त्रिमुखी रुद्राक्ष का महत्व पूजन विधि ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र 94150 87711 त्रिमुखी रुद्राक्ष के विषय में नेपाली दाने के गुणों को ही ध्यान में रखा जाता है। यदपि इंडोनेशियायी कुछ कम असरदार होते हैं। यह बात धारण करने के दानो की सांख्य पर भी निर्भर करता है। त्रिमुखी रुद्राक्ष अग्नि का प्रतिक माना गया है । जीस तरह अग्नी सब चीजो को जला कर निगल जाती है और तब भी शुद्ध और शक्ति शाली बनी रहती है उसी तरह त्रिमुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले को सारे गत पापो से मुक्ति दिलाता है। हीन भावना, भय, आत्म- तिरस्कार या मानसिक तनाव से ग्रस्त व्यक्ति इसे पहने। इससे आलस्य दूर हो कर स्फुर्ति मिलती है। पूर्व जन्म मे किये हुए पाप कर्मो से तथा इस जन्म के पाप कर्मो से मुक्ति के लिए भी त्रिमुखी रुद्राक्ष को धारण किया जाता है। श्रीमद्देवीभगवत पुराण के अनुसार इस रुद्राक्ष से गर्भ पात के पाप से मुक्ति संभव है। अग्नि से उत्पन्न ( अग्नि संभूत) होने के कारण यह रुद्राक्ष मन को पवित्र करके अपराध भावना से मुक्त जीवन जीने मे सहायक होता है। पदमपुराण इसे परब्रम्हा से बता कर जीवन की सब समस्याओं का समाधान एवं सफ़लता का कारक मानता है। त्रिमुखी रुद्राक्ष को उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उदर रोग, ज्वर, नेत्र विकार, और कर्क रोग तक मे उपयोग किया जाता है। यदि बालक को बार बार ज्वर आता है अथवा वह बहुत कमजोर हो तो ऐसी स्थिति मे राहत पाने के लिए तीन दाने उसके गले में पहनाना चाहिये। छ: साल से कम उम्र के लिए एक दाना भी प्रयाप्त है। त्रिमुखी रुद्राक्ष समन्यता: सब प्रकार के रोगों मे प्रयुक्त होता है। और इससे लाभ मिलने के अनेक सबूत भी है। मान्यता है की इससे मंगल ग्रह के दोष, जैसे जमीन को लेकर विवाद, खून में विष उदर रोग , दुर्घटना इत्यादी मिटते है। प्राचीन ग्रंथो के अनुसार ब्रह्मांड तीन शक्तियो के द्वारा धारित है, विशेषता: शैवगम् का तीन स्तरीय दर्शन। इस दर्शन का घोटक त्रिमुखी रुद्राक्ष है। इसे किसे धारण करना चाहिए रोगी,कमजोर, आलसी, अथवा हींन भावना ग्रस्त, व्यक्ति त्रिमुखी रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं। यह त्वचा रोग, उदर विकार, नेत्र विकार, व मान्सिक तनाव मे विशेष सहायक् है एवं इससे आत्म विश्वास बड़ता है। छ: वर्ष तक के बालक एक दाना धारण करे, और वयस्क लोग तीन दाने अथवा नौ दाने नेपाली या इंडोनेशियाई कोइ भी धारण कर सकते हैं। विशेष प्रयोजनो के लिए, 54+1 इंडोनेशयाइ रुद्रक्ष् ज्यादा चलता है। त्रिमुखी रूद्राक्ष को सिद्ध करने का मंत्र। शिवपुराण - ओम क्लिम नमः पद्म पुराण- ओम ओम नमः। सकंद पुराण- ओम धूं धूं नमः। महाअमृत्युंजय मंत्र - ओम नमः शिवाय