मनु स्मृति में स्त्री का स्थान Jyotish Aacharya Dr Umashankar Mishra 9415 087 711 मनुस्मृति में मनु महाराज का स्त्रियों के विषय में क्या मत है- 1. ब्रह्मचारी प्रथम भिक्षा अपनी माता, मौसी अथवा बहिन के हाथों ग्रहण करे। 2. मौसी, मामी, सास व बुआ - ये गुरु पत्नी के समान पूज्य हैं। 3. सवर्णा भाभी को नित्य प्रणाम करना चाहिए, अपने रिश्ते की अन्य स्त्रियों को परदेश से आने पर प्रणाम करना चाहिए। 4. राह चलते समय रथारूढ, अतिवृद्ध, रोगी, बोझा ढोने वाले, स्त्री, स्नातक, राजा व दूल्हा के लिए रास्ता छोड देना चाहिए।(उन्हें पहले मार्ग देना चाहिए) 5. उपाध्याय से दस गुना श्रेष्ठ आचार्य, आचार्य से सौ गुना श्रेष्ठ पिता और पिता से हजार गुना श्रेष्ठ व गौरवशाली माता होती है। 6. इसी(द्वितीय) अध्याय में माता के सम्मान और भी में बहुत कुछ कहा गया है विस्तारभय से नहीं लिखा जा रहा। वहीं देख लें। 7. जिस कुल में स्त्रियाँ सम्मानित होती हैं उस कुल से देवगण प्रसन्न होते हैं और जहां स्त्रियों का तिरस्कार होता है, वहां सभी (यज्ञादि) क्रियाएँ निष्फल होती हैं। 8. जिस कुल में बहु-बेटियाँ क्लेश पाती हैं, वह कुल शीघ्र नष्ट हो जाता है, किंतु जहां इन्हें किसी प्रकार का दुःख नहीं होता वह कुल सर्वदा वृद्धि को प्राप्त होता है। 9. अपमानित होने के कारण बहु-बेटियाँ जिन घरों को शाप देती हैं, कोसती हैं, वे घर अभिचारादि से व हर तरह से नष्ट हो जाते हैं। 10. जिस कुल में पत्नी से पति और पति से पत्नी प्रसन्न रहती है, उस कुल में सदैव कल्याण ही होता है। 11. नयी बहू, कन्या, रोगी और गर्भवती स्त्री को अतिथियों से पहले बिना विचारे भोजन करा दे। 12. स्त्रियों का मुख सदा शुद्ध होता है। 13. वन्ध्या स्त्री जिसके कुल में कोई न हो, पतिव्रता, विधवा और रोगिणी स्त्री, राजा को इनके धन की रक्षा करनी चाहिए। उन जीवित स्त्रियों का धन जो उनके रिश्तेदार हरण कर लें तो धार्मिक राजा उन्हें चोर के समतुल्य दण्ड दे। 14. द्वेष भाव से किसी कन्या के चरित्र पर कोई झूठा लांछन लगाए तो राजा को कन्या के दोष पर कुछ विचार न करके दोष लगाने वाले पर 100 पण जुर्माना करना चाहिए। 15. कन्या के साथ बलात्कार करके उसे दूषित करने वाला तत्काल वध करने योग्य होता है। 16. कन्या के ऋतुमती होते हुए भी आजीवन पिता के घर में अविवाहित रहना श्रेष्ठ है किंतु मूर्ख, गुणहीन वर के साथ कभी उसका विवाह न करे। 17. यदि माता, पिता, भाई समय पर कन्या का विवाह न करें तो कन्या स्वयं ही योग्य पति चुन ले। इस स्थिति में कन्या व उसके पति को कोई पाप नहीं लगता। 18. माता के विवाह के आभूषणादि जो उसके माता पिता इत्यादि से मिले हैं, वह सम्पूर्ण रूप से उसके अविवाहित कन्या को मिलना चाहिए। 19. मृत स्त्री के धन पर उसके पुत्र और पुत्री का बराबर अधिकार है। व कुछ हिस्सा कुमारी नातिन को भी दिया जाना चाहिए। 20. पुत्र यदि निःसंतान मर गया हो तो उसका हिस्सा उसकी माता को मिलना चाहिए। माता भी मर गयी हो तो दादी को धन मिलेगा। मनुस्मृति में इस प्रकार और भी अनेक श्लोक प्राप्त होते हैं जिन्हें पढकर यह मिथ्या भ्रम दूर हो जाएगा कि मनु महाराज स्त्रियों को हेय दृष्टि से देखते थे अथवा उनके प्रति अन्यायपूर्ण रुख रखते थे। प्रत्युत अनेक विषयों में तो स्त्री को विशेषाधिकार प्राप्त थे। जिसे जानना हो वह मनुस्मृति का गंभीरता से अध्ययन कर ले। इतने पर भी यदि बुद्धि का मोतियाबिंद न दूर हो तो उसका दुर्भाग्य। 🚩🚩