* पुश्तेनी धन संपत्ति कब मिलता है* Jyotish Aacharya Dr Umashankar Mishra 9415 087 711 923 5722 996
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✍🏻कुछ खास लोगो को जिन्हें गढ़ा हुआ धन-संपत्ति मिल जाती है आज के समय मे पुश्तेनी धन जो छुपा हुआ था और अचानक मिलना दादा परदादा, पिता का धन-संपत्ति आदि भी गढ़े धन के अंतर्गत आता है Jyotish Aacharya Dr Umashankar Mishra ने बताया कि अब समझते है कैसे गढ़ा या गुप्त धन, संपत्ति मिलती है:-
१:- जन्मकुंडली का आठवां भाव गढ़े धन, गुप्त धन, संपत्ति आदि का होता है जो कि दादा परदादा छोड़कर चले जाते है और बाद में उसका पता लगता है, जैसे कि आठवा भाव गढ़े धन का है गुप्त संपत्ति का है तो दूसरा भाव धन का और ग्यारहवा भाव धनः लाभ का है तो राहु केतु अचानक मिलने वाले धन, संपत्ति के कारक ग्रह है। जब जिस भी जातक की कुंडली मे दूसरे भाव- ग्यारहवे भाव का संबंध आठवे भाव या आठवें भाव के स्वामी से होता है तब गढ़े धन गुप्त धन लाभ जातक को होता है ऐसी स्थिति में दादा, परदादा पिता आदि की संपत्ति, धन बाद में जातक को ऐसे जातको को मिल जाती है आज के समय के अनुसार बैंक में दादा, पिता आदि का खाता था लेकिन इसकी जानकारी बाद में मिली संतान को तो अब संतान उस धन की स्वामिनी होगी, संतान को कानूनी कार्यवाही के द्वारा वह धन मिल जाएगा, घर मे ही दादा, पिता आदि धन, वसीयत छुपाकर रखे होते है जिसका पता संतान हो या परिवार के लोगो को बाद में पता चला और गढ़ा धन प्राप्त हो गया और बिना मेहनत के मिला। इसमे दूसरे ग्यारहवे आठवे भाव का मुख्य भूमिका होती है साथ ही कही न कही नवे भाव की भी क्योंकि नवा भाव भाग्य और बड़े बुजुर्गों का है। जब भी जिन जातको की कुंडली मे दूसरे ग्यारहवे और आठवे भाव एक दूसरे को प्रभावित करेंगे या आपस मे संबंध में होंगे शुभ और बलवान स्थिति में साथ ही राहु केतु की स्थिति अच्छी होगी तब ऐसे जातको को निश्चित ही गढ़ा धन, या छुपा हुआ धन वसीयत पुश्तेनी रूप से मिलती ही मिलती है। गढ़े धन प्राप्ति के लिए दूसरे/ग्यारहवे/ आठवे भाव और कही न कही नवे भाव का बलवान होना जरूरी है कमजोर होने पर या अशुभ होने पर ऐसा कोई लाभ नही होता.......!!
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