ग्रह-एक नज़र सारे मूलभूत जानकारी एक जगह। Jyotish AVN vastu visheshagya Dr Umashankar Mishra 94150 877 11 9 2 357 22996 सूर्य सूर्य से पृथ्वी की दुरी लगभग १५ करोड़ कि.मी. व्यास लगभग १४ लाख कि.मी. १३ लाख गुणा बड़ा ग्रह पृथ्वी से। आकाश मंडल का मुख्य केंद्र, सभी ग्रह इसी के प्रकाश से प्रकाशमय होते है। सबसे ज्यादा बलवान और पराक्रमी ग्रह। कारक : आत्मा. पिता, नेत्र, पराक्रम, तेज़,राजा,शासकीय कार्यो का कारक, बलवान होने पर सरकारी पद पर आसीन करता है।कुंडली में १, ९, १० भाव का कारक।सतोगुणी,अग्नि–तत्व, पुरुष जाति, पूर्व दिशा का स्वामी, दिन में बली।सिंह राशि का स्वामी, मेष राशि में उच्च(१० अंश पर परमोच्च)एवं तुला राशि में नीच (१० अंश पर परम् नीच) क्या विचार करें -शारीरिक गठन, शक्ति, पिता, वैध, उच्च वर्ग, प्रतिष्ठा, ग्रीष्म ऋतु, शरीर का सुख। पित प्रकृति, वर्ण या जाति:-क्षत्रिय जाति का ग्रह। रोग : रक्त, पित विकार, सिर दर्द, नेत्र रोग, ज्वर, ह्रदय रोग, अतिसार, पेट की बीमारी व हड्डियों का रोग, व्याकुलता । रत्न :-प्रिय रत्न माणिक्य, धातु:-सोना, तांबा, चंद्रमा सूर्य से प्रकाश से प्रकाशित। तीव्र गति से घुमने वाला ग्रह सवा दो दिन एक राशि में भ्रमण कर लेता है। कारक : मन, बुद्धि, माता, धन, खूबसूरती, चावल, सफेद रंगो की वस्तुएँ, चतुर्थ भाव का कारक, शिशु का कारक। चन्द्रमा से विचार : कर्क राशि का स्वामी।वृष राशि में उच्च, वृश्चिक राशि में नीच । गोल आकृति, वात, कफ और चंचल प्रकृति वाला ग्रह। मन की संकल्प शक्ति पर प्रभाव, कुण्डली में चंद्रमा खराब होने पर मन और पाँचो इन्द्रियों पर प्रभाव। जलीय तत्व, वैश्य जाति, मधुर वाणी, वायव्य दिशा का स्वामी, स्त्री ग्रह , रात में बली, वर्षा ऋतु का प्रतिनीधि। पूर्ण चंद्रमा शुभ एवं क्षीण चंद्रमा अशुभ। धातु :-चाँदी। रत्न :-मोती। रोग :- आँखों की बीमारी, कैल्शियम की कमी, मिरगी के दौरे, कफ संबंधित रोग, गला, छाती, मानसिक रोग, स्त्री संबंधित रोग, आलस। मंगल सूर्य की परिक्रमा ६८७ दिनों में करता है। इसे सेनापति ग्रह भी बोला जाता है। क्रोधी स्वभाव, लाल रंग, धैर्य एवं पराक्रम का प्रतीक, पुरुष जाति, दक्षिण दिशा में बलवान, अग्नि तत्व. पित्त प्रकृति, तमोगुणी, युवावस्था, उग्र स्वभाव, क्षत्रिय जाति, रात्री में बली, क्रूर ग्रह। कारक :- छोटे भाई – बहिन, भूमि, सेना, शत्रु, क्रोध, ऑपरेशन, पुत्र-संतान, ३, ६ एवं १० भावो का कारक। विचार :- मेष, वृश्चिक राशियों का स्वामी। मकर राशि पर उच्च तथा कर्क राशि में नीच का होता है। दशम भाव में दिशाबल प्राप्त होता है एक राशि में लगभग ४५ दिन भ्रमण करता है। रत्न :- मूंगा, धातु :- सोना, रोग : पित्त विकार, साहस में कमी, गर्मी, रक्तचाप, जलन, रक्त, कुष्ठ रोग, गुप्तांगो में तकलीफ, गुर्दा, मसपेशियाँ, पेट से पीठ तक कमजोरी, बुखार, चोट लगना, जलना, चेचक, खसरा, संक्रमक व प्लेग। बुध ९ करोड़ ८८ लाख कि.