परिक्रमा या प्रदक्षिणा के 10 प्रकार, जानिए ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव के माध्यम से
ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव 9415087711
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सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं और सभी ग्रहों को साथ लेकर यह सूर्य महासूर्य की परिक्रमा कर रहा है। संपूर्ण ब्रह्माण में चक्र और परिक्रमा का बड़ा महत्व है। भारतीय धर्मों (हिन्दू, जैन, बौद्ध आदि) में पवित्र स्थलों के चारो ओर श्रद्धाभाव से चलना 'परिक्रमा' या 'प्रदक्षिणा' कहलाता है। जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव से कि किन किन की परिक्रमा की जाती है या कितने प्रकार की परिक्रमा की जाती है।
ये हैं प्रमुख 10 परिक्रमाएं:-
1. देवमंदिर परिक्रमा:- जैसे देव मंदिर में जगन्नाथ पुरी परिक्रमा, रामेश्वरम, तिरुवन्नमल, तिरुवनन्तपुरम, शक्तिपीठ, ज्योतिर्लिंग आदि।
2. देव मूर्ति परिक्रमा:- देवमूर्ति में शिव, दुर्गा, गणेश, विष्णु, हनुमान, कार्तिकेय आदि देवमूर्तियों की परिक्रमा करना।
3. नदी परिक्रमा:- जैसे नर्मदा, सिंधु, सरस्वती, गंगा, यमुना, सरयु, क्षिप्रा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी परिक्रमा आदि।
4. पर्वत परिक्रमा:- जैसे गोवर्धन परिक्रमा, गिरनार, कामदगिरि, मेरू पर्वत, हिमालय, नीलगिरी, तिरुमलै परिक्रमा आदि।
5. वृक्ष परिक्रमा:- जैसे पीपल और बरगद की परिक्रमा करना।
6. तीर्थ परिक्रमा:- जैसे चौरासी कोस परिक्रमा, अयोध्या, उज्जैन या प्रयाग पंचकोशी यात्रा, राजिम परिक्रमा, सप्तपुरी आदि।
7. चार धाम परिक्रमा:- जैसे छोटा चार धाम (केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री) परिक्रमा या बड़ा चार धाम (बद्रीनाथ, द्वारिका, जगन्नाथ और रामेश्वरम) यात्रा।
5. भरत खण्ड परिक्रमा:- अर्थात संपूर्ण भारत की परिक्रमा करना। परिवाज्रक संत और साधु ये यात्राएं करते हैं। इस यात्रा के पहले क्रम में सिंधु की यात्रा, दूसरे में गंगा की यात्रा, तीसरे में ब्रह्मपुत्र की यात्रा, चौथे में नर्मदा, पांचवें में महानदी, छठे में गोदावरी, सातवें में कावेरी, आठवें में कृष्णा और अंत में कन्याकुमारी में इस यात्रा का अंत होता है। हालांकि प्रत्येक साधु समाज में इस यात्रा का अलग-अलग विधान और नियम है।
6. विवाह परिक्रम:- मनु स्मृति में विवाह के समक्ष वधू को अग्नि के चारों ओर तीन बार प्रदक्षिणा करने का विधान बतलाया गया है जबकि दोनों मिलकर 7 बार प्रदक्षिणा करते हैं तो विवाह संपन्न माना जाता है।
7. माता पिता की परिक्रमा : भगवान गणेशजी ने अपने माता पिता की परिक्रमा की थी जिससे पता चलता है कि इस परिक्रमा का क्या महत्व है।
8. शव परिक्रमा : जब कोई किसी का अपना देह छोड़ देता है कि उसकी देह की परिक्रमा की जाती है। दाह संस्कार करते वक्त और करने के बाद मटकी से जल अर्पित करते वक्त भी परिक्रमा की जाती है।
9. धरती की परिक्रमा : एक बार देवताओं के बीच में धरती परिक्रमा की प्रतियोगिता हुई थी, जिसमें जीते तो भगवान कार्तिकेय थे परंतु गणेशजी ने माता पिता की परिक्रमा करके यह प्रतियोगिता जीत ली थी।
10. ब्रह्मांड की परिक्रमा : यह परिक्रमा नारद जी करते रहते हैं।
किस देव की कितनी बार परिक्रमा जानते हैं प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र ज्योतिषाचार्य आकांक्षा श्रीवास्तव से
1.भगवान शिव की आधी परिक्रमा की जाती है।
2.माता दुर्गा की एक परिक्रमा की जाती है।
3.हनुमानजी और गणेशजी की तीन परिक्रमा की जाती है।
4.भगवान विष्णु की चार परिक्रमा की जाती है।
5.सूर्यदेव की चार परिक्रमा की जाती है।
6. पीपल वृक्ष की 108 परिक्रमाएं करना चाहिए।
7. जिन देवताओं की प्रदक्षिणा का विधान नहीं प्राप्त होता है, उनकी तीन प्रदक्षिणा की जा सकती है।
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