जिस घर में रामायण का वास है, उस परिवार को छू भी नहीं सकतीं विपदाएं। Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 9415 087 711
रामचरितमानस के घर अनुसार -
रामचरितमानस एहि नामा,
सुनत श्रवन पाइअ बिश्रामा॥
मन करि बिषय अनल बन जरई,
होई सुखी जौं एहिं सर परई॥
भावार्थ:-इसका नाम रामचरित मानस है, जिसके कानों से सुनते ही शांति मिलती है। मन रूपी हाथी विषय रूपी दावानल में जल रहा है, वह यदि इस रामचरित मानस रूपी सरोवर में आ पड़े तो सुखी हो जाए॥
घर पर रखने पर ---
माना जाता है कि जिस घर में रामायण रखी होती है, वहां कभी भूत, पिशाच, प्रेतों का वास नहीं होता है। इसलिए हर घर में रामायण जरूरी है। जिस घर में रामायण के पास सुबह शाम गौ माता के घी का दीपक प्रतिदिन जलाया जाता है, उस घर में आरोग्य बढ़ता है, बीमारियां कम होती है धन धान्य की कमी नहीं होती । जिस घर में यदि रामायण की शाम के समय देशी घी का दीपक जलाकर रामायण की आरती प्रतिदिन होती है। उस घर पर श्रीराम की कृपा सदैव रहती है और घर घर में शांति का वातावरण रहता है। जिस घर में 1 माह में मात्र पूर्णिमा को प्रति माह रामायण का पाठ होता है। उस घर में अकाल मृत्यु नहीं होती है। जिस घर में प्रति सप्ताह रामायण होती है, उस घर पर श्रीराम और माता सीता की कृपा सदैव रहती है। उस घर में बच्चों की वृद्धि होती है।
प्रतिदिन पाठ का असर -
प्रतिदिन रामायण का पाठ होता है उस घर पर भगवान शिव, श्रीराम, माता सीता, श्री हनुमान, शनिदेव, नव ग्रह, 33 कोटि देवी देवताओं की की सदैव कृपा रहती है। उस घर से दरिद्रता भाग जाती है, उस परिवार का यश बढ़ने लगता है। उस घर पर साक्षात मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। बच्चों को कभी भय नहीं लगता। भूत, प्रेत, पिशाच वहां प्रवेश नहीं कर सकते हैं। उस घर में सुख, शान्ति, समृद्धि, धन, अन्न, संतान, मित्र, पड़ोसी, रिस्तेदारों आदि से परिपूर्ण होता है।
रामायण हमें पारिवारिक मैनेजमेंट सिखाती है -
रामायण हमें संसार में जीना सिखाती है । रामायण के दोहे जीवन में ना सिर्फ आपको धर्म के रास्ते पर चलने की सीख देते हैं बल्कि जीवन के हर मोड़ पर आपको लाभ भी देते हैं। इस महाकाव्य में दशरथ नंदन श्रीराम और माता जानकी ही नहीं बल्कि सामाजिक जीवन को जीने के लिए संपूर्ण ज्ञान है। तुलसीदासजी ने मानव जीवन के कल्याण के लिए रामायण का पाठ बहुत जरूरी बताया है। रामायण के नियमित पाठ से हमें क्या फायदे हैं समझते हैं रामायण के दोहों के माध्यम से।।
मिलती है प्रसन्नता --
बुध बिश्राम सकल जन रंजनि
रामकथा कलि कलुष बिभंजनि
रामकथा कलि पंनग भरनी।
पुनि बिबेक पावक कहुँ अरनी॥
तुलसीदासजी ने कहा है कि रामकथा पंडितों को विश्राम देने वाली होती है। साथ ही मनुष्य को हर तरह से प्रसन्नता मिलती है। कलियुग में राम नाम से बढ़कर और कोई नाम नहीं है। रामायण के पाठ से सभी पापों का अंत होता है।
कलियुग में केवल राम नाम -
रामकथा कलियुग रूपी सांप के लिए मोरनी के समान है। कलियुग में आप जितना राम का नाम लेंगे, जीवन आपका उतना ही सरल होगा। क्योंकि मोक्ष का केवल एक ही नाम है और वो है केवल राम। विवेकरूपी अग्नि के प्रकट करने के लिए अरणि (मंथन की जाने वाली लकड़ी) है। अर्थात इस कथा से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
बनी रहती है सुख-शांति --
रामकथा कलि कामद गाई।
सुजन सजीवनि मूरि सुहाई॥
सोइ बसुधातल सुधा तरंगिनि।
भय भंजनि भ्रम भेक भुअंगिनि
दोहे में लिखा है कि रामकथा कलियुग में सब मनोरथों को पूर्ण करने वाली कामधेनु गौ के समान है और सज्जनों के लिए सुंदर संजीवनी जड़ी बूटी है। जिस घर में हर रोज रामायण का पाठ होता है, उस घर में लक्ष्मी सदैव निवास करती है और सुख-शांति बनी रहती है और आपके सभी कार्य पूर्ण होते हैं।
राम का नाम ही सर्वोपरि-
दोहे में आगे लिखा है कि रामायण का पाठ पृथ्वी पर अमृत की नदी के समान हैं। यह जन्म-मरण रूपी भय का नाश करने वाली और भ्रमरूपी मेढ़कों को खाने के लिए सर्पिणी है। रामायण का पाठ करने से हम संसार रूपी भवसागर से पार पा लेते हैं और कलियुग में राम का नाम ही सर्वोपरि है।
पापों से मिलती है मुक्ति -
असुर सेन सम नरक निकंदिनी,
साधु बिबुध कुल हित गिरिनंदिनी
संत समाज पयोधि रमा सी।
बिस्व भार भर अचल छमा सी।
दोहे में लिखा है कि रामकथा असुरों की सेना के समान नरकों का नाश करने वाली है। इसका पाठ पढ़कर सभी तरह के कष्ट और पाप से मुक्ति मिलती है। साथ ही साधु रूप देवताओं के कुल का हित करने वाली पार्वती (दुर्गा) के समान है। यह हमको हर तरह के कष्टों से बचाती है और मानव कल्याण के लिए रास्ता दिखाती है।
मुक्ति का मार्ग होता है प्रशस्त -
दोहे में आगे लिखा है कि संत समाज रूपी क्षीर सागर के लिए लक्ष्मीजी के समान है और संपूर्ण विश्व का भार उठाने में अचल पृथ्वी के समान है। रामायण का पाठ करने से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
अतः आप सभी से निवेदन है की अपने-अपने घरों में रामायण एवं श्रीमदभगवद गीता आदि ग्रंथों को अवश्य रखें तथा बच्चों को कभी - कभी उसका पाठ करने के लिए प्रेरित करें तथा उसे आप भी सुनें । लाक डाउन खुलने के पश्चात रामचरित मानस को अपने परिवार में एक विद्वान सदस्य का दर्जा देकर अपनी पारिवारिक जीवन शैली में सार्थक बदलाव महसूस कीजिये।।
🚩जय श्रीराम 🚩
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