मी. पृथ्वी से दुरी, ८८ दिन में सूर्य के चारो ओर एक चक्कर पूरा करता है, राजकुमार का प्रतीक, चंचल प्रवति,अधिकतर सूर्य के साथ या एक राशि आगे–पीछे रहता है।तीव्र गति का होने की वजह से कभी पूरब तथा कभी पश्चिम में उदय, सूर्योदय से दो घंटे पहले तथा सूर्यास्त के दो घंटे बाद दिखाई देता है।एक राशि में लगभग १८ दिन रहता है। विचार : पापी ग्रहों के साथ पापी एवं शुभ ग्रहों के साथ शुभ। ज्योतिष, कानून, व्यवसाय, लेखन कार्य, अध्यापन, गणित, संपादन, प्रकाशन, खेल, वात, पित, कफ , हरे रंग, स्पष्टवक्ता, रजोगुणी, पृथ्वी तत्व, नपुंसक ग्रह, उत्तर दिशा का स्वामी, कन्या एवं मिथुन राशियों का स्वामी, कन्या राशि में उच्च तथा मीन राशि में नीचे, शरद ऋतु का प्रधान, रत्न:-पन्ना। धातु:- कांस्य। कारक : वाणी, बुद्धि, विघा, मित्र सुख, मामा, शिशु आदि। चतुर्थ भाव का कारक। रोग : नाड़ी तंत्र, दिमाग, फेंफडे, जीभ, बुद्धि, वाणी, शरीर की स्नायु प्रक्रिया, अस्थमा, गूंगापन, मतिभ्रम, नाड़ी कंपन, चर्मरोग, वायुविकार, बेहोशी, कुष्टरोग। गुरु सौरमंडल में सूर्य से काफी दूरी पर, सबसे बड़ा ग्रह, व्यास लगभग १ लाख ४२ हज़ार ७०० कि. मी. पृथ्वी से १० गुणा ज्यादा, लगभग ४८ करोड़ ५० लाख मील दूर, लगभग १२ महिना एक राशि को पूरा करने में समय लेता है।इसके१६ उपग्रह है। विचार : स्थूल शरीर, आकाश तत्व, ईशान दिशा का स्वामी, कफ प्रक्रति, ब्राह्मण जाति, धर्म व नीति का महान पंडित, पीले रंग वाला, बड़ा पेट, धनु और मीन राशियों का स्वामी, कर्क राशि में उच्च मकर राशि मे नीच। रत्न:- पुखराज। धातु:- सोना। कारक : सतोगुणी, पुरुष जाति, ज्ञान – बुद्धि, पुत्र, संतान, आध्यात्मिकता, ज्योतिष, पति सुख, धर्मशास्त्र, धन, विघा, बड़ा भाई, राज्य से मान सम्मान,हेमन्त ऋतु, इत्यादि। रोग : कब्ज, बेहोशी, कान के रोग, टाइफाइड, मोटापा, चर्बी, कमजोरी, पेट, गुर्दा व गैस, पाचन क्रिया, कमर से जांघ तक की बीमारी। शुक्र बुद्ध के बाद सौरमंडल में सूर्य के नजदीक रहने वाला ग्रह, बुध से बड़ा, सब से ज्यादा चमकीला, व्यास लगभग १३३२० कि.मी. पृथ्वी के व्यास लगभग बराबर, पृथ्वी से दुरी ३ करोड़ ८५ लाख कि.मी. २२५ दिनों में सूर्य की परिक्रमा करता है, एक राशी में २८ दिन भ्रमण करता है। वृष एवं तुला राशियों का स्वामी,मीन में उच्च का और कन्या में नीच का होता है। विचार : प्रेम – प्रसंग, सौंदर्य एवं आकर्षण का प्रतीक, शुभ ग्रह, जल तत्व, अग्नि कोण दिशा का स्वामी, रजोगुणी, सुन्दर नेत्र, खूबसूरत चेहरा, ब्रह्मण जाती एवं स्त्री ग्रह। संगीत, गायन, चित्रकला, सौंदर्य श्रृंगार, कवि, कला, विवाह – सुख, व्यापार, वाहन सुख, सुगंध प्रिय तेल, घर, मकान, शुगर तथा मैथुन। कारक : स्त्री, वाहन, काम, वीर्य, सुख, वासना, आभूषण, चाँदी इत्यादि । सप्तमभाव का कारक, रत्न:- हीरा। धातु चाँदी। रोग : गला, ठोढ़ी, कान, अंडाशय गुर्दा, आंतरिक कामवासनाएं, मुत्राशय संबंधी रोग, धात – प्रेमह, शुगर, पथरी एवं स्त्री को गर्भाशय संबंधी रोग। शनि पृथ्वी से ८९ करोड़ मील दूर, व्यास लगभग १ लाख २० हजार ८०० कि.