1 . शनि को काले रंग की चिड़िया खरीदकर उसे दोनों हाथों से आसमान में उड़ा दें। आपकी दुख-तकलीफें दूर हो जाएंगी।
2 . शनि जयंती के दिन लोहे का त्रिशूल महाकाल शिव, महाकाल भैरव या महाकाली मंदिर में अर्पित करें। शनि दोष के कारण विवाह में विलंब हो रहा हो, तो 250 ग्राम काली राई, नए काले कपड़े में बांधकर पीपल के पेड़ की जड़ में रख आएं और शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें।
3 . पुराना जूता शनि के दिन चौराहे पर रखें।
4. आर्थिक वृद्धि के लिए आप सदैव शनिवार के दिन गेंहू पिसवाएं और गेहूं में कुछ काले चने भी मिला दें।
5 . शनि को 10 बादाम लेकर हनुमान मंदिर में जाएं। 5 बादाम वहां रख दें और 5 बादाम घर लाकर किसी लाल वस्त्र में बांधकर धन स्थान पर रख दें।
6. शनि के दिन बंदरों को काले चने, गुड़, केला खिलाएं।
7 . शनि पर सरसों के तेल का छाया पात्र दान करें।
8 . बहते पानी में नारियल विसर्जित करें।
9 . शनि को काले उड़द पीसकर उसके आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं।
10. शनि को आक के पौधे पर 7 लोहे की कीलें चढ़ाएं। काले घोड़े की नाल या नाव की कील से बनी लोहे की अंगूठी मध्यमा उंगली में शनि को सूर्यस्त के समय पहनें।
11. शमशान घाट में लकड़ी का दान करें।
12. शनि को सरसों का तेल हाथ और पैरों के नाखूनों पर लगाएं।
13. शनि से आरंभ कर चीटिंयों को 7 शनिवार काले तिल, आटा, शक्कर मिलाकर खिलाएं।
14. शनि की शाम पीपल के पेड़ के नीचे तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएं। 15. शनि के दिन काले तिल से शनि भगवान के मंत्रों का उच्चारण करके हवन करें 16 . काले तिल से शिव भगवान का अभिषेक करने से शारीरिक मानसिक कष्ट दूर होंगेहरे कृष्ण...!
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌷🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻 आपके विवाह में बाधा तो करें ये उपाय-
अगर ग्रह ठीक ना हों तो शादी होने में समस्याएं आती हैं. और अगर शादी हो भी गई तो रिश्ते में समस्याएं आती रहती हैं.
आइए जानते हैं वे कौन से ग्रह हैं जो आपके वैवाहिक जीवन को प्रभावित करते हैं और क्या है बचने के उपाय.
शनि-
- वैवाहिक जीवन के टूटने में सबसे बड़ी भूमिका शनि निभाता है.
- अगर शनि का सम्बन्ध विवाह भाव या इसके ग्रह से हो, तो विवाह भंग होता ही है.
- शनि अगर विवाह भंग करने का कारण हो तो इसके पीछे घर के लोग जिम्मेदार माने जाते हैं.
- अगर शनि की वजह से वैवाहिक जीवन में समस्या आ रही हो तो शिव जी को नित्य प्रातः जल चढ़ाएं.
- साथ ही हर शनिवार को लोहे के बर्तन में भरकर सरसों के तेल का दान करें.
मंगल-
- वैवाहिक जीवन में विच्छेदन के अलावा अगर मामला हिंसा तक पहुंच गया हो तो इसके पीछे मंगल होता है.
- मंगल जब वैवाहिक जीवन में समस्या देता है. तो मामला मार-पीट तक पहुंच जाता है.
- इसमें वैवाहिक सम्बन्ध, विवाह के बाद बहुत ही जल्दी भंग हो जाता है.
- इसमें मामला कोर्ट कचहरी तक भी तुरंत पहुचता है.
- अगर मंगल की वजह से समस्या आ रही हो तो मंगलवार का उपवास रखें.
- हर मंगलवार को निर्धनों को मीठी चीजों का दान करें.
- लाल रंग का प्रयोग कम से कम करें.
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राहु-केतु-
- विवाह के मामलों में शक और वहम जैसी चीजों को पैदा करना राहु-केतु का काम है.
- अगर राहु-केतु विवाह संबंधों में बाधा देते हैं तो बेवजह शक पैदा होता है.
