हनुमान सेतु मन्दिर विश्वविद्यालय मार्ग लखनऊ, उत्तर प्रदेश Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 9415 087 7 11 बाबा के बारे में कई कहानियां प्रचलित है। उन्होंने yuvavastha में घर छोड़ दिया था और उसके बाद वो देश भर में जगह-जगह रमते-बसते रहे थे। एक बार वो बिना टिकट ट्रेन में सफ़र कर रहे थे और टिकट कलेक्टर ने नीब करोली गांव के पास गाड़ी रुकवा कर उन्हें उतार दिया। बाबा उतर तो गए पर जब ड्राईवर ने ट्रेन फिर से चलाने की कोशिश की तो वो टस से मस भी नहीं हुई। अंत में हार कर बाबा को फिर से ट्रेन पर बैठाया गया और वो फ़ौरन चल पड़ी। बाबा लौट कर नीब करोली गांव में कुछ अरसे के लिये बस गये और स्थानीय लोग उन्हें नीब करोली बाबा कह कर पुकारने लगे। स्वामी चिदानंद अपनी किताब बाबा नीम करौली: अ वंडर म्य्स्टिक ऑफ़ नार्थ इंडिया में लिखते है कि बाबा कही भी बैठ कर किसी की बात सैकड़ों मील दूर से सुन सकते थे। उन्होंने कई दृष्टांत दिये है जिनमें दो लोगों के बीच हुई कही दूर बातचीत को बाबा ने उन व्यक्तियों से मिलने पर हूबहू बयान दे दी थी। इसी तरह कहा जाता है कि वो कही भी अचानक आ जाते थे। स्वामी चिदानंद ने अपने साथ हुयी घटनाओं का ज़िक्र करते हुये कहा है बाबा शिवानंद आश्रम, ऋषकेश, दो बार अचानक ‘प्रकट’ हो गए थे और फिर सबसे मिलने के बाद वो आश्रम के बाहर मोड़ तक गये थे और फिर गायब हो गये। बाबा नीम करोली, मोड़ तक तो दिखते थे पर फिर नहीं। उनके गायब हो जाने के बाद लोगों ने दौड़ कर और मोटर कार में भी उनको आसपास तलाशने की कोशिश की थी पर वो कही नहीं मिले थे। बाबा को उनके जीवन काल में कई नामों से पुकारा गया था। नीब करोली या नीम करोली के अलावा लोग उन्हें हांड़ी वाले बाबा, तिकोनिया वाले बाबा भी कहता थे। जब वो वावानिया मोरबी में थे तो उन्हें तलैया वाले बाबा कहा जाता था और वृन्दावन में उन्हें चमत्कारी बाबा कहते थे। उन्होंने अपने जीवन में दो आश्रम बनवाये थे– वृन्दावन में और कैंची, नैनीताल, में और 108 मंदिरों का भी निर्माण करवाया था जिसमें लखनऊ वाला हनुमान मंदिर भी शामिल है। बाबा ने 11 सितम्बर 1973 को वृन्दावन में महासमाधि ली थी। आप सौ साल तक योजना बना सकते हैं. लकिन आप नहीं जानते कि अगले पल क्या होगा. -नीम करोली बाबा🙏🙏