इस वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून दिन गुरुवार को लगने जा रहा है. इस दिन वट सावित्री व्रत भी है. ये त्योहार ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. खास बात ये है कि इस दिन शनि जयंती भी पड़ रही है. शास्त्रों के अनुसार, शनि जयंती को शनिदेव के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है. वट सावित्री व्रत उत्तर भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है. ये त्योहार उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 9415 087 711 Jyotish Aacharya Akanksha Srivastava 8840 727 096 हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है. इस दिन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन विवाहित महिलाएं बरगद के पेड़ की परिक्रमा करती हैं और उस पर सुरक्षा का धागा बांधकर पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं. 10 जून का सूर्य ग्रहण एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा. ये चंद्रमा के चारों ओर आग का एक वलय बनाएगा, जो सूर्य के सेंटर को कवर करेगा. ज्योतिष में ग्रहण के दौरान लगने वाले सूतक काल का विशेष महत्व है. सूर्य ग्रहण का सूतक, ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान किसी भी शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है. सूतक काल के दौरान भगवान की पूजा करना वर्जित माना जाता है चूंकि सूर्य ग्रहण और वट सावित्री व्रत एक ही दिन पड़ रहे हैं. ऐसे में वट सावित्री व्रत की पूजा और उपवास को लेकर कई महिलाओं के मन संदेह है. आइए जानते हैं कि क्या इस बार वट सावित्री व्रत पूजा करनी चाहिए. ये सूर्य ग्रहण अमेरिका, यूरोप और एशिया में आंशिक तौर पर दिखाई देगा जबकि ग्रीनलैंड, उत्तरी कनाडा और रूस में पूर्ण सूर्य ग्रहण का नजारा देखने को मिलेगा. इस बार का सूर्य ग्रहण भारत के केवल अरुणाचल प्रदेश में आंशिक तौर पर दिखाई देगा. इसलिए, हिंदू पंचांग के अनुसार, विवाहित स्त्रियां वट सावित्री व्रत की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ कर सकती हैं. वट सावित्री अमावस्या गुरुवार, 10 जून 2021 अमावस्या तिथि 9 जून 2021 दोपहर 01: 12 से शुरू होकर 10 जून 2021 शाम 0 3: 16 पर समाप्त होगी. व्रत पारण तिथि- 11 जून 2021 शुक्रवार धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो पत्नी इस व्रत को सच्ची श्रद्धा के साथ करती है, उसे न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है बल्कि उसके पति के सभी कष्ट भी दूर हो जाते हैं. आमतौर पर इस दिन सुहागन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं. विवाहित महिलाएं पीले वस्त्र पहनती हैं और भगवान से अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं. महिलाएं अखण्ड सौभाग्य व परिवार की समृद्धि के लिए ये व्रत करती हैं इस दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है. प्रत्येक महिला इस दिन वृक्ष के चारों ओर कच्चे सूत का धागा लपेटते हुए परिक्रमा करती है और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है. इसके बाद वट सावित्री व्रत की कथा सुनी जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बिना कथा सुना ये व्रत अधूरा माना जाता है. कोरोना महामारी के बीच, मंदिर जाना और पूजा करना मुश्किल है. ऐसे में आप अपने घर पर सिंदूर और हल्दी से मूर्तियां बनाकर पूजा कर सकते हैं.