- और कभी-कभी जीवनसाथी दूसरे को छोड़कर दूर चला जाता है.
- इसमें वैवाहिक जीवन रहने के बावजूद, जीवन भर अलगाव झेलना पड़ता है.
- भगवान विष्णु की उपासना करें.
- जल में कुश डालकर स्नान करें.
- शनिवार के दिन मीठी चीजें बिलकुल न खाएं.
सूर्य-
- विवाह के मामलों में सूर्य का दुष्प्रभाव हो तो जीवनसाथी के करियर में बाधाएं आती हैं.
- या कभी-कभी अहंकार के कारण आपसी सम्बन्ध खराब हो जाते हैं.
- यहां पर बहुत सोच समझकर शांतिपूर्ण तरीके से विवाह भंग होता है.
- हालांकि शादी के काफी समय बीत जाने के बाद यहां विवाह विच्छेद होता है.
- नित्य प्रातः सूर्य को रोली मिला हुआ जल अर्पित करें.
- एक ताम्बे का छल्ला जरूर धारण करें.
- गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करना भी शुभ परिणाम देगा
बृहस्पति-
- कुंडली में अगर बृहस्पति अच्छा हो तो विवाह की बाधाओं को समाप्त करता है.
- अगर सप्तम भाव के स्वामी पर इसकी दृष्टि हो तो विवाह की बाधा को समाप्त करता है.
- लग्न में बैठा हुआ बृहस्पति सर्वाधिक शक्तिशाली होता है. और वह समस्त बाधाओं का नाश कर देता है.
- परन्तु अगर बृहस्पति सप्तम भाव में हो तो कभी-कभी व्यक्ति अविवाहित भी रहता है.
- अगर बृहस्पति अनुकूल हो तो पीली चीजों का दान कभी न करें.
- अगर बृहस्पति खराब हो तो केले का दान करें, सर्वोत्तम होगा.
- अगर बृहस्पति के कारण विवाह ही न हो पा रहा हो तो विद्या का दान करें.
शुक्र-
- बिना शुक्र के वैवाहिक या पारिवारिक सुख मिल ही नहीं सकता.
- अगर शुक्र कमजोर हो तो वैवाहिक जीवन खराब होता है.
- अगर शुक्र पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो, या शुक्र खराब हो तो विवाह सम्बन्ध टूट जाता है.
- अगर जरा भी अच्छा हो तो व्यक्ति को जीवन में विवाह का सुख मिल ही जाता है.
- अगर शुक्र अनुकूल हो तो शुक्र की वस्तुओं का दान कभी न करें.
- शुक्र खराब हो तो शुक्र की वस्तुओं का दान करें, और हीरा कभी भी न पहनें.
- शिव जी की उपासना जरूर करें, इससे शुक्र बलवान होता है.
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बीमारी से मुक्ति के लिए उपाय
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➡️✅✅#बीमारी से मुक्ति के उपायहर व्यक्ति चाहता है कि वह और उसके परिवार के सदस्य आरोग्य को प्राप्त करें अर्थात निरोगी बने रहे । लेकिन वर्तमान समय के रहन सहन, खान-पान , शरीरिक श्रम की कमी के कारण लोगो को रोग बहुत जल्दी घेर लेते है ।✅ इन बिमारियों से मुक्ति के लिए कई उपाय , ✍️✍️कई टोटके बताये गए है जिन्हे ध्यान पूर्वक करने से रोगो से छुटकारा पाया जा सकता है ।यहाँ पर हम रोग निवारण के कई आसान उपाय बता रहे है जिसे निरोगी काया पायी जा सकती है । जानिए बीमारी से रोग से छुटकारा पाने के #उपाय ::-
➡️1. बाजार से कपास के थोड़े से फूल खरीद लें। रविवार शाम 5 फूल, आधा गिलास पानी में साफ कर के भिगो दें। सोमवार को प्रात: उठ कर फूल को निकाल कर फेंक दें तथा बचे हुए पानी को पी जाएं। जिस पात्र में पानी पीएं, उसे कहीं पर भी उल्टा कर के रख दें। कुछ ही दिनों में आश्चर्यजनक स्वास्थ्य लाभ अनुभव करेंगे ।
➡️2. रात्रि के समय शयन कक्ष में कपूर जलाने से पितृ दोष का नाश होता है, घर में शांति बनी रहती है, बुरे स्वप्न नहीं आते है और सभी प्रकार के रोगों से भी छुटकारा मिलता है ।
