जाने वाला एक महत्वपूर्ण पशु रहा है। देवी-देवताओं ने अपनी सवारी बहुत सोच समझकर चुनी। उनके वाहन उनकी चारित्रिक विशेषताओं को भी बताते हैं। शिवपुत्र गणेशजी का वाहन है मूषक। मूषक शब्द संस्कृत के मूष से बना है जिसका अर्थ है लूटना या चुराना। सांकेतिक रूप से मनुष्य का दिमाग मूषक, चुराने वाले यानी चूहे जैसा ही होता है। यह स्वार्थ भाव से गिरा होता है। गणेशजी का चूहे पर बैठना इस बात का संकेत है कि उन्होंने स्वार्थ पर विजय पाई है और जनकल्याण के भाव को अपने भीतर जागृत किया है। प्रमुख देवी देवता ओर उनके वाहन? जानें, भगवान विष्णु क्‍यों करते हैं गरुड़ की सवारी... 1/ विष्णु भगवान गरुड़ की सवारी करते हैं तो इंद्र देव ऐरावत हाथी पर आते हैं. वैसे ही मां लक्ष्‍मी का वाहन है उल्‍लू तो मां दुर्गा करती हैं शेर की सवारी। लेकिन आखिर क्यों सर्वशक्तिमान भगवानों को इन सवार‍ियों की आवश्यकता पड़ी, जबकि वे तो अपनी दिव्यशक्तियों से पलभर में कहीं भी आ-जा सकते हैं? इसके पीछे अध्यात्मिक, वैज्ञानिक और व्यवहारिक कारण हैं. आइए जानें कैसे... 2/ शिव और नंदी शिव भोलेभाले सीधे चलने वाले लेकिन कभी-कभी भयंकर क्रोध करने वाले देवता हैं तो उनका वाहन हैं नंदी यानी बैल. यह शक्ति, आस्था व भरोसे का प्रतीक होता है. इसके अतिरिक्त भगवान शिव का चरित्र मोह माया और भौतिक इच्छाओं से परे रहने वाला बताया गया है. बैल यानी नंदी इन विशेषताओं को पूरी तरह चरितार्थ करते हैं और इसलिए शिव के वाहन हैं। 3/मां दुर्गा और शेर दुर्गा तेज, शक्ति और सामर्थ्‍य की प्रतीक हैं तो उनके साथ सिंह है. शेर प्रतीक है आक्रामकता और शौर्य का. यह तीनों विशेषताएं मां दुर्गा के आचरण में भी देखने को मिलती है. यह भी रोचक है कि शेर की दहाड़ को मां दुर्गा की ध्वनि ही माना जाता है जिसके आगे संसार की बाकी सभी आवाजें कमजोर लगती हैं। 4/ भगवान विष्णु और गरुड़ गरुड़ प्रतीक है दिव्य शक्तियों और अधिकार का. भगवद् गीता में कहा गया है कि भगवान विष्णु में ही सारा संसार समाया है. सुनहरे रंग का बड़े आकार का यह पक्षी भी इसी ओर संकेत करता है. भगवान विष्णु की दिव्यता और अधिकार क्षमता के लिए यह सबसे सही प्रतीक है। 5/ मां लक्ष्मी और उल्लू मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू को सबसे अजीब चयन माना जाता है. कहा जाता है कि उल्लू ठीक से देख नहीं पाता, लेकिन ऐसा सिर्फ दिन के समय होता है. उल्लू शुभ समय और धन-संपत्ति के प्रतीक होते हैं। 6/ब्रह्मदेव और हंस सृष्टि के रचयिता और पालनकर्ता ब्रह्मदेव का वाहन हंस है जो उनके ऐश्‍वर्य और बुद्धिमता का प्रतीक है। 7/मां सरस्वती और हंस हंस को पवित्रता और जिज्ञासा का प्रतीक माना गया है जो ज्ञान की देवी मां सरस्वती के लिए सबसे बेहतर वाहन है. मां सरस्वती का हंस पर विराजमान होना यह बताता है कि ज्ञान से ही जिज्ञासा को शांत किया जा सकता है और पवित्रता को जस का तस रखा जा सकता है. 8/भगवान गणेश और मूषक गणेश जी का वाहन है मूषक. मूषक शब्द संस्कृत के मूष से बना है जिसका अर्थ है लूटना या चुराना. सांकेतिक रूप से मनुष्य का दिमाग चुराने वाले यानी चूहे जैसा ही होता है. यह स्वार्थ भाव से घिरा होता है. गणेश जी का चूहे पर बैठना इस बात का संकेत है कि उन्होंने स्वार्थ पर विजय पाई है और जनकल्याण के भाव को अपने भीतर जागृत किया है। 9/कार्तिकेय और मयूर कार्तिकेय का वाहन है मयूर. एक कथा के अनुसार यह वाहन उनको भगवान विष्णु से भेंट में मिला था। भगवान विष्णु ने कार्तिकेय की साधक क्षमताओं को देखकर उन्हें यह वाहन दिया था जिसका सांकेतिक अर्थ था कि अपने चंचल मन रूपी मयूर को कार्तिकेय ने साध लिया है। 10/ शनिदेव और कौआ मान्‍यताआें के अनुसार कहा जाता है कि शनिदेव इंसान के कर्मों के हिसाब से वाहन पर विराजमान होते हैं जैसे, जब घोड़े और हाथी की सवारी करते हैं तो वह सुख-समृद्धि का प्रतीक होता है. जब शेर की सवारी करते हैं तो जग में प्रसिद्ध मिलती है, जब गधे की सवारी करते हैं तो तनाव अाता है और जब कुते पर सवार होते हैं तो कई तरह की समस्‍याएं आती हैं. वैसे इनका वाहन कौआ है। 11/ इंद्रेव और ऐरावत इंद्रेव वर्षा के देवता हैं और उनका वाहन है सबसे सुंदर हाथी ऐरावत जो उनकी प्रभुता को दर्शाता है। 12/ कुबेर और नर धन के देवता कुबेर का हाथी मनुष्‍य को बनाया है जो यह दर्शाता है कि इंसान को पैसे और समृद्धि को अपने वश में बनाए रखना चाहिए न कि उसके अधीन हो जाना चाहिए। 13/ यमराज का वाहन भैंसा भैंसे को एक सामाजिक प्राणी माना जाता है और वह सब मिलकर एक दूसरे की रक्षा करते हैं. इस तरह वे अपनी और अपने परिवार की रक्षा करते हैं. उनका रूप भयानक होता है. अत: यमराज उसको अपने वाहन के तौर पर प्रयोग करते हैं l 〰〰🌼 ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र〰〰🌼〰 सिद्धिविनायक ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र विभव खंड 2 गोमती नगर 〰🌼〰 एवं〰🌼 वेद राज कांप्लेक्स पुराना NJ आरटीओ चौराहा लाटूश रोड लखनऊ 94150 87711〰〰🌼 9235 7 22996 〰〰