मी.। सबसे दूर ग्रह, विचित्र वलये दिखाई देती है । नौ उपग्रह, लगभग 30 वर्षो में सूर्य की परिक्रमा पूरी करता है, सबसे धीमा ग्रह, एक राशि में ढाई वर्ष भ्रमण करता है। विचार :- मकर एवं कुम्भ राशियों का स्वामी, तुला राशि में उच्च तथा मेष राशि में नीच,६, ८, १२ भाव का कारक। रात्री बली।प्रत्येक कार्य में रुकावटों, लम्बा कद, कफ एव वात प्रक्रति, तमोगुणी, काला रंग, आलस्य युक्त, परजाति, नपुंसक ग्रह, वायु तत्व प्रधान, पापी ग्रह, सप्तम भाव में दिशाबल मिलता है, प्रिय रत्न:- नीलम, धातु:- लोहा एवं पंचधातु। कारक : रोग, आयु, मृत्यु, नौकर, व्यापर, लौहा, दुःख, विपत्ति, कुटिलता, स्वार्थ, लोभ, मोह, राज्यदंड, विश्वाश घाट, कानून, जुआ, शराब, काला – कपड़ा, शल्य – चिकित्सक, स्वाधीनता, गठिया, वायु – विकार, दरिद्रता, मजदूरी, कर्ज, भूमि, रोग:-नर्वस–सिस्टम,जिगर, बायां कान, पिंडली, घुटने, हड्डिया, जोड़, स्नायु तंत्र, थकान, लकवा, अस्थमा, पक्षाघात, पेट की बीमारी, कैंसर, टी.बी. जैसे लम्बे रोग। राहु यह ग्रह भौतिक पिंड नही है, छायावादी ग्रह है, शनि की तरह स्वभाव,साहचर्य वशात शुभ ग्रहों के साथ शुभ तथा अशुभ ग्रहों के साथ अशुभ फल ऐसा माना जाता है।मिथुन राशि में उच्च तथा धनु राशि में नीच।सदैव वक्री गति से भ्रमण।एक राशि मे 18 माह विचरण करता है। विचार : अचानक धन की प्राप्ति, तमोगुणी, मलिन स्वभाव, दक्षिण – पश्चिम दिशा का स्वामी, वायुतत्व, तीक्ष्ण बुद्धि, विज्ञान, खोज, शराब, स्नायु मंडल, जासूसी, आकस्मिक घटनाएँ, भूत, फोटोग्राफी, चित्रकारी इत्यादि कार्य । प्रिय रत्न गोमेद, धातु (पंच धातु), रोग : हार्ट – अटैक, कुष्ट रोग, चर्मरोग, पेट में कीड़ा बनना, मानसिक उत्तेजना, विष, पाचन संबंधी रोग। केतु राहु की तरह छायावादी ग्रह, भौतिक पिंड नही होता, कुरूप, वर्ण संकर जाति, तमोगुणी, पापी ग्रह।धनु राशि मे उच्च और मीन राशि मे नीच।सदैव वक्री गति से भ्रमण।एक राशि मे 18 माह विचरण करता है। विचार : गुप्त विद्या, कठिन विद्या, तंत्र – मंत्र, घाव, चर्मरोग , चेचक, जहर। रत्न:- लहसुनिया। धातु:-अष्ट धातु। रोग : गर्भपात, चर्मरोग, जलोदर रोग, फोड़े – फुंसी, चेचक, विष, तोड़–फोड़ आदि। Jyotish Acharya Dr Uma Shankar Mishra Siddhi Vinayak Jyotish se AVN vastu Anusandhan Kendra Vibhav khand 2 Gomti Nagar AVN vedraj 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