➡️3. पूर्णिमा के दिन रात्रि में घर में खीर बनाएं। ठंडी होने पर उसका मंदिर में मां लक्ष्मी को भोग लगाएं एवं चन्द्रमा और अपने पितरों का मन ही मन स्मरण करें और कुछ खीर काले कुत्तों को दे दें। ऐसा वर्ष भर पूर्णिमा में करते रहने से घर में सुख शांति, निरोगिता एवं हर्ष और उल्लास का वातावरण बना रहता है धन की कभी भी कमी नहीं रहती है ।
➡️4. घर में कोई बीमार हो जाए तो उस रोगी को शहद में चन्दन मिला कर चटाएं । यदि घर में पुत्र बीमार हो तो कन्याओं को हलवा खिलाएं एवं पीपल के पेड़ की लकड़ी को सिरहाने रखें।
➡️5. जिस घर में स्त्रीवर्ग को निरन्तर स्वास्थ्य की पीड़ाएँ रहती हो, उस घर में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी श्रद्धापूर्वक देखशल करने, संध्या के समय घी का दीपक जलाने से रोग पीड़ाएँ शीघ्र ही समाप्त होती है।
➡️6. यदि घर में किसी की तबियत ज्यादा ख़राब लग रही है तो रविवार के दिन बूंदी के सवा किलो लड्डू किसी भी धार्मिक स्थान चड़ा कर उसका कम से कम 75% वहीँ पर प्रसाद के रूप में बांटे।
➡️7. अगर परिवार में कोई परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है तथा लगातार दवा सेवन के पश्चात् भी स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा है, तो किसी भी रविवार से लगातार 3 दिन तक गेहूं के आटे का पेड़ा तथा एक लोटा पानी व्यक्ति के सिर के ऊपर से उसार कर जल को पौधे में डाल दें तथा पेड़ा गाय को खिला दें। इन 3 दिनों के अन्दर व्यक्ति अवश्य ही स्वस्थ महसूस करने लगेगा। अगर इस अवधि में रोगी ठीक हो जाता है, तो भी इस प्रयोग को अवश्य पूरा करना चाहिए।
➡️8. पीपल के वृक्ष को प्रात: 12 बजे के पहले, जल में थोड़ा दूध मिला कर सींचें और शाम को तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। ऐसा किसी भी दिन से शुरू करके 7 दिन तक करें ( अगर सोमवार से शुरू करें तो अति उत्तम होगा )। रोग से ग्रस्त व्यक्ति को जल्दी ही आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा।
9. शुक्रवार रात को मुठ्ठी भर काले साबुत चने भिगोयें। शनिवार की शाम उन्हें छानकर काले कपड़े में एक कील और एक काले कोयले के टुकड़े के साथ बांध दें । फिर इस पोटली को रोगी के ऊपर से 7 बार वार कर किसी तालाब या कुएं में फेंक दें। ऐसा लगातार 3 शनिवार करें। बीमार व्यक्ति शीघ्र अच्छा हो जायेगा।
➡️10. यदि कोई प्राणी कहीं देर तक बैठा हो और उसके हाथ या पैर सुन्न हो जाएँ तो जो अंग सुन्न हो गया हो, उस पर उंगली से 27 का अंक लिख दीजिये, उसका सुन्न अंग तुरंत ठीक हो जाएगा।
➡️11. काले तिल और जौ का आटा तेल में गूंथकर एक मोटी रोटी बनाकर उसे अच्छी तरह सेंकें। गुड को तेल में मिश्रित करके जिस व्यक्ति के मरने की आशंका हो, उसके सिर पर से 7 बार उतार कर मंगलवार या शनिवार को किसी भैंस को खिला दें।यह क्रिया करते समय ईश्वर से रोगी को शीघ्र स्वस्थ करने की प्रार्थना करते रहें।
#महामृत्युंजय-मंत्र की रचना कैसे हुई?
#शिवजी के अनन्य भक्त #मृकण्ड ऋषि संतानहीन होने के कारण दुखी थे. विधाता ने उन्हें संतान योग नहीं दिया था.
#मृकण्ड ने सोचा कि #महादेव संसार के सारे विधान बदल सकते हैं. इसलिए क्यों न #भोलेनाथ को प्रसन्नकर यह विधान बदलवाया जाए.
