कुंडली मिलान और शादी 🕉 Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 🕉🕉 9415 087 711 🕉 923 5722 996 🕉🕉 क्या सम्पूर्ण दाम्पत्य सुख का आधार कुंडली में गुण मिलान ही है ? मित्रों ज्योतिष में वैवाहिक जीवन में सफलता के लिये अक्सर कुंडली मिलान का सहारा लिया जता है। कुंडली मिलान में 36 गुण लिए जाते है और ये माना जाता है की जितने अधिक गुण मिलते है उतना ही ज्यादा दाम्पत्य में सुख जातक जातिका को मिलता है। इन गुणों में कम से कम 18 गुण मिलने आवश्यक हो जाते है । मेलापक में वर्ण , वैश्य , तारा , योनी , ग्रह मैत्री , गण, भकूट और नाडी का मिलान किया जाता है और यदि ये गुण मिलते है तो फिर शादी के लिये आगे बढ़ा जाता है । कुंडली मिलान जातक और जातिका की राशि के आधार पर किया जाता है लेकिन हमारे सामने अक्सर ये समस्या आती है की कुंडली मिलान के बाद भी विवाह में अलग अलग होने की नोबत आ जाती है और फिर अभिभावक ये पूछते है की हमने तो कुंडली मिलान के बाद विवाह किया था फिर भी ऐसा क्यों हो रहा है तो आज उसी के कारण पर मै प्रकाश डाल रहा हूँ । आजकल के समय लोग इंटरनेट से कुंडली मिलान कर लेते है और जो गुण सॉफ्टवेयर दिखाता है उसी के आधार पर शादी के लिये आगे बढ़ जाते है । लेकिन सॉफ्टवेयर आपको कभी भी कुंडली के गुण दोष नही बताता है इसिलिये हमेशा किसी विद्वान से ही कुंडली मिलान आपको करवाना चाहिए और उनसे आगे लिखित शंकाओं का समाधान अवश्य कर लें। मित्रों जब भी आप कुंडली मिलान करवाते है तो सामने वाले से ये सबसे पहले पूछे की जिसके साथ आप कुंडली मिलान करवा रहे है उसके जीवन में वैवाहिक जीवन का सुख कैसा है? कई बार वैवाहिक सुख के अभाव के योग कुंडली में होते है लेकिन कुंडली मिलान में उनको नजरअंदाज कर दिया जाता है इसिलिये सबसे पहले इस बात का अवश्य पता करे । इसके बाद आपको ये पता होना चाहिए की जिसके साथ आपके बच्चे की शादी होनी है उसका स्वास्थ्य कैसा है । कुंडली में ग्रह योग अच्छे औऱ खराब स्वास्थ्य की तरफ इशारा कर रहे होते है इसिलिये उसकी जानकारी अवश्य लें। इसके बाद आती है सन्तान के बारे में पूछने की क्योंकि बिना सन्तान के दाम्पत्य जीवन को सफल नही माना जाता है इसिलिये कुंडली मिलान करते समय कुंडली में सन्तान सुख अवश्य देखें। इन सबके साथ ये अवश्य देखें की कुंडली में चरित्र कैसा दिखा रहा है , जातक या जातिका का अच्छा चरित्र होना भी दाम्पत्य सुख के लिय आवश्यक हो जाता है । इन सबसे बाद ये देखें की कुंडली में दरिद्र योग तो नही है क्योंकि इन सबसे साथ जीवन का आधार धन की स्थिति है । मध्यम आयु योग :- वैसे तो आयु का अनमान लगाना मुश्किल होता है लेकिन हमारे विद्वानों से कुछ योग ऐसे बताये है जिसने किसी की की आयु अल्पायु मध्यम आयु या दीर्घायु आदि के बारे अनुमान लगता है इसिलिये ये जानना आवश्यक है की जिसके साथ आप रिश्ता जोड़ रहे है उसकी कुंडली में मध्यम आयु के योग तो नही है । इन सबके साथ यदि जातक और जातिका के भाग्य के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर ली जाए तो ये सोने पर सुहागे वाली बात होगी। साथ ही ये भी ध्यान रखना आवश्यक है की अल्प बुद्धि के योग न हो क्योंकि कई बार दिमागी कमजोरी सामने आती है जो बाद में वैवाहिक जीवन को दुश्वार बना देती है । इसिलिय मेरे कहने का अभिप्राय है की जिस भी जातक या जातिका के साथ आप अपनी सन्तान की शादी कर रहे है उसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी अवश्य हासिल कर लें ताकि आपको बाद में समस्या का सामना न करना पड़े । इसिलिय निष्कर्ष ये है की केवल गुण मिलान के आधार पर शादी का निर्यण न लें अन्य शंकाओं का समाधान अवश्य कर लें। ये सर्वविदित है की सम्पूर्ण गुण किसी में नही मिलते इसिलिये इनमे से अधिकतर गुण जिसमे मिले उसके साथ आगे बढना चाहिए और यदि कुंडली में कोई ऐसा दोष हो जिसका निवारण हो सकता है तो फिर उस दोष के निवारण के बाद शादी के लिये आगे बढे !