#मृकण्ड ने घोर तप किया. #भोलेनाथ #मृकण्ड के तप का कारण जानते थे इसलिए उन्होंने शीघ्र दर्शन न दिया लेकिन भक्त की भक्ति के आगे #भोले झुक ही जाते हैं.
#महादेव प्रसन्न हुए. उन्होंने ऋषि को कहा कि मैं विधान को बदलकर तुम्हें पुत्र का वरदान दे रहा हूं लेकिन इस वरदान के साथ हर्ष के साथ विषाद भी होगा.
#भोलेनाथ के वरदान से #मृकण्ड को पुत्र हुआ जिसका नाम #मार्कण्डेय पड़ा. ज्योतिषियों ने #मृकण्ड को बताया कि यह विलक्ष्ण बालक अल्पायु है. इसकी उम्र केवल 12 वर्ष है.
ऋषि का हर्ष विषाद में बदल गया. #मृकण्ड ने अपनी पत्नी को आश्वत किया- जिस ईश्वर की कृपा से संतान हुई है वही #भोले इसकी रक्षा करेंगे. भाग्य को बदल देना उनके लिए सरल कार्य है.
#मार्कण्डेय बड़े होने लगे तो पिता ने उन्हें #शिवमंत्र की दीक्षा दी. #मार्कण्डेय की माता बालक के उम्र बढ़ने से चिंतित रहती थी. उन्होंने #मार्कण्डेय को अल्पायु होने की बात बता दी.
#मार्कण्डेय ने निश्चय किया कि माता-पिता के सुख के लिए उसी #सदाशिव भगवान से दीर्घायु होने का वरदान लेंगे जिन्होंने जीवन दिया है. बारह वर्ष पूरे होने को आए थे.
मार्कण्डेय ने #शिवजी की आराधना के लिए #महामृत्युंजय-मंत्र की रचना की और #शिव मंदिर में बैठकर इसका अखंड जाप करने लगे.
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”
समय पूरा होने पर #यमदूत उन्हें लेने आए. #यमदूतों ने देखा कि बालक #महाकाल की आराधना कर रहा है तो उन्होंने थोड़ी देर प्रतीक्षा की. #मार्केण्डेय ने अखंड जप का संकल्प लिया था.
#यमदूतों का #मार्केण्डेय को छूने का साहस न हुआ और लौट गए. उन्होंने #यमराज को बताया कि वे बालक तक पहुंचने का साहस नहीं कर पाए.
इस पर #यमराज ने कहा कि #मृकण्ड के पुत्र को मैं स्वयं लेकर आऊंगा. #यमराज #मार्कण्डेय के पास पहुंच गए.
बालक #मार्कण्डेय ने #यमराज को देखा तो जोर-जोर से #महामृत्युंजय-मंत्र का जाप करते हुए #शिवलिंग से लिपट गया.
#यमराज ने बालक को #शिवलिंग से खींचकर ले जाने की चेष्टा की तभी जोरदार हुंकार से मंदिर कांपने लगा. एक प्रचण्ड प्रकाश से #यमराज की आंखें चुंधिया गईं.
#शिवलिंग से स्वयं #महाकाल प्रकट हो गए. उन्होंने हाथों में त्रिशूल लेकर #यमराज को सावधान किया और पूछा तुमने मेरी साधना में लीन भक्त को खींचने का साहस कैसे किया?
#यमराज #महाकाल के प्रचंड रूप से कांपने लगे. उन्होंने कहा- प्रभु मैं आप का सेवक हूं. आपने ही जीवों से प्राण हरने का निष्ठुर कार्य मुझे सौंपा है.
#भगवान-चंद्रशेखर का क्रोध कुछ शांत हुआ तो बोले- मैं अपने भक्त की स्तुति से प्रसन्न हूं और मैंने इसे दीर्घायु होने का वरदान दिया है. तुम इसे नहीं ले जा सकते.
#यम ने कहा- प्रभु आपकी आज्ञा सर्वोपरि है. मैं आपके भक्त #मार्कण्डेय द्वारा रचित #महामृत्युंजय का पाठ करने वाले को त्रास नहीं दूंगा.
#महाकाल की कृपा से #मार्केण्डेय दीर्घायु हो गए. उनके द्वारा रचित #महामृत्युंजय-मंत्र #काल को भी परास्त करता है.
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